किसी का मकान गिरवी, किसी की बिक गई दुकान, सट्टे की लत से तबाह हुए कई परिवार

गली-मोहल्लों में फैला हुआ है सटोरियों का नेटवर्क, आईपीएल ने और दे दी हवा

Bhaskar Hindi
Update: 2023-06-03 12:46 GMT

डिजिटल डेस्क,जबलपुर।

क्रिकेट सट्टा एवं अंकों के सट्टे का कारोेबार शहर के हर गली-मोहल्ले तक में फैला हुआ है। इससे सबसे अधिक प्रभावित युवा पीढ़ी हो रही है। जानकारों के अनुसार कई ऐसे मामले प्रकाश में आए हैं कि इस बुरी लत के चलते सैकड़ों परिवार तबाह हो चुके हैं। इतना ही नहीं इस लत का शिकार होने वाले औने-पौने दामों पर अपनी चल व अचल सम्पत्ति को बेचने मजबूर हो जाते हैं और इसका फायदा सटोरिए उठाते हुए उक्त सम्पत्ति को हथिया लेते हैं। हालात ये हैं कि इस लत के चलते किसी का मकान गिरवी रख गया, तो किसी परिवार के दो वक्त की रोटी का सहारा कहलाने वाली दुकान तक बिक गई है।

जानकारी के अनुसार पिछले कुछ वर्षों में क्रिकेट के सट्टे के कारोबार में तेजी से विस्तार हुआ है। इस कारोबार से जुड़े कुछ चुनिंदा सटोरिए तो मालमाल भी हो गए हैं। कुछ मामले ऐसे प्रकाश में आए हैं जिसमें इस लत का शिकार होने वाले को सटोरिए कर्ज देते हैं और फिर उनसे ब्याज के रूप में मोटी रकम वसूलते हैं। ब्याज इतना अधिक होता है कि कर्ज लेने वाला कर्ज नहीं चुका पाता है। तब ऐसी स्थिति में सटोरिए उनके वाहन, मकान, जमीन-जायदाद तक हड़प लेते हैं लेकिन बदनामी के डर से पीड़ित पुलिस के पास जाने से भी कतराते हैं।

केस-1

मदन महल क्षेत्र में रहने वाले मनिंदर सिंह कंधारी का रसल चौक में एक रेस्टॉरेंट था जो कि उनका बेटा चलाता था। वर्ष 2015 में उसकी दोस्ती आईपीएल सट्टा खिलाने वाले दिलीप खत्री से हुई थी। उसे सट्टे की लत लगाकर करीब 1 करोड़ का कर्जदार बना दिया गया। कर्ज के चलते वर्ष 2020 में सटोरियों द्वारा पूरे परिवार को बंधक बनाकर बंदूक की नोक पर उसके रेस्टाॅरेंट की रजिस्ट्री करा ली गई थी।

केस-2

मड़ई रांझी निवासी अखिलेश भगत कुछ समय पहले तक किराना दुकान का संचालन करता था। इसी बीच उसे सट्टे की लत लग गई और धीरे-धीरे उसके घर का सामान और दुकान तक बिक गई। इस दौरान एक सटोरिए द्वारा मदद करने के नाम पर उसे कर्ज दिया गया। लेकिन जब वह कर्ज नहीं चुका तो धमकी देकर उसकी दुकान को सटोरिए ने अपने नाम करवा लिया। अब अखिलेश बेरोजगार घूम रहा है।

केस-3

अधारताल निवासी एमएस पटेल सुरक्षा संस्थान में कार्यरत थे। उनके बड़े बेटे ने सट्टा खेलना शुरू कर दिया और कुछ दिनों तक तो उसे फायदा हुआ। लेकिन इसी बीच लगातार घाटा होने पर उसने अपना मकान एक व्यक्ति के पास गिरवी रख दिया। बाद में वह अपना मकान वापस नहीं ले सका और सटोरिए की मदद से उक्त मकान को गिरवी लेने वाले व्यक्ति ने बलपूवर्क हड़प लिया।

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