स्मार्ट सोलर डस्टबिन फर्जीवाड़ा: स्मार्ट सिटी को करोड़ों का नुकसान, चर्चा का विषय बनी अफसरों की मेहरबानी

जहाँ होनी थी धोखाधड़ी की एफआईआर, लगनी थी 14.40 करोड़ की पेनल्टी, उसकी जगह वसूल रहे महज 2 लाख टैक्स

Bhaskar Hindi
Update: 2023-06-09 13:06 GMT

डिजिटल डेस्क,जबलपुर।

स्मार्ट सोलर डस्टबिन फर्जीवाड़े पर किस तरह पर्दा डाला जा रहा है, इसके चौंकाने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं। जानकार बताते हैं कि स्मार्ट सोलर डस्टबिन फर्जीवाड़े के मामले में संबंधित एजेंसी पर 14.40 करोड़ की पेनल्टी लगाई जानी थी। धोखाधड़ी की एफआईआर भी थाने में दर्ज कराई जानी थी, लेकिन अफसर कुछ इस तरह मेहरबान हैं कि एसएस कम्युनिकेशन से पेनल्टी वसूलने और उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की जगह उससे केवल 2 लाख रुपए टैक्स वसूलकर मामले की इतिश्री कर रहे हैं। इससे स्मार्ट सिटी को करोड़ों का नुकसान हो रहा है, वहीं विज्ञापन एजेन्सी मालामाल हो रही है। स्मार्ट सिटी ने स्वच्छता सर्वेक्षण के लिए शहर में 50 स्मार्ट सोलर डस्टबिन लगाने का ठेका एसएस कम्युनिकेशन को दिया था। एजेन्सी को प्रत्येक स्थल पर 200 वर्गफीट की जगह विज्ञापन लगाने के लिए भी दी गई थी। एजेन्सी को स्मार्ट सोलर डस्टबिन में सोलर पाॅवर सिस्टम, गॅार्बेज कम्पोसर, इंफ्रारेड ऑटोमेटिक डोर, वाई-फाई, स्टेरिलिजेशन लोशन, एसएमएस अलर्ट और मोबाइल चार्जिंग पोर्ट लगाना था। एजेन्सी ने धोखाधड़ी करते हुए प्लास्टिक के डिब्बे लटका दिए।

एजेन्सी पर हो रही मेहरबानी

स्मार्ट सिटी के अधिकारियों को स्मार्ट सोलर डस्टबिन स्थलों पर लगे विज्ञापनों के लिए एजेन्सी से 14.40 करोड़ रुपए की पेनल्टी वसूलनी है। वहीं एजेन्सी स्मार्ट सिटी को केवल चार रुपए प्रतिवर्ग फीट की दर से केवल 2 लाख रुपए भुगतान कर रही है। विज्ञापनों के जरिए एजेन्सी करोड़ों की कमाई कर रही है। इतना नुकसान होने के बाद भी स्मार्ट सिटी के अधिकारियों की आँखें नहीं खुल रही हैं।

स्मार्ट सिटी के सीईओ ने दिया था विज्ञापन हटाने का आदेश

स्मार्ट सोलर डस्टबिन की जगह प्लास्टिक के डिब्बे लगाने के मामले को शुरुआती दौर में स्मार्ट सिटी ने काफी गंभीरता से लिया था। एजेन्सी का टेंडर निरस्त करते हुए स्मार्ट सिटी के तत्कालीन सीईओ ने सभी 50 जगह से विज्ञापन हटाने का आदेश दिया था। नगर निगम को विज्ञापन हटाने की कार्रवाई करनी थी, लेकिन नगर निगम के अधिकारियों ने विज्ञापन नहीं हटाए। एजेन्सी के साथ मिलीभगत कर मामले को कानूनी दाँव-पेंच में फँसाने का मौका दे दिया गया।

प्रथम दृष्ट्या धोखाधड़ी का मामला, क्यों नहीं दर्ज करा रहे एफआईआर

जानकारों का कहना है कि स्मार्ट सोलर डस्टबिन की जगह प्लास्टिक के डिब्बे लगाना प्रथम दृष्ट्या आपराधिक धोखाधड़ी का मामला बनता है। इसे टेंडर की शर्तों के उल्लंघन की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता। एजेन्सी ने स्मार्ट सिटी के साथ धोखाधड़ी की है। इससे न केवल स्वच्छता सर्वेक्षण में जबलपुर पिछड़ा गया, बल्कि स्मार्ट सिटी की छवि भी खराब हुई है। अधिकारियों को इस मामले में एजेन्सी के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज कराना चाहिए। लेकिन इस मामले में अधिकारी भी कुछ नहीं कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि यह बात समझ से परे है कि स्मार्ट सिटी के अधिकारी एजेन्सी के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला क्यों नहीं दर्ज करा रहे हैं।

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