जबलपुर: सबस्टेशन के विस्तार में अड़ंगा डालने वाली मेजर ट्रांसफॉर्मर रिपेयरिंग यूनिट की शिफ्टिंग अधूरी
- कम से कम एक 132 केवी की सप्लाई हमेशा विनोबा भावे सबस्टेशन में रहे
- 30 जून तक पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी इस परिसर को ट्रांसमिशन कंपनी को हैंडओवर कर देगी।
- करीब 40 हजार उपभोक्ताओं को डबल सप्लाई नहीं मिल पा रही है।
डिजिटल डेस्क,जबलपुर। शहर के प्रमुख वीआईपी क्षेत्र में बिजली सप्लाई करने वाले 132 केवी सबस्टेशन के विस्तार में आ रही मुख्य रुकावट अब जल्दी दूर हो जाएगी। मप्र पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा संचालित सबस्टेशन परिसर में स्थित मेजर ट्रांसफॉर्मर रिपेयरिंग यूनिट के नयागाँव में शिफ्टिंग का काम आधा ही हो पाया है।
काम अटका होने के कारण करीब 40 हजार उपभोक्ताओं को डबल सप्लाई नहीं मिल पा रही है। परिसर में स्थित उपयोगी और अनुपयोगी ऑयल टैंकरों के अलावा ट्रांसफाॅर्मर वाइंडिंग मशीन सहित रिपेयरिंग के लिये आये ट्रांसफाॅर्मर नए परिसर में शिफ्ट किये जा चुके हैं।
फिलहाल पुराने परिसर में ट्रांसफॉर्मर टेस्टिंग का काम ही चल रहा है। पहले इस यूनिट को खाली करने की डेडलाइन 31 मई रखी गई थी लेकिन इसे अब बढ़ाकर 30 जून कर दिया गया है। 30 जून तक पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी इस परिसर को ट्रांसमिशन कंपनी को हैंडओवर कर देगी। इसके बाद ट्रांसमिशन कंपनी अपना काम शुरू करेगी।
उल्लेखनीय है कि 132 केवी सबस्टेशन विनोबा भावे में दोहरी विद्युत सप्लाई की व्यवस्था बनाने के लिए सबस्टेशन का विस्तारीकरण जरूरी था इसलिए ट्रांसफॉर्मर रिपेयरिंग यूनिट को पुरानी बर्न फैक्ट्री स्थित विद्युत मंडल से हटाया जाना आवश्यक था।
इसके लिए मध्यप्रदेश पाॅवर ट्रांसमिशन कंपनी ने मध्यप्रदेश पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी को 14 करोड़ रुपए दिए हैं, ताकि नयागाँव परिसर में नई सुविधाओं के साथ मेजर रिपेयरिंग यूनिट स्थापित की जा सके।
नहीं हो पा रही दोहरी सप्लाई की व्यवस्था
यह अलग बात है कि लगभग 1 साल के काम को पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी 4 साल में पूरा नहीं कर सकी है जिसके कारण शहर बिजली की दोहरी सप्लाई व्यवस्था से वंचित रहा।
मप्र पाॅवर ट्रांसमिशन कंपनी इस सबस्टेशन में 132 केवी के एक फीडर के साथ एक अतिरिक्त पाॅवर ट्रांसफाॅर्मर लगाने जा रही है, जिससे शहर के वीआईपी क्षेत्र में बढ़ रहे लोड से निपटा जा सके।
साथ ही कम से कम एक 132 केवी की सप्लाई हमेशा विनोबा भावे सबस्टेशन में रहे, जिससे क्षेत्र के लगभग 40000 विद्युत उपभोक्ताओं को मुश्किल का सामना न करना पड़े।