नौकरी का झाँसा देकर भेजा मलेशिया, जैसे-तैसे भागकर आए युवक ने बताई आप बीती

अंसार नगर चौपड़ा निवासी पीड़ित युवक ने गोहलपुर थाने में दर्ज कराई शिकायत, कहा - अब भी कई युवक वहीं फँसे, कुछ लोग कर रहे विदेश भेजने का गोरखधंधा

Bhaskar Hindi
Update: 2024-08-26 18:06 GMT

 जबलपुर। बेराेजगार युवकों को नौकरी का झाँसा देकर विदेश भेजने का गोरखधंधा प्रकाश में आया है। हाल ही में मलेशिया से भागकर आए युवक ने पूरी आप बीती पुलिस को सुनाई है। शिकायत में उसने उल्लेख किया है कि शहर में इस तरह का एक गिरोह काम कर रहा है, जो नौकरी की तलाश में भटक रहे युवाओं को अपने जाल में फँसाता है और उन्हें विदेश भेज देता है। वहाँ न तो जॉब मिलता है और न ही कोई सुरक्षा...। हालात ये हो जाते हैं कि कई-कई दिनों तक वहाँ भूखे रहना पड़ता है। गिरोह के संपर्क देश के साथ पाकिस्तान तक फैले हुए हैं। इनके द्वारा अन्य कई युवाओं को भी मलेशिया भेजा गया है और वहाँ वे संकट में हैं।

गोहलपुर थाने में अंसार नगर चौपड़ा रद््दी चौकी गोहलपुर निवासी 21 वर्षीय मो. इमरान अंसारी ने लिखित शिकायत देकर बताया कि कुछ दिनों पूर्व उसे जानकारी मिली थी कि शहर के बेनीसिंह की तलैया निवासी 2 युवकों द्वारा बेरोजगार युवकों को विदेश में नौकरी के लिए भिजवाया जाता है। इस पर वे उन दोनों व्यक्तियों से मिले, जिस पर उन्होंने इमरान को झाँसा दिया कि मलेशिया की एक कार्गो कंपनी में 8 घंटे का जॉब उन्हें मिल सकता है। वेतन के रूप में 45 हजार रुपए प्रतिमाह मिलेंगे। लेकिन बैंकाॅक के रास्ते मलेशिया पहँुचाने और वहाँ पर ठहरने व खाने-पीने का इंतजाम करने के एवज में 90 हजार रुपए देने पड़ेंगे।

पहुँचे तो होटल में बुकिंग ही नहीं

पीड़ित मो. इमरान ने यह भी बताया कि 90 हजार रुपए देने पर बीते 23 मार्च को उसे ट्रेन के रास्ते से मुंबई भिजवाया गया। जहाँ उसे 2 कश्मीर एवं 2 बिहार में रहने वाले युवक मिले। 25 मार्च को फ्लाइट से वे बैंकाॅक पहँुचे तो उन्हें यह बताया गया कि बैंकॉक में होटल केकेआर में ठहरने की पूरी व्यवस्था है। लेकिन जब वे और कुछ अन्य बेरोजगार युवक भी उक्त होटल पहँुचे तब उन्हें यह बताया गया कि उनके नाम की कोई बुकिंग वहाँ नहीं है और इस पर उन्हें एक अन्य होटल में अपने व्यय पर ही रुकना पड़ा।

18 हजार लेकर पार कराया बाॅर्डर

होटल में रुकने के दौरान पाकिस्तान निवासी एक एजेंट ने फोन कर आगे जाने संबंधी बात की। ट्रेन से आगे पहँुचने पर उन्हें एक व्यक्ति मिला जो कि 18 हजार रुपए लेकर बॉर्डर पार करवाता था। इस दौरान उसे यह राशि दी गई जिसके बाद नाव के जरिए बेराेजगारों को आगे पहँुचाया और वहाँ से बस से वे लोग मलेशिया पहँुच गए। इसके बाद मलेशिया के जोहर-बारू नामक जगह पहँुचने पर बेरोजगारों का पासपोर्ट छीन लिया गया। जब जबलपुर के एजेंटों से उक्त व्यक्ति ने बातचीत की तो 3 दिन के भीतर मेडिकल होने की जानकारी दी गई लेकिन एक महीना बीतने के बावजूद मेडिकल तो हुआ लेकिन 1 सप्ताह बाद काम मिलने की बात कही गई लेकिन उन्हें नौकरी नहीं मिली। इस दौरान एक कंपनी ने बेरोजगार युवकों को कुछ दिनों तक तो भोजन कराया लेकिन बाद में उन्हें भगवान भरोसे छोड़ दिया। जिसके कारण कई दिनों तक उन्हें भूखा-प्यासा रहना पड़ा।

न पासपोर्ट वापस मिला और न ही रकम

पीड़ित इमरान का आरोप है कि करीब 4 महीनों तक अाग्रह करने के बावजूद उसका पासपोर्ट वापस नहीं किया गया। इसके बाद जबलपुर निवासी परिजनों ने जब 50 हजार रुपए यहाँ से भेजे तब कहीं जाकर मलेेशिया स्थित इंडियन एम्बेसी से उन्होंने 19 जुलाई को वाइट पासपोर्ट बनवाया और बड़ी मुश्किल से वह शहर वापस आ सका। लेकिन अभी तक पाकिस्तान निवासी उक्त एजेंट ने न तो उनका पासपोर्ट वापस किया और न ही शहर से मलेशिया भेजने वाले लोग उनकी रकम ही वापस कर रहे हैं। उनके अनुसार शहर के अलावा देश के विभिन्न हिस्सों के बेरोजगार युवकों से उक्त एजेंट्स द्वारा लगातार उगाही कर विदेश पहँुचाकर ठगी की जा रही है। इस पूरे मामले की जाँच व ठोस कार्रवाई की जानी चाहिए। पी-3

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