जबलपुर: नगर निगम और जिले के जिम्मेदार अधिकारी मौन

  • एक साल से बंद है स्ट्रीट डॉग्स को पकड़ने का काम
  • एक साल से बंद है स्ट्रीट डॉग्स को पकड़ने का काम
  • गली-गली में स्ट्रीट डॉग्स का फैला आतंक

Bhaskar Hindi
Update: 2024-01-19 09:09 GMT

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। शहर की गली-गली में स्ट्रीट डॉग्स का आतंक है। प्राप्त आँकड़ों के मुताबिक खूँखार हो चुके ये स्ट्रीट डॉग्स हर महीने 2200 लोगों को लहूलुहान कर रहे हैं। शहर में इन स्ट्रीट डॉग्स की संख्या 30 हजार से ज्यादा बताई जा रही है।

इनके भय से कई क्षेत्रों में तो बच्चों और बुजुर्गों ने घर से बाहर निकलना ही बंद कर दिया है। समस्या बेहद गंभीर है। इसके बाद भी नगर निगम और जिले के जिम्मेदार अधिकारी मौन साधे हुए है। चौंकाने वाली बात यह है कि नगर निगम ने एक साल से आवारा श्वानों को पकड़ने का काम ही बंद कर दिया है।

इससे दिन-ब-दिन हालात बेकाबू होते जा रहे हैं। लोग भयभीत है और सुनने वाला कोई नहीं है।

नागरिकों का कहना है कि शहर का कोई भी इलाका ऐसा नहीं है, जहाँ पर स्ट्रीट डॉग्स का आतंक न हो। शहर के सिविल लाइन्स, पचपेढ़ी, विजय नगर और नया गाँव जैसे पॉश इलाकों में तो स्ट्रीट डॉग्स की वजह से लोग घर से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं।

इसके अलावा सिविक सेन्टर, मालवीय चौक, तैयबअली चौक, घंटाघर, गढ़ा, गौरीघाट, रामपुर, गोरखपुर, मदन महल, अधारताल, दमोहनाका, दीनदयाल चौक, घमापुर, काँचघर, रद्दी चौकी, भानतलैया, रांझी, हनुमानताल, बड़ा फुहारा, कोतवाली, रिछाई और महाराजपुर क्षेत्रों में स्ट्रीट डॉग्स तेजी के साथ बढ़ रहे हैं।

पैदल चलने वाले ज्यादा हो रहे शिकार

स्ट्रीट डॉग्स के हमले के शिकार सबसे ज्यादा पैदल चलने वाले हो रहे हैं। लोगों को पैदल देखकर स्ट्रीट डॉग्स अचानक हमला कर देते हैं। इससे लोगों को सँभलने का भी मौका नहीं मिलता। मॉर्निंग और ईवनिंग वॉक पर निकलने वाले बुजुर्ग सबसे ज्यादा इनके हमले का शिकार हो रहे हैं।

वाहन चालक हो रहे दुर्घटना ग्रस्त

नागरिकों का कहना है कि शहर में दो दर्जन से अधिक क्षेत्र ऐसे हैं, जहाँ पर स्ट्रीट डॉग्स झुंड बनाकर बैठते हैं। सड़क और कॉलोनियों के मोड पर झुंड में बैठे स्ट्रीट डॉग्स किसी भी वाहन चालक पर अचानक हमला कर देते हैं। इनसे बचने के लिए कई बार वाहन चालक गंभीर दुर्घटना के शिकार हो जाते हैं।

भोपाल में स्ट्रीट डॉग्स ने 7 माह की बच्ची की ले ली जान

भोपाल के अयोध्या नगर में 12 जनवरी को स्ट्रीट डॉग्स ने एक 7 माह की बच्ची को नोंच-नोंच कर मार डाला। इसके बाद जाकर भोपाल प्रशासन ने इनको पकड़ने का काम शुरू किया है। इतनी बड़ी घटना होने के बाद भी जबलपुर के जिला प्रशासन और नगर निगम के अधिकारियों की नींद नहीं टूटी।

नए नियमों के कारण बंद है स्ट्रीट डॉग्स को पकड़ने का काम

नगर निगम के स्वास्थ्य अधिकारी भूपेन्द्र सिंह का कहना है कि एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया (एडब्ल्यूबीआई) ने वर्ष 2022 में स्ट्रीट डॉग्स को पकड़ने और बधियाकरण करने के लिए नए नियम बना दिए हैं।

जनवरी 2023 में एडब्ल्यूबीआई ने पत्र भेजकर कहा कि अब स्ट्रीट डॉग्स को पकड़ने का काम एडब्ल्यूबीआई के नार्म्स और यहाँ से पंजीकृत एजेन्सी को दिया जाएगा। नए नॉर्म्स के अनुसार पंजीकृत एजेन्सी को टेंडर जारी कर स्ट्रीट डॉग्स को पकड़ने का काम दे दिया गया।

एडब्ल्यूबीआई ने वेटरनरी को एजेन्सी के पास उपलब्ध संसाधन और डॉग हाउस का निरीक्षण करने के लिए कहा। वेटरनरी विभाग ने निरीक्षण करने की एडब्ल्यूबीआई को रिपोर्ट भेज दी है, लेकिन अभी तक स्वीकृति नहीं मिली है। इसके कारण एक साल से स्ट्रीट डॉग्स को पकड़ने का काम बंद है।

एक दिन में आए डॉग बाइट के 170 मामले

जिला अस्पताल विक्टोरिया में हर माह डॉग बाइट के 2 हजार से 2200 मामले रिपोर्ट हो रहे हैं, बल्कि किसी-किसी माह में तो यह आँकड़ा बढ़कर 2500 तक भी पहुँच जाता है। इसके अलावा डॉग बाइट के शिकार लोग बड़ी संख्या में प्रायवेट अस्पतालों में भी जा रहे हैं।

इससे डॉग बाइट के शिकार होने वाले लोगों की संख्या और भी अधिक हो सकती है। जिला अस्पताल के आरएमओ डॉ. रत्नेश नामदेव ने बताया कि जिला अस्पताल में रोजाना औसतन 100 से 150 मामले डॉग बाइट के मामले आते हैं।

बीते सोमवार को ही एक दिन में डॉग बाइट के 170 केस दर्ज किए गए। साल भर डॉग बाइट के मामले सामने आते हैं, लेकिन इस सीजन में थाेड़ी बढ़ोत्तरी देखी जाती है।

बधियाकरण करने के बाद वापस उसी स्थान पर छोड़ने का नियम

नए नियमों के अनुसार स्ट्रीट डॉग्स को पकड़कर उसका बधियाकरण कर चार से पाँच दिन डॉग हाउस में रखना होगा।

इसके बाद उसे वापस उसी स्थान पर छोड़ना होगा, जहाँ से उसे पकड़ा गया था। कठौंदा में नगर निगम ने दो डॉग हाउस बनाए हैं, जिनमें 50 डाॅग्स को रखने की क्षमता है।

पेट लवर्स करते हैं विरोध

शहर में जगह-जगह पेट लवर्स स्ट्रीट डॉग्स को खाना खिलाते हैं। जब नगर निगम की टीम स्ट्रीट डॉग्स को पकड़ने के लिए आती है। पेट लवर्स उसका विरोध करते हैं। कई बार विवाद की स्थिति भी बन जाती है। कई बार पेट लवर्स नगर निगम के अधिकारियों और कर्मचारियों की व्यक्तिगत शिकायतें करते हैं।

साल में दो बार होता है प्रजनन

साल में दो बार डॉग्स का प्रजनन होता है। जनवरी और जून माह उनका प्रजनन काल होता है। इस दौरान ये काफी खूँखार हो जाते हैं। इस दौरान डॉग बाइट के मामले बढ़ जाते हैं। इसके कारण इनकी संख्या तेजी से बढ़ती है।

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