जबलपुर: हॉट सीट पश्चिम से राकेश सिंह 30 हजार मतों से जीते, सिहोरा के संतोष बरकड़े के खाते में आई सबसे बड़ी जीत
- खिलखिलाया कमल: 8 में से 7 सीटों पर भाजपा का परचम, जश्न का माहौल
- इंदू व रोहाणी की हैट्रिक, कांग्रेस के लखन तीसरी बार जीते
डिजिटल डेस्क,जबलपुर।
जनता ने अपना फैसला सुना दिया। जिले की 8 में से 7 सीटें भाजपा प्रत्याशियों के नाम कर दीं। 2018 में जिन सीटों पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी, उनमें से भी तीन सीटें जनता ने भाजपा की झोली में डाल दीं। जिले में सबसे बड़ी जीत सिहोरा विधानसभा से भाजपा के संतोष बरकड़े के हिस्से में आई। उन्होंने कांग्रेस की एकता ठाकुर को एकतरफा मुकाबले में 42772 मतों से हराया। वहीं जिले ही नहीं, बल्कि प्रदेश की हॉट सीट मानी गई पश्चिम विधानसभा सीट से 4 बार के सांसद राकेश सिंह ने कांग्रेस के पूर्व वित्त मंत्री तरुण भनोत को 30134 मतों से शिकस्त दी। कांग्रेस से एकमात्र जीत पूर्व मंत्री लखन घनघोरिया ने पूर्व विधानसभा से दर्ज की। उन्हाेंने पूर्व मंत्री अंचल सोनकर को 27741 वोटों से हराया। नतीजे घोषित होते ही कहीं मायूसी तो कहीं जश्न का माहौल बना, जो रात तक जारी रहा।
17 नवम्बर को हुए विधानसभा चुनाव के मतदान की मतगणना रविवार को जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय में हुई। दोपहर तक लगभग सभी सीटों के परिणाम तय हो चुके थे। केवल एक उत्तर-मध्य सीट पर कुछ देर मुकाबला रोचक रहा। मतगणना की शुरुआत में दोनों ही प्रमुख राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं में भारी उत्साह रहा, लेकिन जैसे-जैसे परिणाम सामने आते गए कांग्रेसी कार्यकर्ता मौके से गायब होते गए। शाम को कृषि विवि से ही विजयी प्रत्याशियों ने जुलूस निकाले।
2018 में 1 लाख वोटों से जीते थे भाजपा प्रत्याशी
बात यदि विधानसभा चुनाव 2018 की करें तो उस चुनाव में भाजपा ने 4 और कांग्रेस ने 4 सीटों पर जीत दर्ज की थी। सबसे बड़ी जीत भाजपा के सुशील तिवारी इंदू की रही। उन्होंने 41733 से जीत दर्ज की थी। वहीं अजय विश्नोई 26712, अशोक रोहाणी 26585 और नंदनी मरावी ने 6823 से जीत दर्ज की थी। इन वोटों का जोड़ 1 लाख 1853 हाेता है। वहीं कांग्रेस की सबसे बड़ी जीत लखन घनघोरिया ने दर्ज की थी। उन्होंने 35136 वोटों से विजय हासिल की थी, इसके अलावा संजय यादव ने 17563, तरुण भनोत ने 18683 और विनय सक्सेना ने 578 मतों से जीत दर्ज की थी। इस प्रकार कांग्रेसी प्रत्याशियों ने कुल 71 हजार 960 वोटों से चारों सीटें जीती थीं। तब भी जीत भाजपा की बड़ी मानी गई थी।