ओबीसी आरक्षण: सरकारी भर्ती में 13 फीसदी पद होल्ड करने पर उठा सवाल

  • हाईकोर्ट ने कहा- हमने नहीं दिया 87-13 का फॉर्मूला, अगली सुनवाई 12 मार्च को
  • दलील दी गई कि कोर्ट के अंतरिम आदेश के तहत ये पद होल्ड किए गए हैं।
  • ओबीसी मामलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर याचिकाओं पर 4 मार्च को सुनवाई होनी है

Bhaskar Hindi
Update: 2024-03-02 12:22 GMT

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में शुक्रवार को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के प्रकरणों की सुनवाई हुई। इस दौरान 87 प्रतिशत पदों को भरने और 13 फीसदी पद होल्ड करने का मुद्दा उठा।

दरअसल, शिक्षक भर्ती और सब इंजीनियर भर्तियों से जुड़े मामले में संबंधित याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि सरकार द्वारा 13 फीसदी पद होल्ड करने के कारण उनकी नियुक्ति नहीं हो रही है। दलील दी गई कि कोर्ट के अंतरिम आदेश के तहत ये पद होल्ड किए गए हैं। इस पर कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि न्यायालय द्वारा ऐसा कोई अंतरिम आदेश नहीं दिया गया है।

इसके बाद यह तर्क दिया गया कि सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा इस संबंध में परिपत्र जारी किया गया है। इस पर कोर्ट ने परिपत्र पेश करने के आदेश दिए। कोर्ट से यह भी कहा गया कि महाधिवक्ता के अभिमत के चलते यह व्यवस्था दी गई है।

इस पर कोर्ट ने कहा कि महाधिवक्ता के अभिमत का परीक्षण नहीं किया जा सकता, यदि सरकार का कोई आदेश है तो वह प्रस्तुत करें। वहीं शासन की ओर से कोर्ट को अवगत कराया गया कि ओबीसी मामलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर याचिकाओं पर 4 मार्च को सुनवाई होनी है, इसलिए मामले को उसके बाद की तिथि में सुना जाए। जस्टिस शील नागू व जस्टिस विनय सराफ की खंडपीठ ने मामले पर सुनवाई स्थगित कर 12 मार्च को नियत कर दी।

गौरतलब है कि ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण देने को चुनौती देते हुए सबसे पहले वर्ष 2019 में याचिका दायर हुई थी। उसके बाद इसके पक्ष और विपक्ष में करीब 90 याचिकाएँ और दाखिल हुईं। सभी पर एक साथ हाईकोर्ट में सुनवाई हो रही है।

सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों का कहना है कि ओबीसी को 14 फीसदी आरक्षण मिलना चाहिए, वहीं ओबीसी वर्ग के उम्मीदवार 27 फीसदी आरक्षण का दावा कर रहे हैं।

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