जबलपुर: प्राचार्यों को मिली जमानत, प्रबंधकों और पुस्तक विक्रेताओं को झटका

  • हाई कोर्ट ने कहा- आरोप गंभीर, जाँच चल रही है इसलिए अभी नहीं दे सकते जमानत
  • प्राचार्यों की तरफ से तर्क दिया गया कि वह तो केवल पद पर पदस्थ हैं।
  • इसके अलावा कार्यवाही के खिलाफ चार स्कूलों ने रिट याचिका भी दायर की थी।

Bhaskar Hindi
Update: 2024-07-13 14:00 GMT

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने मनमानी फीस वसूली व पाठ्यपुस्तक घोटाला के मामले में बनाए आरोपियों में से केवल उन प्राचार्यों को जमानत का लाभ दिया है, जो केवल उसी पद पर पदस्थ हैं। वहीं हाई कोर्ट ने उन प्राचार्यों को जो प्रबंधन में भी शामिल हैं, उनकी जमानत अर्जियाँ निरस्त कर दीं।

इसके अलावा स्कूल प्रबंधकों, पुस्तक विक्रेताओं व प्रकाशकों को भी जमानत का लाभ देने से इनकार कर दिया। जस्टिस एमएस भट्टी की एकलपीठ ने कहा िक यह मामला गंभीर प्रकृति का है और अभी जाँच भी जारी है, ऐसे में आरोपियों को जमानत का लाभ नहीं दिया जा सकता।

पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए प्राचार्यों, स्कूल प्रबंधकों, पुस्तक विक्रेताओं व प्रकाशकों की ओर से जमानत आवेदन पेश किए गए थे। इसके अलावा कार्यवाही के खिलाफ चार स्कूलों ने रिट याचिका भी दायर की थी।

गौरतलब है कि कलेक्टर के निर्देश पर प्रशासनिक अधिकारियों ने अभिभावकों की शिकायत पर शहर के 9 अलग-अलग पुलिस थानों में 81 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की हैं।

प्रकरण दर्ज करने के पहले कलेक्टर ने जाँच कमेटी बनाई थी। प्रारंभिक जाँच में यह बात सामने आई कि निजी स्कूल प्रबंधकों, पुस्तक विक्रेताओं व प्रकाशकों ने मिलीभगत कर फर्जी आईएसबी नंबर की पुस्तकें कोर्स में शामिल कीं। इसके अलावा कई स्कूल प्रबंधकों ने अप्रत्याशित रूप से फीस में वृद्धि की।

कोर्ट ने कहा कि केस डायरी से पता चलता है कि प्रथमदृष्टया स्कूलों के प्रबंधन पर आरोप लगाए हैं कि उन्होंने अनुचित आर्थिक लाभ प्राप्त करने फीस वृद्धि की और आईएसबीएन की जालसाजी भी की। सभी याचिकाओं की सुनवाई संयुक्त रूप से की गई।

प्राचार्यों की तरफ से तर्क दिया गया कि वह तो केवल पद पर पदस्थ हैं। वे कर्मचारी हैं और नीतियों का निर्धारण प्रबंधन करता है। पूरे प्रकरण में उनकी कोई भूमिका नहीं है। कर्मचारी होने के बावजूद भी पुलिस ने उनके खिलाफ प्रकरण दर्ज कर लिया। गिरफ्तार किए गए पुस्तक विक्रेताओं की तरफ से तर्क दिया गया कि पब्लिशर ने पुस्तकों की सप्लाई की थी। वे तो केवल पुस्तकों को बेचते हैं।

हर वर्ष करते हैं पाठ्यक्रम में बदलाव

सरकार की ओर से जमानत अर्जियों का विरोध करते हुए कहा गया कि स्कूल प्रबंधन, पुस्तक विक्रेता व प्रकाशकों की मिलीभगत से एक्सपर्ट कमेटी के अनुमोदन के बिना प्रतिवर्ष पाठ्यक्रम में बदलाव किया जाता है।

फर्जी आईएसबी नम्बर का उपयोग कर पुस्तकों का प्रकाशन करवाया जाता था। इसके अलावा स्कूल प्रबंधन द्वारा अपनी ऑडिट रिपोर्ट में भी फर्जीवाड़ा किया गया है। पुलिस ने कुछ पब्लिशर के खिलाफ भी प्रकरण दर्ज किया है। प्रकरण की जाँच जारी है और अभियुक्तों को जमानत का लाभ नहीं दिया जाना चाहिए।

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