जबलपुर: एफआईआर के संबंध में चार्जशीट नहीं, फाइनल रिपोर्ट करें पेश
- हाईकोर्ट ने पूर्व आदेश को किया स्पष्ट
- मजिस्ट्रेट विधि अनुसार कार्रवाई करने स्वतंत्र
- जाँच अधिकारी केवल एक एंगल से ही जाँच कर चार्जशीट पेश कर देगा
डिजिटल डेस्क,जबलपुर।मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने ट्रांसपोर्ट नगर चंडालभाटा में फर्जी नक्शा बनाकर जमीन हड़पने से जुड़े मामले में 11 साल पहले हुई एफआईआर के संबंध में पूर्व में दिए आदेश को स्पष्ट करते हुए जाँचकर्ता अधिकारी को चार्जशीट की जगह फाइनल रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए। जस्टिस विशाल धगट की एकलपीठ ने कहा कि विगत 22 नवंबर के आदेश में गलती से चार्जशीट लिख गया था, जबकि वह फाइनल रिपोर्ट होना था।
कोर्ट ने कहा कि फाइनल रिपोर्ट मिलने के बाद संबंधित मजिस्ट्रेट विधि अनुसार कार्रवाई के लिए स्वतंत्र हैं। यदि जाँचकर्ता अधिकारी क्लोजर रिपोर्ट पेश करता है तो मजिस्ट्रेट उस आधार पर फैसला लेने स्वतंत्र हैं और यदि संतुष्ट नहीं हों तो संज्ञान लेने के लिए भी स्वतंत्र हैं। दरअसल, ट्रांसपोर्टर राजेश अग्रवाल बबलू ने एक याचिका दायर कर कहा कि पूर्व में हाईकोर्ट ने अंतरिम आदेश के तहत चार्जशीट पेश करने के निर्देश दिए। राजेश अग्रवाल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल खरे व प्रियंक अग्रवाल ने दलील दी कि ऐसी स्थिति में जाँचकर्ता अधिकारी के पास क्लोजर रिपोर्ट पेश करने का विकल्प ही नहीं बचेगा। जाँच अधिकारी केवल एक एंगल से ही जाँच कर चार्जशीट पेश कर देगा।
गौरतलब है कि जबलपुर निवासी एसपी गुप्ता ने याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि गोहलपुर पुलिस थाने में उनकी शिकायत पर राजेश अग्रवाल और सुधीर जैन के खिलाफ धोखाधड़ी व अन्य धाराओं के तहत वर्ष 2012 में एफआईआर दर्ज की गई थी। मामला भूखण्ड के नक्शे में हेरफेर कर जमीन हड़पने से जुड़ा है। दलील दी गई थी कि वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के निर्देश के बावजूद अभी तक इस मामले में चालान पेश नहीं किया गया है। उन्होंने बताया कि इस मामले में पुलिस दो बार चार्जशीट पेश कर चुकी है, लेकिन मजिस्ट्रेट के आदेश पर मामले की पुन: जाँच की जा रही है। हाईकोर्ट की एकलपीठ ने अपने पूर्व के आदेश में आंशिक संशोधन करते हुए जाँचकर्ता अधिकारी को चार्जशीट के स्थान पर फाइनल रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए।