जबलपुर: रेलवे कार्यालयों में एक बार जो जहाँ पदस्थ हुआ तो वहीं का रह गया

  • डिवीजन के अधिकांश कर्मचारी पमरे मुख्यालय में दे रहे सेवाएँ
  • तबादला प्रक्रिया पर ध्यान नहीं
  • जबलपुर स्टेशन या मुख्यालय व मंडल कार्यालय में चाहकर भी पदस्थापना नहीं

Bhaskar Hindi
Update: 2024-01-22 08:45 GMT

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। पश्चिम मध्य रेलवे के मुख्यालय के अंतर्गत तबादला व पोस्टिंग को लेकर काफी घमासान देखा जा रहा है। इसका एक कारण यह भी है कि वर्ष 2003 में पश्चिम मध्य रेलवे के मुख्यालय के गठन के दौरान यहाँ एक बार जो कर्मचारी पदस्थ हुआ तो फिर दोबारा उसकी अन्यत्र पोस्टिंग नहीं हो सकी है।

यानी 20 साल से कर्मचारी जिस विभाग में तैनात हुआ तो फिर उसका कहीं तबादला ही नहीं हुआ।

यहाँ तक कि मुख्यालय में अधिकांश कर्मचारी तो जबलपुर मंडल के विभिन्न विभागों से पदस्थ किए गए थे जो फिर दोबारा मंडल में लौटकर ही नहीं आए, भले ही उनका वेतन अभी भी मंडल से ही बन रहा है।

इस स्थिति में वे अधिकारी-कर्मचारी काफी परेशान हैं जो लंबे समय से जबलपुर से बाहर कहीं अन्यत्र पदस्थ हैं और परिवार के बीच आना चाहते हैं मगर यहाँ जमे अधिकारी-कर्मचारी कुर्सी छोड़ना ही नहीं चाहते हैं तो ऐसी स्थिति में अब वे यहाँ आ नहीं सकते हैं।

इन दिनों पमरे मुख्यालय और मंडल के अन्य स्टेशनों में पदस्थ कर्मचारियों में इस बात को लेकर सबसे ज्यादा रोष है कि एक बार जबलपुर शहर के बाहर अन्य जिलों में जहाँ उनकी पदस्थापना हुई है वहाँ से वह जबलपुर स्टेशन या मुख्यालय व मंडल कार्यालय में चाहकर भी पदस्थापना नहीं पा सकते हैं।

ऑफिस स्टाफ के रूप में सबसे अधिक

सूत्रों की मानें तो पमरे मुख्यालय और डीआरएम कार्यालय में ऐसे कर्मचारियों की संख्या अधिक है जो पिछले लंबे समय से एक ही विभाग और कुर्सी पर काबिज हैं। जाे मंडल से एक बार मुख्यालय गया तो फिर उसकी मंडल में वापसी नहीं हुई है।

ऐसे कर्मचारियों की दोनों स्थानों की मिलाकर संख्या एक हजार से अधिक है। वहीं यूनियन से जुड़े भी करीब एक सैकड़ा कर्मचारी ऐसे हैं जिनका कहीं अन्यत्र तबादला ही नहीं हाेता है।

शादी के बाद एक जगह ही बस गए

रेलवे में यह भी नियम है कि पति-पत्नी को एक ही स्थान में पदस्थ किया जाए। इस स्थिति में जबलपुर में ऐसे लाेगों की संख्या चार से पाँच सौ है।

कई कर्मचारी तो ऐेसे भी हैं कि जिनकी बाद में भी शादी हुई है तो फिर पति-पत्नि एक ही स्थान पर बस गए हैं तो उनका कहीं तबादला हुआ ही नहीं है।

सूत्र बताते हैं कि सिग्नल, ट्रैफिक, बिजली, पीवे, साइडिंग, आधा दर्जन से अधिक डिपो में पदस्थ कर्मचारियों के तबादले की नौबत आती भी है तो वह शहर के ही भीतर या फिर करीबी जिले में ही होते हैं।

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