जबलपुर: एक तरफ पौधारोपण की मुहिम, दूसरी ओर कत्लेआम
- ग्रामीण अंचलों से हर दिन अवैध तरीके से काटकर लाए जा रहे सैकड़ों पेड़, जिम्मेदार मौन
- इस मामले में वन विभाग का कहना है कि पेड़ों की अवैध कटाई को लेकर वनोपज नाके जरूर बनाए गए हैं
- जानकारी के अनुसार पेड़ों और जंगलों की सुरक्षा को लेकर सबसे बड़ी जिम्मेदारी वन विभाग की है।
डिजिटल डेस्क,जबलपुर। इन दिनों पर्यावरण के बचाव को लेकर हर तरफ पौधे लगाने की मुहिम चल रही है। शासन-प्रशासन स्तर पर भी बड़े-बड़े कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। लेकिन एक हकीकत ये भी है कि जबलपुर में लकड़ी माफिया बेखौफ अंदाज में पेड़ों का कत्लेआम कर रहा है।
खासकर ग्रामीण अंचल के सिहोरा, पनागर, मझौली और पाटन जैसे क्षेत्रों से प्रतिदिन सैकड़ों हरे-भरे पेड़ों को काटकर शहर में बेचा जा रहा है। सूत्रों के अनुसार कई ऐसे बड़े टाल संचालक हैं, जिनके गोदामों में हजारों टन लकड़ियाें का स्टॉक रखा हुआ है।
इस अवैध धंधे के बारे में नगर निगम, वन विभाग, पुलिस और जिला प्रशासन के आला अधिकारियों को भी सारी जानकारियाँ हैं। लेकिन नियम-कायदों की दुहाई देकर सारे जिम्मेदार पल्ला झाड़ने में जुटे हुए हैं। जानकारी के अनुसार पेड़ों और जंगलों की सुरक्षा को लेकर सबसे बड़ी जिम्मेदारी वन विभाग की है।
लेकिन विगत कुछ वर्षों में हुए नियम संशोधन की वजह से शहरी क्षेत्र में नगर निगम और ग्रामीण क्षेत्रों में ग्राम पंचायत की तरफ से पेड़ों की कटाई की अनुमति दी जाने लगी है। इसके अलावा नए हाईवे के निर्माण को लेकर जिला प्रशासन व शासन स्तर पर भी पेड़ों की कटाई की अनुमति दी जा रही है।
यही वजह है कि लकड़ी माफिया इन नियमों का फायदा उठाकर बेखौफ तरीके से पेड़ों की कटाई कर रहा है। हालाँकि वन विभाग द्वारा वनोपज जाँच नाके बनाए गए हैं, जहाँ समय-समय पर चेकिंग करके कार्रवाइयाँ की जाती हैं।
स्टाफ की कमी से जूझता वन विभाग | इस मामले में वन विभाग का कहना है कि पेड़ों की अवैध कटाई को लेकर वनोपज नाके जरूर बनाए गए हैं, लेकिन स्टाफ की कमी होने की वजह से उचित कार्रवाइयाँ नहीं हो पातीं। जिले में करीब 300 लकड़ी के टाल हैं, और वन विभाग में जाँच के लिए महज 30 वनकर्मी हैं।
कई माफिया टारगेट पर
सूत्रों के अनुसार सिहोरा, पनागर और मझौली क्षेत्रों से अवैध पेड़ों की कटाई करके लाने वाले कुछ लोग वन विभाग के टारगेट पर हैं। विगत दो वर्ष में इस तरह के मामलों में पकड़े गए कुछ आरोपियों को चिन्हित करके जल्द ही वन विभाग बड़ी कार्रवाई करने की बात जरूर कर रहा है। हालाँकि आधिकारिक तौर पर कोई भी अधिकारी इस मामले में कुछ भी कहने को तैयार नहीं।