मध्य प्रदेश रोड डेवलपमेंट काॅर्पाेरेशन: नागाघाटी में भू-स्खलन रोकने के लिए एमपीआरडीसी को चाहिए और जमीन
- जो पहले उपाय किये गये वे निष्प्रभावी साबित हुये
- अब वन विभाग पहाड़ी भूमि पर वर्क की अनुमति दे तो धँसकने से रोकने का जतन हो सकेगा
- फिलहाल मानसून सीजन में यह पहाड़ी हिस्सा हाईवे से गुजरने वाले वाहन चालकों की अच्छी खासी परीक्षा ले रहा है।
डिजिटल डेस्क,जबलपुर। बरेला से आगे मण्डला रोड पर नागाघाटी में पहाड़ों से हाईवे पर गिरते पत्थर लोगों के लिए खतरा बने हुये हैं। इस घाटी के नजदीक भू-स्खलन से बीते दिन दो ट्रकों में टक्कर हुई जिसमें एक बड़ा हादसा होते हुए बचा।
मानसून सीजन में यह घाटी भूस्खलन के चलते बेहद खतरनाक रूप ले रही है। इस घाटी में भू-स्खलन को रोकने के लिए मध्य प्रदेश रोड डेवलपमेंट काॅर्पाेरेशन का कहना है कि इस पहाड़ी में वन भूमि है और इसमें जो पहले प्रयास पहाड़ी के पत्थरों को धँसकने और गिरने से रोकने के लिए किये गये वे निष्प्रभावी साबित हुये।
आगे अब पहाड़ी में वर्क के लिए वन विभाग से भूमि चाहिए होगी। यदि भूमि नहीं मिलती है तो पहाड़ी में विभाग को काम करने की अनुमति जल्द मिले तभी इसमें कुछ स्थाई जतन एक्सपर्ट की राय लेकर किया जा सकता है। फिलहाल मानसून सीजन में यह पहाड़ी हिस्सा हाईवे से गुजरने वाले वाहन चालकों की अच्छी खासी परीक्षा ले रहा है।
रॉक फाॅल प्रोटेक्शन कार्य नहीं
इधर नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच ने कहा कि नागाघाटी में मानव अधिकार आयोग के निर्देशों के बावजूद कार्य नहीं किया जा सका है। डॉ. पीजी नाजपाण्डे ने कहा कि राॅक फाॅल प्रोटेक्शन के लिए जो स्थाई समाधान या कोशिश होना चाहिए उसको लेकर अनदेखी की गई है। मंच ने इसको लेकर पूर्व में कई बारी विभाग से संपर्क किया और जरूरी प्रक्रिया अपनाई पर दो साल बीत जाने के बाद भी एमपीआरडीसी ने कोई सार्थक प्रयास भू-स्खलन को रोकने के लिए नहीं किये हैं।