जबलपुर: शाम से लेकर रात तक भारी वाहनों की आवाजाही, पढ़ना और सोना तक दुश्वार
- कछपुरा मालगोदाम को लेकर लोगों में बढ़ रहा आक्रोश
- आश्चर्य की बात है कि इस अव्यवस्था की ओर प्रशासन का भी ध्यान नहीं जा रहा
- यहाँ आने वाले वाहनों पर नो-एंट्री का नियम लागू नहीं हाेता
डिजिटल डेस्क,जबलपुर। शहर के बीच दो दर्जन से अधिक काॅलोनियाें से घिरे रेलवे के कछपुरा मालगोदाम में बड़े वाहनों की आवाजाही से आसपास के लोगों की नींद उड़ी हुई है।
देर रात से लेकर सुबह तक यहाँ हाइवा जैसे बड़े वाहनों की आवाजाही के शोर से शाम और सुबह के वक्त बच्चों की जहाँ पढ़ाई प्रभावित हो रही है, वहीं रात में सोना तक दुश्वार हो रहा है।
आसपास की काॅलोनियों में रहने वाले लोगाें का कहना है कि जिस तेजी से यहाँ रहवासी क्षेत्र का विस्तार हुआ है उस लिहाज से अब कछपुरा मालगोदाम को शहर से दूर शिफ्ट करना जरूरी है। इन वाहनों से उड़ती धूल के कारण आने वाले समय में यहाँ के वाशिंदे निश्चित ही साँस व फेफड़े की बीमारी से ग्रसित हो जाएँगे।
गौरतलब है कि रेलवे का सबसे अधिक राजस्व वाला क्षेत्र कछपुरा मालगोदाम है। इस मालगोदाम से बड़ी मात्रा में अनाज, सीमेंट, आयरनओर व सब्जी का परिवहन होता है।
अनाज और सब्जी तक तो ठीक मगर सीमेंट और आयरनओर से उड़ती धूल यहाँ के लोगों का रहना मुश्किल कर रही है।
रोजाना तीन दर्जन से अधिक वाहनों की आवाजाही
कछपुरा मालगोदाम के आसपास की काॅलाेनियों में रहने वाले निपेंद्र सिंह, बालकराम यादव व नमन का कहना है कि कहने को तो नो-एंट्री में बड़े वाहनों की आवाजाही के प्रवेश को लेकर रोक है मगर कछपुरा मालगोदाम में आने वाले वाहनों की रफ्तार और समय को देखकर आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहाँ आने वाले वाहनों पर नो-एंट्री का नियम लागू नहीं हाेता।
नो-एंट्री के समय भी यहाँ बड़े वाहन बेधड़क तेज गति से आ-जा रहे हैं। इनका कहना है कि रात भर वाहनों की धमाचौकड़ी बनी रहती है और 25 से 30 वाहन तो राेजाना यहाँ आते-जाते हैं।
सीमेंट और आयरन ओर के कारण ज्यादा हो रही परेशानी
यहाँ के वाशिंदे दिलीप अग्रहरि, कमल पटेल व सुरेंद्र यादव का कहना है कि कछपुरा मालगोदाम में सीमेंट और आयरनओर के परिवहन के दौरान काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
यहाँ जिस वक्त ये सामग्रियाँ आती हैं और इनकी लोडिंग-अनलोडिंग होती है उस दौरान धूल और गंदगी का गुबार देखते ही बनता है।
इस दौरान पूरी सड़काें के साथ ही आसपास की कालोनियाँ धूल के गुबार में डूब जाती हैं। आश्चर्य की बात है कि इस अव्यवस्था की ओर प्रशासन का भी ध्यान नहीं जा रहा है। अव्यवस्था को देखते हुए इसे अन्यत्र शिफ्ट कर देना चाहिए।