जबलपुर: जिले में 1500 से ज्यादा अवैध क्लीनिक, न पंजीयन न पॉल्यूशन एनओसी

  • स्वास्थ्य विभाग के रिकॉर्ड में 613 पंजीकृत क्लीनिक
  • गत वर्ष तैयार किया गया था डेटाबेस, केवल शिकायत पर कार्रवाई
  • कई मामलों में केस बिगड़ने पर मरीजों को मेडिकल और जिला अस्पताल भेज दिया जाता है।

Bhaskar Hindi
Update: 2024-07-01 09:38 GMT

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। जिले में सक्रिय बगैर डिग्री धारी चिकित्सकों और बिना पंजीयन चल रहे क्लीनिकों पर स्वास्थ्य विभाग के निर्देशों का कोई असर नहीं है। गत वर्ष विभाग द्वारा सभी मापदंडों को पूरा करने की चेतावनी भी ज्यादातर क्लीनिकों द्वारा दरकिनार कर दी गई। डेटाबेस भी तैयार किया गया था।

विभाग द्वारा गत वर्ष अगस्त माह में निर्देश जारी किए गए, तब करीब 482 पंजीकृत क्लीनिक थे और वर्तमान स्थिति में इनकी संख्या बढ़कर 613 पर पहुँच गई है। जिसका मतलब करीब 10 माह में 131 क्लीनिकों का पंजीयन हुआ है।

इधर सूत्र बताते हैं कि जिले में अभी भी 1500 से ज्यादा अवैध क्लीनिक चल रहे हैं, जिनके पास न तो पंजीयन है और न ही पॉल्यूशन विभाग की एनओसी। इसके अलावा भी कई तरह के मापदंडों का पालन इन क्लीनिकों में नहीं हो रहा है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा भी केवल शिकायतों के आधार पर ही कार्रवाई की जाती है।

बायोमेडिकल वेस्ट को लेकर नहीं चलेगी लापरवाही

सीएमएचओ कार्यालय से जारी निर्देशों के अनुसार क्लीनिक का फ्लोर प्लान, बायोमेडिकल वेस्ट एनओसी, डॉक्टर की डिग्री एवं रजिस्ट्रेशन, स्टाफ की शैक्षणिक योग्यता एवं रजिस्ट्रेशन का प्रमाण-पत्र, क्लीनिक की बाहर एवं अंदर की फोटो पंजीयन के लिए अनिवार्य है।

अगर क्लीनिक में बायोमेडिकल वेस्ट नहीं निकलता है तो 100 रुपए के स्टॉम्प पेपर पर एफिडेविट बनाकर देना होगा। पंजीयन की प्रक्रिया एमपी ऑनलाइन के एनएचएस पोर्टल के माध्यम से होगी और इसके बाद भौतिक सत्यापन भी कराना होगा।

पैथी बदल कर रहे इलाज

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जिले में बड़ी संख्या में ऐसे क्लीनिक हैं जो बिना पंजीयन के चल रहे हैं, वहीं कई चिकित्सक अनधिकृत रूप से अन्य पैथियों में इलाज दे रहे हैं जोकि नियम विरुद्ध है। कई मामलों में केस बिगड़ने पर मरीजों को मेडिकल और जिला अस्पताल भेज दिया जाता है।

पंजीयन करना अनिवार्य

नोडल अधिकारी डॉ. आदर्श विश्नोई ने बताया कि बगैर डिग्री धारी चिकित्सकों और अवैध क्लीनिकों से जुड़ी शिकायत मिलने पर कार्रवाई की जाती है। जिनके पास अभी पंजीयन नहीं है, उन्हें सभी दस्तावेज उपलब्ध कराकर पंजीयन कराना चाहिए।

मप्र उपचर्यागृह तथा रुजोपचार संबंधी स्थापनाएँ (रजिस्ट्रेशन एवं अनुज्ञापन) अधिनियम 1973 तथा नियम 2021 के अंतर्गत पंजीयन अनिवार्य है।

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