नर्मदा के किनारों पर धड़ल्ले से बिक रही शराब, बड़े होटलों के लिए नियम को रखा ताक पर
आबकारी विभाग खुद चाहता है सिंडीकेट फलता फूलता रहे, शराब के दामों में फिर मनमानी शुरू
डिजिटल डेस्क,जबलपुर।
आबकारी विभाग खुद चाहता है कि शराब कारोबारियों का सिंडीकेट फलता-फूलता रहे ताकि उसकी अतिरिक्त कमाई बढ़ती ही जाए। यही कारण है कि लगातार अधिक दामों पर शराब बिक्री की खबरों के बाद भी केवल दिखावे की कार्रवाई होती है। 8 दुकानों का नाम लेकर केवल 4 को नोटिस दिया जाता है। पैकारी पर कोई कार्रवाई नहीं होती है, दुकानों के बाहर धड़ल्ले से अहाते चल रहे हैं लेकिन कोई रोक-टोक नहीं है। यहाँ तक की शहर की आस्था का केन्द्र माँ नर्मदा के लिए बनाए गए नियमों का भी माखौल उड़ाया जा रहा है। नर्मदा से 5 किलोमीटर की दूरी पर ही शराब बेची जा सकेगी लेकिन कई ऐसे होटल और रेस्टॉरेंट हैं जहाँ शराब पिलाने की छूट दी जा रही है।
आबकारी विभाग ने कभी भी यह स्वीकार नहीं किया कि जिले में सिंडीकेट है लेकिन अधिकारी जानते हैं कि सिंडीकेट बना और फिर विवादों के बाद टूट गया लेकिन अभी भी कुछ बड़े कारोबारियों में अलिखित ही सही लेकिन एक समझौता है जिसके तहत ही शराब का कारोबार किया जा रहा है और मनमानी करते हुए शराब के दाम बढ़ाए जा रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में फिर से एक पाव पर 20 से लेकर 25 रुपयों तक की अतिरिक्त कमाई की जा रही है। अंग्रेजी शराब भी एमआरपी से ऊपर बिक रही है। कुल मिलाकर आबकारी विभाग का कोई भी नियंत्रण शराब कारोबारियों पर नहीं रह गया है।
सिंडीकेट की जगह कार्टेल बना
सिंडीकेट को व्यापक माना जाता है जिसमें पूरे जिले के शराब कारोबारी शामिल होते थे लेकिन फिलहाल इसकी जगह एक कार्टेल काम कर रहा है। इसमें शराब के दो सबसे बड़े कारोबारी और डिस्टिलरी प्रबंधक शामिल हैं। डिस्टिलरी प्रबंधक का यह मानना है कि जब तक लिखित में एग्रीमेंट नहीं हो जाता कि सिंडीकेट 70 फीसदी उसका माल ही खपाएगा तब तक सिंडीकेट सही तरीके से संचालित नहीं होगा। इसके अलावा सिंडीकेट को सबसे बड़ा झटका रायपुर के शराब कारोबारी की तरफ से लगा क्योंकि वह सिंडीकेट में आने तैयार नहीं है। ऑफिस को लेकर भी विवाद है क्योंकि कार्टेल या सिंडिकेट चाहता है कि एक ही ऑफिस हो वहीं विरोधी गुट एक ऑफिस के पक्ष में नहीं है, उसका मानना है कि एक ऑफिस होने से सिंडिकेट के कर्ता-धर्ता अपनी मनमानी करते हैं। बहरहाल, अभी भले ही सिंडिकेट ऊपरी तौर पर बिखरा हुआ दिख रहा है लेकिन एमआरपी से ऊपर बेचने में सब एकमत हैं और आबकारी विभाग ने अपनी आँखें बंद कर रखी हैं।
छूट नहीं तो फिर मनमानी कैसे
आबकारी विभाग की छूट नहीं है तो फिर शराब कारोबारी मनमानी कैसे कर रहे हैं। विगत दिवस आबकारी विभाग ने एमआरपी से अधिक पर शराब बेचने वालीं 8 दुकानों पर कार्रवाई की बात कही। बिलहरी, रांझी, पिपरिया, घाना, कंचनपुर, अधारताल, ओमती एवं मढ़ाताल की शराब दुकानों पर प्रकरण दर्ज किए गए लेकिन जानकारों का कहना है कि इसमें भी घालमेल किया गया और केवल 4 को ही नोटिस जारी हुए।