जबलपुर व भोपाल मंडल को अब तक नहीं जोड़ा गया, नई तकनीक से रुकेंगे हादसे, पहले ही मिल जाता है अलर्ट मैसेज
ट्रेन दुर्घटनाएँ रोकने बड़े उपाय नहीं पमरे के कोटा में कवच का उपयोग
डिजिटल डेस्क,जबलपुर।
बालासोर में हुई ट्रेन दुर्घटना ने अब रेलवे को खुद की दुर्घटना रोकने वाली कवच तकनीक की याद दिला दी है। इस तकनीक का प्रयोग फिलहाल पश्चिम मध्य रेलवे के कोटा मंडल से गुजरने वाली दिल्ली व मुंबई रेलवे ट्रैक पर किया जा रहा है, मगर जबलपुर और भोपाल मंडल के ट्रैक अभी भी इससे नहीं जुड़ सके हैं। खास बात यह है कि रेलवे द्वारा इस तकनीक को खुद ही बनाया गया है। सुरक्षा की दृष्टि से यह काफी उपयोगी भी साबित हो रही है। जानकारों का मानना है कि कवच के जरिए ट्रेन दुर्घटनाओं को रोका जा सकता है। गौरतलब है कि इस आधुनिक कवच तकनीक से ट्रेन के ड्राइवर को इंजन में ही 4 से 5 किमी रेलवे ट्रैक पर लगे सिग्नल से मैसेज मिल जाता है। तेज बारिश और घना कोहरा होने की स्थिति में भी ट्रेनों की रफ्तार कम करने की आवश्यकता नहीं पड़ती।
बताया जाता है कि कवच का उपयोग कोटा मंडल में काफी प्रभावी भी माना जा रहा है। इस सिस्टम की यह खासियत है कि एक ही ट्रैक पर दो ट्रेन आने के दौरान यह एक्टिव हो जाएगा और 400 मीटर पहले ही ट्रेन को रोकने में मदद मिल सकेगी। जिससे दुर्घटना को रोका जा सकता है।
रेडियो के सिग्नल पर काम करता है
जानकाराें का कहना है कि यह सिस्टम रेडियो के सिग्नल पर काम करता है। इसे स्टेशनों के बीच लगाया जाता है। हर 5 से 7 किमी के बीच एक टाॅवर लगा होता है इससे निकलने वाले सिग्नल को ट्रेन के इंजन में लगा रिसीवर पकड़ लेता है। जैसे ही इंजन में बैठे चालक को सिग्नल मिलता है वह ट्रेन की रफ्तार को नियंत्रित करता है। कवच सिस्टम को प्रभावी बनाने के लिए स्टेशनों के बीच फाइबर केबल बिछाई जाती है, जो रेडियो फ्रीक्वेंसी पर काम करती है जिसे रिसीव कर रेडियो तरंगें सीधे इंजन तक पहुँचती हैं। कवच के माध्यम से स्टेशन पर लगे इंटरलाॅकिंग से यह अगले सिग्नल तक पहुँचती है। इस प्रणाली से चालक को 160 किमी प्रति घंटे की रफ़्तार पर सिग्नल देने और रिसीव करने की सुविधा होती है।