नर्सिंग कॉलेज फर्जीवाड़ा: सत्र 2023-24 की मान्यता विवाद सुलझाने आईएनसी से जवाब-तलब
- कॉलेजों से पूछा- दो सत्र के छात्रों को कैसे करेंगे एक साथ समायोजित
- नर्सिंग कॉलेजों में एडमिशन की कट-ऑफ डेट किसी भी परिस्थिति में नहीं बढ़ाई जा सकती है।
- हाईकोर्ट ने इंडियन नर्सिंग काउंसिल को सभी मामलों में पक्षकार बनाए जाने का निर्देश दिया है।
डिजिटल डेस्क,जबलपुर। बहुचर्चित नर्सिंग कॉलेज फर्जीवाड़ा से जुड़े मामले की शुक्रवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। जस्टिस संजय द्विवेदी व जस्टिस एके पालीवाल की खंडपीठ ने सत्र 2023-24 की मान्यता विवाद को सुलझाने इंडियन नर्सिंग काउंसिल से जवाब तलब किया है।
वहीं कोर्ट ने कॉलेजों से पूछा है कि दो सत्र के छात्रों को एक साथ समायोजित कैसे करेंगे। हाईकोर्ट ने इंडियन नर्सिंग काउंसिल को सभी मामलों में पक्षकार बनाए जाने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने काउंसिल को यह बताने भी कहा है कि क्या सत्र 2023-24 की एडमिशन की कट-ऑफ डेट को बढ़ाया जा सकता है।
जबलपुर निवासी लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अधिवक्ता विशाल बघेल की जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान पीपुल्स यूनिवर्सिटी भोपाल और अरविन्दो मेडिकल यूनिवर्सिटी की ओर से सत्र 2023-24 की मान्यता के लिए याचिका दायर की गई।
इसमें कहा गया कि पूरे मामले में चल रहे कोर्ट केस एवं सीबीआई जाँच के चलते सरकार द्वारा 2023-24 की मान्यता प्रदान नहीं की गई है। इससे विश्वविद्यालय व छात्रों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। वहीं याचिकाकर्ता ने एक आवेदन प्रस्तुत कर निजी विश्वविद्यालयों की इस माँग को लेकर कड़ी आपत्ति व्यक्त की तथा कोर्ट को बताया गया कि सत्र 2023-24 की मान्यता एवं प्रवेश हेतु आईएनसी द्वारा घोषित की गई कट-ऑफ डेट अब निकल चुकी है।
वहीं दूसरी ओर शासन भी सत्र 2024-25 की मान्यता प्रक्रिया शुरू कर चुका है। इन परिस्थितियों में 2023-24 में प्रवेश की अनुमति दिया जाना अनुचित होगा। सुप्रीम कोर्ट के उन आदेशों की अवहेलना भी होगी, जिसमें स्पष्ट कहा गया है कि नर्सिंग कॉलेजों में एडमिशन की कट-ऑफ डेट किसी भी परिस्थिति में नहीं बढ़ाई जा सकती है।
यह भी कहा गया है कि वर्तमान में प्राइवेट एवं सरकारी नर्सिंग कॉलेजों के पास एक साथ दो बैच पढ़ाने हेतु पूर्ण रूप से अधोसंरचना और फैकल्टी उपलब्ध नहीं हैं।