जबलपुर: निर्माण साइट पर मरम्मत की अनदेखी, नतीजा गर्मियों में धूल का गुबार

  • जहाँ सीवर लाइन का काम किया वहाँ जरूरी सुधार व फिलिंग भूले
  • फ्लाईओवर वाले हिस्से में भी यही दशा, एयर क्वाॅलिटी पर असर
  • पॉश इलाके में निर्माण साइट के कारण वातावरण पहले के मुकाबले प्रदूषित हुआ।

Bhaskar Hindi
Update: 2024-06-10 08:53 GMT

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। शहर में अमूमन वायु की गुणवत्ता विंटर सीजन में खराब होती है लेकिन इस बार कुछ हिस्सों में गर्मियों के दिनों में एयर क्वाॅलिटी इंडेक्स ऊपर जा रहा है। बानगी के तौर पर सिविल लाइन एरिया में ही देख लें जहाँ कुछ दिनों पहले एक्यूआई 284 प्वाॅइंट पहुँच गया।

इसकी वजह यह रही कि यहाँ पर सीवर लाइन का काम नगर निगम ने किया लेकिन उसकी जितनी जल्द मरम्मत और सुधार की जरूरत है, उसकाे दरकिनार कर दिया। पॉश इलाके में निर्माण साइट के कारण वातावरण पहले के मुकाबले प्रदूषित हुआ।

इसी तरह मेडिकल रोड, संजीवनी नगर, मदर टेरेसा नगर समेत आधा दर्जन क्षेत्र हैं, जहाँ सीवर लाइन के वर्क के बाद जरूरी मापदण्डों का पालन नहीं किया गया, जिससे धूल बढ़ी। इसी तरह दमोहनाका एरिया में जहाँ फ्लाईओवर बन रहा है, उस हिस्से में शाम के वक्त धूल ज्यादा होती है क्योंकि मौसम बदलने के साथ अंधड़ में सड़क की धूल ज्यादा मुसीबत बढ़ा देती है।

एक्सपर्ट कहते हैं कि इसमें तुरंत जरूरी मरम्मत या डैमेज सड़क के हिस्से को सुधारा जाए तो राहत मिल सकती है पर अफसोस नगर निगम इसकी अनदेखी कर देता है।

थिगड़े भी लगाये जाते हैं तो परेशानी कम नहीं

सीवर लाइन के वर्क के बाद जहाँ भी थोड़ी बहुत मरम्मत या सुधार होता है तो उसमें जो थिगड़े सड़क में लगाये जाते हैं या गड्ढे की फिलिंग की जाती है तो उसमें नियमों की अनदेखी होती है।

इसमें हो यही रहा है कि गड्ढा जहाँ भरा जाता है उसकी गिट्टी बिखरकर सड़क को फिसलन भरा बना देती है। सिविल लाइन, संजीवनी नगर, मेडिकल रोड में जहाँ भी गड्ढे भरे उसमें यही हाल है। कहीं मिट्टी भर दी गई तो कहीं गिट्टी ऐसी भरी कि वाहन फिसल रहे हैं।

धूल मिटाने बजट की कमी नहीं तो हालत पस्त

शहर को तीन साल पहले पाॅल्यूशन कन्ट्रोल करने 60 करोड़ का बजट मिला जिससे सड़कों की धूल मिटानी थी। इसी से आगे वाले साल में 30 करोड़, फिर 23 करोड़ मिले लेकिन वर्क मौके पर दिखाई नहीं दे रहा है।

इसी तरह सीवर लाइन का वर्क है उसमें 600 करोड़ से अधिक राशि खर्च हुई लेकिन डेढ़ दशक बाद भी यह प्रोजेक्ट अधूरा है। घरों को मिलान का वर्क अब तक नहीं हो पाया और मेन लाइन ही अधूरी है।

वर्क में इस शर्त की अनदेखी

शहर में जहाँ भी निर्माण साइट में सड़क की खुदाई की जाती है तो शर्त के अनुसार सड़क को वर्क के बाद वैसा ही रूप दिया जाना चाहिए जैसा पहले था। निर्माण के दौरान मार्ग को मोटरेबल रखना है, साथ ही काम खत्म होते ही तुरंत मरम्मत करना जरूरी है।

जिस हिस्से में वर्क खत्म हुआ उसमें सुधार होना आवश्यक होता है पर सभी जगह अमूमन शर्त को भुला दिया जाता है। एक्सपर्ट कहते हैं कि एनएचएआई, नगर निगम, लोक निर्माण, एमपीआरडीसी सभी विभागों की सड़कों में इस प्रमुख शर्त की अनदेखी होती है।

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