झाड़-फूँक में बिगड़ी तबीयत, चिकित्सकों ने बचाई जान
कुपोषण ग्रेड-4 से पीड़ित थी 3 वर्षीय आरोही, जिला अस्पताल में मिला उपचार
डिजिटल डेस्क,जबलपुर।
शहपुरा, ग्राम मातनपुर, बेलखेड़ा निवासी दंपति वैजंती और अर्जुन दाहिया अपनी तीन वर्षीय पुत्री आरोही के स्वास्थ्य को लेकर पिछले डेढ़ माह से बहुत परेशान थे। उसे सर्दी-जुकाम के साथ बुखार आ रहा था। भूख कम हो गई थी तथा कान और आँख में भी संक्रमण हो गया था। बच्ची बेहद कमजोर एवं चिड़चिड़ी हो गई थी। वह ठीक से सो भी नहीं पा रही थी, सिर्फ रोती रहती थी। आरोही के माता-पिता ने उसे कई जगह दिखाया। झाड़-फूँक भी करवाई, परंतु कोई फायदा नहीं हो रहा था। इसके बाद ग्राम की आँगनबाड़ी कार्यकर्ता ने माता-पिता को जिला चिकित्सालय के पोषण पुनर्वास केन्द्र (एनआरसी) में जाने की सलाह दी, जहाँ 17 अगस्त को माता-पिता आरोही को लेकर आए और भर्ती किया। चिकित्सकों ने बताया कि भर्ती के समय आरोही का वजन 7.740 किलो, लंबाई 84 सेंटीमीटर एवं बाँह की गोलाई 10.5 सेंटीमीटर थी। पैरों में गड्ढे पड़ने वाली सूजन थी और वह कुपोषण ग्रेड-4 एसडी के अंतर्गत पाई गई। इसके बाद आरोही का उपचार शुरू किया गया।
पाँच दिनों में ही होने लगा सुधार
चिकित्सकों ने बताया कि बच्ची बेहद कमजोर थी एवं कुछ भी नहीं खा रही थी। आँखों में धुँधलेपन की शिकायत थी। उसका कान बह रहा था और बुखार भी था। जटिलताओं के साथ आरोही का उपचार एनआरसी मेडिकल ऑफिसर डॉ. वैष्णवी उप्पल एवं एनआरसी प्रभारी डॉ. रश्मि प्रजापति की देखरेख में शुरू हुआ। पाँच दिनों बाद ही आरोही के स्वास्थ्य में सुधार होने लगा। ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. रूमिता आचार्य ने कान के पर्दे में छेद का उपचार किया, वहीं नेत्र रोग विशेषज्ञ के उपचार के बाद वह अच्छे से नजर मिलाकर देखने लगी है।
बेहद कम हो गया था वजन
गत 6 सितंबर को आरोही को हालत में काफी सुधार होने पर डिस्चार्ज किया गया। उस समय उसका वजन 8.640 किलो तथा बाँह की गोलाई 11.6 सेमी हो गई थी और वह कुपोषण स्तर ग्रेड-2 एसडी में आ गई। जिला चिकित्सालय के डॉक्टरों के प्रयास के फलस्वरूप पन्द्रह दिनों के बाद स्वस्थ होकर आरोही अपने घर पहुँच गई। उपचार में एनआरसी की फीडिंग डिमॉन्स्ट्रेटर अनिता साहू, नर्सिंग ऑफिसर प्रिया सेन, एएनएम रेखा जाधव की अहम भूमिका रही।