जबलपुर: सबसे पहले रादुविवि में लोकपाल की नियुक्ति
- यूजीसी को भेजा पत्र, प्रदेश के 18 विश्वविद्यालयों को यूजीसी ने घोषित किया था डिफाॅल्टर
- प्रशासन ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के पास इस संबंध में जानकारी भी पत्र के माध्यम से भेजी है
- विश्वविद्यालयों के डिफाॅल्टर हो जाने के बावजूद वर्तमान सत्र में परीक्षा, मार्कशीट, डिग्री, डिप्लोमा, पर कोई असर नहीं पड़ेगा
डिजिटल डेस्क,जबलपुर। विश्वविद्यालयों में लोकपाल की नियुक्ति न होने पर प्रदेश के 18 विश्वविद्यालयों को यूजीसी ने डिफाॅल्टर घोषित किया है। इसमें रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय का नाम भी शामिल था।
वहीं विवि के अधिकारियों की मानें तो यहाँ लोकपाल की नियुक्ति पहले ही हो चुकी है। सिर्फ यही नहीं प्रशासन ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के पास इस संबंध में जानकारी भी पत्र के माध्यम से भेजी है।
प्रशासन का कहना है कि आयोग को पुन: सूचना देकर विश्वविद्यालय के डिफाॅल्टर की सूची से पृथक करने की कार्रवाई करेंगे।
प्रो. केलर को लोकपाल की जिम्मेदारी- रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय ने विश्वविद्यालय से सेवानिवृत्त प्रो. जेएम केलर को लोकपाल बनाया है। जनवरी में इस संबंध में उनके पास जानकारी भी पहुँच चुकी थी।
इस संबंध में प्रो. केलर का कहना है कि वे जल्द लोकपाल की हैसियत से विश्वविद्यालय में जिम्मेदारी सँभालने वाले हैं। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों से जुड़ी समस्याओं का निराकरण करने के साथ ही विश्वविद्यालय के लिए जो बेहतर होगा वह काम करेंगे।
आदेश का पालन नहीं किया- आयोग ने कुछ समय पहले लोकपाल की नियुक्ति के आदेश विश्वविद्यालयों को दिए थे। उन्हें 31 दिसम्बर 2023 तक लोकपाल की नियुक्ति करने और इसकी जानकारी आयोग को भेजने के निर्देश भी दिए थे।
लेकिन जिले के पाँच विश्वविद्यालयों समेत प्रदेश के 18 विश्वविद्यालयों ने आयोग के इस निर्देश को हवा में उड़ा दिया, जिसके बाद आयोग ने यह कार्रवाई की। यह भी कहा है कि यदि तीन माह के भीतर लोकपाल की नियुक्ति विवि द्वारा कर दी जाती है, तो उन्हें डिफाॅल्टर सूची से बाहर कर दिया जाएगा।
हालाँकि विश्वविद्यालयों के डिफाॅल्टर हो जाने के बावजूद वर्तमान सत्र में परीक्षा, मार्कशीट, डिग्री, डिप्लोमा, पर कोई असर नहीं पड़ेगा। क्योंकि सभी विश्वविद्यालय मान्यता प्राप्त हैं। ऐसे में सत्र ऐसे ही चलेगा।
निर्देश का किया पालन
यूजीसी के निर्देश पर तत्काल लोकपाल की नियुक्ति की कार्रवाई विवि ने पूरी कर ली थी। इस संबंध में यूजीसी को भी जानकारी दी गई थी।
डाॅ. दीपेश मिश्र, कुलसचिव रादुविवि