जबलपुर: पिता ने पुत्र को किडनी देकर बचाई जान

  • बड़ेरिया मेट्रो प्राइम हॉस्पिटल में हुआ किडनी ट्रांसप्लांट
  • चेहरे पर लौटी मुस्कान
  • एक बुजुर्ग पिता ने अपनी किडनी देकर जवान बेटे की जीवन बचा ली

Bhaskar Hindi
Update: 2024-01-19 09:29 GMT

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। यदि बात संतान की जान पर आ जाए तो माता-पिता कुछ भी कर गुजरने तैयार हो जाते हैं। ऐसा ही एक मामला सामने आया है, जहाँ एक बुजुर्ग पिता ने अपनी किडनी देकर जवान बेटे की जीवन बचा ली।

पिता ने अपनी जान की फ्रिक न करते हुए बेटे की जान बचाने के लिए एक किडनी उसे दे दी। नरसिंहपुर जिले के गाडरवारा में रहने वाले 34 वर्षीय शैलेश शर्मा की दोनों किडनियाँ खराब हाे गई थीं। पिता ने अपने बेटे की जान बचाने के लिए खुद ही किडनी देने का फैसला किया, जिसके बाद सफल किडनी ट्रांसप्लांट बड़ेरिया मेट्रो प्राइम हॉस्पिटल में हुआ।

पिता और पुत्र पूरी तरह से स्वस्थ हैं और अस्पताल से डिस्चार्ज हो चुके हैं। अस्पताल के नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ. विशाल वडेरा एवं किडनी ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ. राजेश पटेल ने इस सर्जरी को अंजाम दिया।

दोनों किडनी हुई खराब

जानकारी के अनुसार शैलेश, अपने पिता वृंदावन शर्मा का इकलौता सहारा है। कुछ साल पहले घर के बड़े बेटे और बेटी की आकस्मिक मृत्यु हो गई थी। बीते दिनों शैलेश की तबीयत बिगड़ी और उल्टियाँ होने लगीं, शरीर में सूजन आने पर उसे नरसिंहपुर अस्पताल ले जाया गया।

जहाँ हालत नाजुक होने के कारण शैलेश को इलाज के लिए जबलपुर भेजा गया। यहाँ अस्पताल में जाँच की गई तो पता चला कि उसकी दोनों किडनियाँ फेल हो चुकी हैं, तब चिकित्सकों ने किडनी ट्रांसप्लांट करने की सलाह दी।

नहीं थी जीवन की उम्मीद

शैलेश का कहना है कि परिवार का सहारा सिर्फ मैं हूँ। मुझे जब पता चला कि मेरी किडनियाँ खराब हो गई है, तो जीवन की कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही थी। जब किडनी ट्रासप्लांट की बात सुनी तो मैं डर गया। लग रहा था कि ऑपरेशन सफल होगा या नहीं।

मेरे पिता ने अपनी जान की परवाह न करते हुए अपनी किडनी देकर मेरी जान बचाई, साथ ही चिकित्सकों और पूरी टीम ने मुझे नया जीवन दिया है।

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