मौनी अमावस्या: हर-हर नर्मदे से गूँजे तट, लगाई आस्था की डुबकी
- कड़ाके की ठंड के बावजूद नर्मदा तटों पर उमड़े श्रद्धालु
- ग्रामीण क्षेत्रों से भी बड़ी संख्या में लोग नर्मदा स्नान के लिए पहुँचे।
- बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने मौनी अमावस्या पर व्रत रखकर पूजन भी किया।
डिजिटल डेस्क,जबलपुर। माघ मास की मोनी अमावस्या पर शुक्रवार को बड़ी संख्या में श्रद्धालु नर्मदा तट पर स्नान करने के लिए पहुँचे। सुबह तड़के शुरू हुआ श्रद्धालुओं के आगमन का सिलसिला दोपहर बाद तक चलता रहा।
श्रद्धालुओं ने नर्मदा तटों पर डुबकी लगाकर दान-पुण्य किया। तटों पर दिन भर हर-हर नर्मदे के जयकारे गूँजते रहे। इस दौरान विभिन्न संगठनों द्वारा भंडारा व अन्य कार्यक्रम आयोजित किए गए। माँ नर्मदा के गौरीघाट, जिलहरी घाट, तिलवाराघाट, लम्हेटाघाट सहित अन्य घाटों पर श्रद्धालु पुण्य स्नान के लिए पहुँचे।
श्रद्धालुओं ने अमावस्या के दिन तिल, तिल के लड्डू, तिल का तेल, वस्त्र और आंवले का दान किया। लोगों ने पितरों को भी अर्घ्य दिया। मौनी अमावस्या को लेकर घाटों पर दिन-भर रौनक रही। ग्रामीण क्षेत्रों से भी बड़ी संख्या में लोग नर्मदा स्नान के लिए पहुँचे।
गौरीघाट रोड पर जाम की स्थिति भी बनी। पं. रोहित दुबे, आचार्य वासुदेव शास्त्री, पं. राजकुमार शर्मा शास्त्री के अनुसार माघ महीने की अमावस्या को मौनी अमावस्या कहा जाता है। इस तिथि के स्नान और दान का बड़ा महत्व माना गया है।
मौनी अमावस्या पर भगवान विष्णु की पूजा का विधान है। मौनी अमावस्या के महत्व के बारे में शिवपुराण में उल्लेख किया गया है। कहा जाता है इस दिन दान देने से ग्रह दोष खत्म हो जाते हैं, साथ ही मौन व्रत रखने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने मौनी अमावस्या पर व्रत रखकर पूजन भी किया।