जबलपुर: मौसम का असर, बच्चों में बढ़ा वायरल इन्फेक्शन सर्दी-खाँसी, बुखार के साथ आ रहे शरीर पर दाने
चिकित्सकाें ने कहा बरतें सावधानी, पीड़ित बच्चे को रखें आइसोलेट, पैरेंट्स स्कूल न भेजें
डिजिटल डेस्क,जबलपुर।
मौसम में आ रहे बदलाव के चलते वायरल इन्फेक्शन के मामले बढ़ रहे हैं, खासतौर पर बच्चे इससे ज्यादा प्रभावित हैं। स्वास्थ्य केंद्रों की ओपीडी में बड़ी संख्या में सर्दी-खाँसी और बुखार से पीड़ित बच्चे पहुँच रहे हैं, इनमें कुछ बच्चों में मुँह में छाले और शरीर पर दाने आने की समस्या भी देखी जा रही है।
जिला अस्पताल, मेडिकल कॉलेज समेत अन्य अस्पतालों में ओपीडी के साथ आईपीडी में भी मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है। चिकित्सकों का कहना है कि वायरल बुखार होने की स्थिति में बच्चे को स्कूल नहीं भेजना चाहिए, साथ ही अगर कोई व्यक्ति पीड़ित है, तो उससे दूरी बनाकर रखनी चाहिए। समय रहते चिकित्सक की सलाह लेने से बच्चा जल्द से जल्द ठीक हो सकता है।
हैंड-फुट एंड माउथ डिसीज
चिकित्सकों के अनुसार शरीर पर दाने और मुँह में छाले आने की समस्या भी एक तरह का वायरल ही है। इसे हैंड-फुट एंड माउथ डिसीज कहा जाता है। किसी भी तरह के वायरल बुखार में पीड़ित बच्चे को आइसाेलेट रखना ही महत्वपूर्ण होता है। खासतौर पर पैरेंट्स को इसका ध्यान रखना चाहिए कि बच्चे को स्कूल न भेजें, ताकि दूसरे बच्चे इसकी चपेट में न आएँ। यही बात टीचर्स को भी ध्यान रखनी चाहिए।
5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में ज्यादा
शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. विजय प्रताप सिंह ने बताया कि वायरल फीवर के लक्षणों जैसे बुखार, सर्दी, खाँसी के साथ शरीर पर दाने और मुँह के अंदर छाले भी हो रहे हैं। इन्फेक्शन शरीर की स्किन और म्यूकस मेंबरेन को भी प्रभावित कर रहा है। पैराें के तलवों और हथेली पर दाने आ रहे हैं। इसका असर 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों पर ज्यादा देखने को मिल रहा है।
ओपीडी में 100 से 120 मरीज
जिला अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. केके वर्मा ने बताया कि ओपीडी में रोजाना 100 से 120 बच्चे आ रहे हैं। इनमें ज्यादातर वायरल पीड़ित हैं और कुछ मामले निमोनिया के भी हैं। अस्पताल का पीआईसीयू वार्ड फुल है, वहीं बच्चा वार्ड में 17 मरीज एडमिट हैं। किसी भी तरह के इन्फेक्शन के दिखाई पड़ने पर पैरेंट्स को चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए।
बच्चों में ब्रोंक्यूलाइटिस भी
मेडिकल कॉलेज के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ.अव्यक्त अग्रवाल ने बताया कि वायरल के साथ एक्यूट ब्रोंक्यूलाइटिस से पीड़ित बच्चे भी इलाज के लिए आ रहे हैं। इसमें सर्दी-जुकाम के साथ चेस्ट से सीटी जैसी आवाज आती है। 2 माह से 2 साल तक के बच्चे ज्यादा प्रभावित हैं।
कुछ मामलों में भर्ती करने भी जरूरत भी पड़ रही है। यह आरएसवी वायरस से होता है।