ये कैसी लैब: पुरानी मशीनें और स्टाफ की कमी, दिल्ली-मुंबई और भोपाल में करानी पड़ रही टेस्टिंग

  • एक साल से लघु उद्योग निगम के भोपाल हेड ऑफिस में पड़े नई मशीनों को खरीदने के प्रस्ताव
  • उद्यमियों को नहीं मिल रहा लाभ
  • लैब के लिए नई आधुनिक मशीनों को खरीदने के प्रस्ताव हेड ऑफिस भेजे गए हैं।

Bhaskar Hindi
Update: 2024-09-09 13:55 GMT

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। रिछाई औद्योगिक क्षेत्र स्थित करोड़ों खर्च करने के बाद बनाई गई लघु उद्योग निगम की टेस्टिंग लैब का वर्तमान समय में कोई उपयोग नहीं किया जा रहा है। यहाँ पर पुरानी अनुपयाेगी मशीनें हैं एवं तकनीकी स्टाफ की कमी है।

इसके चलते यहाँ पर बहुत से टेस्ट नहीं हो पा रहे हैं, जिसके कारण उद्यमियों को सैम्पल टेस्ट के लिए जबलपुर से बाहर दिल्ली, मुंबई, भोपाल और इंदौर में जाना पड़ रहा है।

जानकारी के अनुसार मप्र लघु उद्योग निगम द्वारा जबलपुर में स्थापित की गई लैब में आधुनिक मशीनों को लगाने के लिए एक साल पूर्व प्रस्ताव भेजा गया था, जिसे हेड ऑफिस ने स्वीकार भी कर लिया था।

एक बार मशीनाें को खरीदने के लिए टेण्डर भी निकाला जा चुका है लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों की अनदेखी के चलते नई मशीनें यहाँ पर नहीं लगाई जा सकी हैं। इसका खामियाजा यहाँ के उद्यमियों को भुगतना पड़ रहा है। लैब में इंजीनियरों की अनुपलब्धता और तकनीकी कर्मचारियों की पोस्टिंग नहीं होने से समस्या और गंभीर हो गई है।

इंजीनियरों की पोस्टिंग नहीं

बताया जाता है कि लैब में जो पुरानी मशीनें लगी हैं उनसे संबंधित इंजीनियरों एवं तकनीकी कर्मचारियों की पोस्टिंग नहीं होने से लैब का काम ठप जैसा है, इसलिए सरकार को यहाँ पर सबसे पहले तकनीकी स्टाफ को बढ़ाना चाहिए। जब तक इंजीनियरों की पोस्टिंग नहीं होती है, तब तक लैब में विश्वसनीय काम पर सवाल उठाए जाते रहेंगे।

कटनी, रीवा-शहडोल के लोग भी परेशान

जानकारी के अनुसार जबलपुर ही नहीं कटनी, रीवा, शहडोल, सागर संभागों के बीच एक मात्र लघु उद्योग निगम की टेस्टिंग लैब को लेकर लोगों द्वारा यहाँ पर पुरानी मशीनों के चलते रिपोर्ट नहीं मिलने एवं सही रिपोर्ट नहीं मिलने काे लेकर आरोप लगाए जाते हैं, साथ ही यहाँ पर सभी प्रोडक्ट की टेस्टिंग नहीं होने से भी लोगों को परेशानी हो रही है। इसका खामियाजा न केवल स्थानीय, बल्कि आसपास के उद्योगपतियों को भुगतना पड़ रहा है।

पुरानी मशीनों से हो रही जाँच

टेस्टिंग लैब में सभी मशीनें बहुत पुरानी हो गई हैं, इसलिए खनिज, प्लास्टिक सहित अन्य प्रोडक्ट्स की जाँच पुरानी पद्धति से की जा रही है। जाँच में समय भी अधिक लगता है, जबकि देश एवं प्रदेश की अन्य लैबों में आधुनिक डिजिटल जाँच मशीनें लगा दी गई हैं। इनकी जाँच रिपोर्ट भी सभी जगहों पर मान्य होती है, साथ ही रिपोर्ट भी सटीक होती है। कम समय में मिल जाती है।

सरकारी विभाग भी प्राइवेट लैब से करा रहे जाँच

बताया जाता है कि टेस्टिंग लैब में जाँच के लिए सभी सरकारी विभागों नगर निगम, स्मार्ट सिटी, जेडीए, पीडब्ल्यूडी, सीपीडब्ल्यूडी, एनबीडीए, हाउसिंग बोर्ड, एमपीईबी आदि को पत्र लिखकर इसी लैब में जाँच कराने को कहा गया है लेकिन इसके बावजूद अधिकांश विभाग प्राइवेट लैब में जाँच करवाते हैं।

लैब के लिए नई आधुनिक मशीनों को खरीदने के प्रस्ताव हेड ऑफिस भेजे गए हैं। दूसरी बार टेण्डर की प्रक्रिया की जानी है। नई मशीनें लग जाने के बाद केमिकल, मैकेनिकल, डामर, सॉइल टेस्ट के साथ स्पाईस्पेक्ट्रो टेस्टिंग हो सकेगी, साथ ही और भी नए प्रकार के टेस्ट होंगे। इससे लोगों को बाहर जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी साथ ही एक्सपर्ट की भी भर्ती की जाएगी।

महेन्द्र जड़बड़े, मैनेजर, टेस्टिंग लैब रिछाई, लघु उद्योग निगम

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