जबलपुर: पोर्टल बंद होने से स्कॉलरशिप के फाॅर्म नहीं भर पा रहे छात्र-छात्राएँ
- कब चालू होता है और कब बंद हो जाता है पोर्टल किसी को पता ही नहीं चलता
- कलेक्ट्रेट में भी कोई कुछ बताता नहीं, भटकते हैं स्टूडेंट्स
- कॉलेजों के अधिकांश छात्र-छात्राओं ने स्कॉलरशिप के फॉर्म भरे ही नहीं और पोर्टल बंद हो गया।
डिजिटल डेस्क,जबलपुर। गरीब बच्चों को मिलने वाली स्कॉलरशिप अधिकारियों और कर्मचारियों की मनमानी का शिकार हो गई है। पहले फाॅर्म जमा किए जाते थे तो बाकायदा उसकी तिथि घोषित होती थी लेकिन जब से ऑनलाइन कार्य शुरू हुआ है सब पोर्टल पर निर्भर हाे गया है।
अब पोर्टल कब खुलेगा और कब बंद होगा इसकी जानकारी अधिकांश छात्र-छात्राओं को मिल ही नहीं पाती है। इस बार भी यही हुआ है। कॉलेजों के अधिकांश छात्र-छात्राओं ने स्कॉलरशिप के फॉर्म भरे ही नहीं और पोर्टल बंद हो गया। अब रोजाना दर्जनों स्टूडेंट्स आवेदन के लिए भटक रहे हैं और भोपाल की दया पर निर्भर हैं, यदि वहाँ के कर्ताधर्ता जाग गए तो पोर्टल कुछ दिनों के लिए चालू हो जाएगा।
बताया जाता है कि कुछ दिनों पहले करीब एक सप्ताह के लिए स्कॉलरशिप पोर्टल ओपन किया गया था। जिसकी कुछ छात्र-छात्राओं को ही जानकारी लग पाई थी। उनके द्वारा तो स्काॅलरशिप का फाॅर्म भर दिया गया, परंतु जिनको देरी से जानकारी लगी वे फाॅर्म भरने से वंचित रह गए।
स्कूलिंग पूरी कर कॉलेज में फर्स्ट इयर में प्रवेश लेने वाले हजारों छात्र-छात्राएँ स्काॅलरशिप का फाॅर्म नहीं भर पाए हैं, इसकी मुख्य वजह यह है कि उनको समय पर कॉलेज प्रबंधन द्वारा पोर्टल खुलने और बंद होने की जानकारी नहीं दी गई।
जब तक उनको जानकारी लगी तब तक पोर्टल बंद हो चुका था। अब वे पोर्टल ओपन होने का इंतजार कर रहे हैं। वहीं कॉलेज प्रबंधन फीस जमा करने का दबाव बना रहे हैं। जिन बच्चों के माता-पिता फीस चुकाने में सक्षम हैं वो तो फीस भर देंगे, परंतु जिनके नहीं हैं वो क्या करेंगे, यही कारण है कि पोर्टल खोले जाने की माँग की जा रही है।
एक बार पुन: पोर्टल खोला जाए
छात्र-छात्राओं का कहना है कि राज्य सरकार को एक बार फिर पोर्टल ओपन करना चाहिए, जिससे जो छात्र-छात्राएँ स्काॅलरशिप का फाॅर्म नहीं भर पाए हैं वे फॉर्म भर सकें। ताकि उनकी आगे की पढ़ाई प्रभावित न हो।
ग्रामीण क्षेत्रों से पढ़ाई का जज्बा लेकर शहर आने वाले गरीब तबके के वे छात्र-छात्राएँ सब से ज्यादा परेशान हो रहे हैं जो शहर के महँगे कॉलेजों में स्काॅलरशिप के भरोसे ही पढ़ने आतेे हैं। क्योंकि उनके पास इतना पैसा नहीं होता है कि वे कॉलेजों की भारी-भरकम फीस जमा कर सकें।