हाईकोर्ट: मास्टर प्लान के अनुरूप विकसित करें शहर के तालाब
- मदन महल क्षेत्र के महानद्दा को गाेंड़कालीन राजाओं ने रानियों के स्नानगृह के रूप में बनाया था।
- अधिकतर तालाबों के चारों ओर अतिक्रमण हैं। भू-माफियाओं ने कब्जे कर रखे हैं।
- कोर्ट ने निर्देश पर 2005 में मास्टर प्लान के अनुसार इनके विकास और संरक्षण की योजना बनाई गई
डिजिटल डेस्क,जबलपुर। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने शहर के तालाबों को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि इनका विकास मास्टर प्लान के अनुरूप होना चाहिए। एक्टिंग चीफ जस्टिस व जस्टिस अमरनाथ केसरवानी की खंडपीठ ने सरकार को पूर्व आदेश के पालन में अतिक्रमण संबंधी रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए। मामले पर अगली सुनवाई 15 जुलाई को होगी।
गढ़ा गोंडवाना संरक्षण समिति जबलपुर के किशोरी लाल भलावी ने 1997 में जनहित याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता बालकिशन चौधरी, प्रशांत कुमार मिश्रा व न्यायमित्र ग्रीष्म जैन ने पक्ष रखा।
उन्होंने बताया कि जबलपुर में 52 ताल-तलैया चिन्हित किए गए थे, जिनमें जल संरक्षण होता था। वर्तमान में इनमें से बहुत कम तालाब बचे हैं। चेरीताल पूरी तरह से अपना अस्तित्व खो चुका है। रानीताल की कुछ जमीन को खेल का मैदान बना दिया।
मदन महल क्षेत्र के महानद्दा को गाेंड़कालीन राजाओं ने रानियों के स्नानगृह के रूप में बनाया था। यह 4 सौ वर्ष पुराना है और करीब 4 एकड़ में फैला है। स्थानीय रसूखदारों द्वारा कॉलोनी व कॉलेज बनवा दिए गए हैं। शहर के लगभग सभी तालाब दुर्दशा के शिकार हैं।
अधिकतर तालाबों के चारों ओर अतिक्रमण हैं। भू-माफियाओं ने कब्जे कर रखे हैं। पूर्व में सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने कई बार अतिक्रमण हटाकर रिपोर्ट पेश करने कहा। इसके अलावा तालाबों के विकास संबंधी प्लान भी पेश करने कहा गया। कोर्ट ने निर्देश पर 2005 में मास्टर प्लान के अनुसार इनके विकास और संरक्षण की योजना बनाई गई, लेकिन इन पर ठीक से अमल नहीं हुआ।