जबलपुर: निर्माण में करोड़ों रुपए फूँके, अब जमीन में दफन हो गया पूरा नाला
गायब ही हो गया नाला, मूकदर्शक बने जिम्मेदार
डिजिटल डेस्क,जबलपुर।
शहर को जलप्लावन की समस्या से निजात दिलाने का राग अलापते हुए नगर निगम ने करीब एक दशक पहले कई जगह नालों का निर्माण कार्य कराया था। इसके लिए एलएनटी प्रोजेक्ट के तहत करोड़ों रुपए फूँके गए, लेकिन उस दौरान बनाए गए नालों के हाल दिल दुखाने वाले हैं। शहर की प्राइम लोकेशन चुंगीनाका आईटीआई से लेकर कृषि उपज मंडी के गायत्री मंदिर मोड़ तक बनाया गया चार फीट चौड़ा नाला तो जमीन में ही दफन हो गया है। पूरे नाले में मिट्टी भर चुकी है और यहाँ बार्डर के रूप में मात्र उसके अवशेष ही दिखाई दे रहे हैं। एक साइड नाला खत्म हो जाने की वजह से सड़क के किनारे बने मकानों के साथ कॉलोनियों में भी पानी भर रहा है लेकिन नगर निगम के अधिकारियों को इसकी खबर ही नहीं है। क्षेत्रीय नागरिकों ने नगर निगम से दोबारा नाले की खुदाई करने की माँग की है।
क्षेत्रीय नागरिकों ने बताया कि करीब दस साल पहले निगम ने गायत्री मंदिर के मोड़ से आईटीआई चुंगीनाका तक करीब चार फीट चौड़ा नाला बनाया था। नाले को बाकायदा पक्का किया गया था, ताकि पानी की निकासी आसानी से होती रहे। एक साल तक तो नाले से जैसे-तैसे पानी की निकासी हुई, लेकिन सड़क से ज्यादा ऊँचाई होने व जगह-जगह से काम अधूरा होने की वजह से नाला बेकाम साबित हो गया। इसके बाद लोगों ने धीरे-धीरे नाले में मिट्टी डालना शुरू किया। अब हालत यह है कि केवल नाले के अवशेष ही नजर आ रहे हैं।
नाले की जगह पर लग रहीं दुकानें
क्षेत्रीय लोगों का कहना है कि सड़क के किनारे नाले की चार फीट चौड़ी जगह पर दुकानें लगाई जा रही हैं। इससे पानी की निकासी में समस्या हो रही है। इसके साथ ही यातायात भी बाधित हो रहा है। नगर निगम को जल्द ही नाले से मिट्टी निकालकर पानी निकासी के लिए जगह बनाना चाहिए, इससे क्षेत्रीय लोगों को राहत मिलेगी।
आईटीआई से लेकर गायत्री मंदिर तक नाले का निरीक्षण कराया जाएगा। निरीक्षण के उपरांत इस मामले में आगे की कार्रवाई की जाएगी।
-आरके गुप्ता कार्यपालन यंत्री नगर निगम
हर साल होता है जलप्लावन
बारिश के दौरान आईटीआई और गायत्री मंदिर क्षेत्र में हर साल जलप्लावन के हालात बनते हैं। आईएसबीटी के समीप मोड़ के समीप तो यह हाल ये है कि बारिश का पानी लोगों के घरों में भर जाता है। लोगों का कहना है कि नगर निगम के अधिकारी मौके का निरीक्षण भी करते हैं, लेकिन उन्हें नाला नजर नहीं आता है। क्षेत्रीय लोगों ने कई बार नगर निगम में नाले की दोबारा खुदाई कराने के लिए आवेदन दिया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई।