जबलपुर: पेट में मिला जटिल ट्यूमर, दुनिया में तीसरा केस
- मेडिकल कॉलेज के एंडोक्राइन केंद्र में हुई सर्जरी, 18 वर्षीय युवक रेयर बीमारी से पीड़ित
- ट्यूमर पीड़ित युवक के किडनी की मुख्य नस के बिल्कुल ऊपर चिपका था।
- विभाग के चिकित्सकों की मानें तो इस दुर्लभ बीमारी का यह दुनिया में तीसरा मामला है।
डिजिटल डेस्क,जबलपुर। नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल काॅलेज में सर्जरी विभाग के अन्तर्गत एंडोक्राइन केंद्र में एक बेहद दुर्लभ ट्यूमर से जुड़ी बीमारी से पीड़ित 18 वर्षीय युवक की सफल सर्जरी की गई है। विभाग के चिकित्सकों की मानें तो इस दुर्लभ बीमारी का यह दुनिया में तीसरा मामला है।
युवक जटिल पैरागैंग्लिओमा-फियोक्रोमोसाइटोमा बीमारी से पीड़ित है। भोपाल के पास रहने वाले युवक को अचानक लकवा लगने के बाद परिजन उपचार के लिए चिकित्सक के पास लेकर गए। उपचार के दौरान पेट में जटिल ट्यूमर होने की बात सामने आई।
इसके बाद पीड़ित को मेडिकल काॅलेज के एंडोक्राइन केंद्र भेजा गया। केंद्र में युवक की सफल सर्जरी करके ट्यूमर को निकाल दिया गया है। 10 दिन पूर्व स्तन थायरायड एवं एंडोक्राइन कैंसर विशेषज्ञ डॉ. संजय कुमार यादव, डॉ. सिलोदिया, डॉ. प्रदीप कोठिया, डॉ. योगेश, डॉ. मानसी, डॉ. नवांक, डॉ. माइकल, डॉ. प्रीति, डॉ. मानवेंद्र ने मरीज की जटिल सर्जरी सफलतापूर्वक की।
एनेस्थीसिया विशेषज्ञ डॉ. आशीष सेठी, डॉ. नारंग, डॉ. गोपाल का अहम सहयोग रहा। सर्जरी के बाद युवक का रक्तचाप बिना दवा के सामान्य बना हुआ है। करीब 2 सप्ताह भर्ती रहने के बाद युवक के स्वास्थ्य में सुधार हुआ और मंगलवार को उसे डिस्चार्ज कर दिया गया।
बिना चीरा, दूरबीन से सफल सर्जरी-
दुर्लभ बीमारी के चलते युवक का ब्लड प्रेशर 240 से अधिक रहता था। इसके चलते उसे लकवा लग गया। परिवार के सदस्य युवक को एक निजी अस्पताल ले गए। जहाँ डॉ. अनुपम साहनी को जाँच में युवक के पेट में ट्यूमर होने का पता चला, तो उन्होंने उसे मेडिकल काॅलेज में एंडोक्राइन केंद्र भेजा। युवक की सर्जरी बिना चीरा लगाए दूरबीन पद्धति से की गई है।
अत्यधिक मात्रा में होता है हार्मोन का रिसाव -
डॉ. संजय यादव ने बताया कि पेट में पैरागैंग्लिओमा-फियोक्रोमोसाइटोमा नामक एक अत्यंत दुर्लभ ट्यूमर होता है। इस ट्यूमर से अत्यधिक मात्रा में एड्रीनेलिन नामक हार्मोन निकलने से ब्लड प्रेशर बहुत बढ़ जाता है।
नस जाम होने से लकवा का खतरा रहता है। ट्यूमर पीड़ित युवक के किडनी की मुख्य नस के बिल्कुल ऊपर चिपका था। सर्जरी के दौरान मरीज का ब्लड प्रेशर कभी भी बढ़कर अनियंत्रित होने का अंदेशा रहता है। ऐसे में दूरबीन पद्धति से सर्जरी की गई।