जबलपुर: कटंगा जैसे पॉश इलाके में भी खाली पड़ी सरकारी जमीनों पर कब्जों की होड़

  • नगर निगम की तरह अब अन्य विभाग भी बने उदासीन
  • हर दिन बढ़ते जा रहे अतिक्रमण
  • लोगों ने कहा- सालों पहले हुई कार्रवाई, उसके बाद दे दी गई अवैध कब्जों की खुली छूट

Bhaskar Hindi
Update: 2024-01-13 08:26 GMT

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। शहर की सड़कों की तरह काॅलोनी या अच्छे रिहायशी इलाकों में भी खाली सरकारी जमीनों पर इन दिनों कब्जों की होड़ मची हुई है। इसमें बानगी के तौर पर कटंगा जैसा पॉश इलाका भी लिया जा सकता है, जहाँ पर आसपास जो सरकारी जमीन खाली पड़ी है, उसमें हर दिन कब्जे बढ़ते ही जा रहे हैं। जीआरसी की दीवार से लेकर वीर सावरकर उद्यान और आसपास जो भी खाली भूमि है, उस पर हर दिन नई झुग्गी तन रही है।

क्षेत्र के लोगों का कहना है कि इस तरह के कब्जों को लेकर प्रशासन पूरी तरह से मौन है। कुछ समय पहले यहाँ कब्जों को लेकर शिकायत की गई तो कुछ कब्जे हटाये भी गए, पर उसके बाद सालों से अनदेखी की जा रही है। इस पूरे इलाके में लगातार हो रहे कब्जों की वजह से अब रह पाना भी कठिन हो रहा है।

जिस तरह नगर निगम, नजूल की भूमि पर कब्जे किये जा रहे हैं, ठीक उसी तरह छावनी, रक्षा संपदा, रेलवे की जमीनें भी नहीं छोड़ी जा रही हैं। इन पर लोगों की टेढ़ी नजर है।

कटंगा क्षेत्र में कुछ इस तरह हो रहे हैं अवैध कब्जे।

गौरतलब है कि यह पूरा इलाका सरकारी कार्यालय से लेकर बेहतर रिहायशी एरिया के रूप में गिना जाता है। यहाँ पर विंध्य भवन, उद्योग भवन, केरला भवन, आकाशवाणी कार्यालय, सहकारिता, विपणन, लोकायुक्त जैसे उपयोगी कार्यालय हैं। पूरा इलाका शांत और अच्छे इलाके के रूप में पहचाना जाता है, पर क्षेत्र के लोगों का कहना है कि अतिक्रमण कर कब्जा करने वालों ने पूरे हिस्से को अब रहने लायक नहीं छोड़ा है।

इसको लेकर प्रशासन को जल्द से जल्द कदम उठाना चाहिए। इधर ऐसे कब्जों को लेकर छावनी परिषद् के अतिक्रमण नियंत्रण प्रभारी नीतेश पटेरिया कहते हैं कि ये जमीन का हिस्सा हमारे दायरे में नहीं आता है। जो संबंधित विभाग है, वही इसमें कार्रवाई कर सकता है या कुछ कह सकता है।

कई और इलाकों में यही हाल

शहर में जो भी जमीन का खाली हिस्सा मिलता है, उस पर कब्जे तेजी से तान दिये जाते हैं। जबलपुर, नागपुर, रीवा हाईवे पर गढ़ा रेल स्टेशन के नजदीक हाईवे पर एक किलोमीटर के एरिया में सड़क किनारे कब्जे कर लिये गये हैं। इसी तरह अंध-मूक चौराहे से बहदन ब्रिज के पहले तक कब्जे किये जा रहे हैं।

तिलवारा तट पर खाली जमीन पर झुग्गियाँ बनाई जा रही हैं। तट की रौनक को ये कब्जे खत्म करने पर उतारू हैं। शहर में काॅलोनियों से लेकर सड़क किनारे तक ऐसे दर्जनों हिस्से हैं, जहाँ पर सरकारी जगह देखने के साथ कब्जे हो रहे हैं।

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