जबलपुर: कृष्ण पक्ष में द्वापर युग का संयोग, दो तिथियों के क्षय होने से 13 दिन का होगा पक्ष

  • महाभारत काल का संयोग बनने के कारण प्राकृतिक प्रकोप बढ़ने की आशंका जताई जा रही है।
  • ऐसा संयोग कई शताब्दियों में बनता है। इसे विश्व घस्र पक्ष कहते हैं।
  • महाभारत काल में भी इस तरह की स्थिति उत्पन्न हुई थी।

Bhaskar Hindi
Update: 2024-06-29 13:56 GMT

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। द्वापर युग के महाभारत काल जैसा संयोग एक बार फिर बना है। इस बार आषाढ़ कृष्ण पक्ष सिर्फ 13 दिन का होगा। महाभारत के पहले 13 दिन का पक्ष निर्मित हुआ था। ज्योतिषी इसे दुर्योग काल मान रहे हैं।

महाभारत काल का संयोग बनने के कारण प्राकृतिक प्रकोप बढ़ने की आशंका जताई जा रही है। हिंदू पंचांग के अनुसार संवत 2081 में आषाढ़ मास 23 जून से 21 जुलाई तक रहेगा। इस दौरान कृष्ण पक्ष केवल 13 दिन का रहेगा।

आषाढ़ कृष्ण पक्ष की शुरुआत 23 जून से हो चुकी है और समापन 5 जुलाई को होगा। इस कृष्ण पक्ष में दो तिथियों द्वितीया और त्रयोदशी का क्षय हो रहा है। इस कारण यह कृष्ण पक्ष केवल 13 दिनों का रहेगा। शुक्ल पक्ष 6 जुलाई से शुरू हो रहा है, जो 21 जुलाई तक चलेगा। ऐसा संयोग कई शताब्दियों में बनता है। इसे विश्व घस्र पक्ष कहते हैं।

महाभारत युद्ध के पहले बना था दुर्योग- पं. रोहित दुबे के अनुसार महाभारत युद्ध के पहले 13 दिन के पक्ष में यह दुर्योग काल आया था। उस समय बड़ी जन-धन की हानि हुई थी। घनघोर युद्ध हुआ था। इस साल दुर्योग काल के चलते प्रकृति का प्रकोप बढ़ने की आशंका बन रही है।

आचार्य वासुदेव शास्त्री, पं. राजकुमार शर्मा शास्त्री के अनुसार यह कालयोग हजारों वर्ष में एक बार आता है, जब 13 दिन का पक्ष निर्मित होता है। महाभारत काल में भी इस तरह की स्थिति उत्पन्न हुई थी।

13 दिन के इसी पक्ष में चन्द्र और सूर्य के 2 ग्रहण भी हुए थे। इस स्थिति को ऋषियों ने महा उत्पात की श्रेणी में रखा है। इस वर्ष पड़ने वाला कृष्ण पक्ष महाभारत में वर्णित 13 दिन के पक्ष के तुल्य नहीं है। यह महाउत्पात की श्रेणी में नहीं आकर सामान्य विकृति की श्रेणी में आएगा। क्षय पक्ष में मुंडन, विवाह, यज्ञोपवीत, गृहप्रवेश, वास्तुकर्म आदि शुभ कार्य वर्जित होते हैं। ऐसे समय में भगवान विष्णु, श्रीकृष्ण का पूजन करना चाहिए।

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