घर में वास्तु दोष और मृत्यु का भय दिखाकर 1 करोड़ की ठगी
गोराबाजार थाने में सगे भाइयों सहित तीन के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज
जबलपुर। गोराबाजार थाना क्षेत्र स्थित अनंततारा तिलहरी निवासी श्रीमती शकुंतला बातव के घर में वास्तु व मृत्यु दोष का भय दिखाकर 3 जालसाजों ने पूजा-पाठ के नाम पर करीब 1 करोड़ रुपये ठग लिए। ठगी का शिकार हुई महिला द्वारा की गयी शिकायत के आधार पर पुलिस ने जालसाजी करने वाले सगे भाइयों सहित तीन के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज कर उनकी गिरफ्तारी के प्रयास शुरू कर दिए हैं। पुलिस के अनुसार श्रीमती बातव द्वारा एसपी को शिकायत देकर बताया गया था कि उनके पुत्र विजेंद्र की सोशल मीडिया पर अरुण दुबे व वरुण दुबे से वर्ष 2016 में मित्रता हुई थी। दोनों ने खुद को ज्योतिष शास्त्री बताकर उनके घर में पूजा-पाठ कराई थी। उसके बाद जालसाजों ने कहा कि उनके परिचित के एक दण्डी स्वामी हैं जो कि सभी समस्याओं का समाधान कर देते हैं। जालसाजों ने स्वामी जी के नाम पर पत्र लिखने के लिए कहा फिर कुछ दिन बाद पत्र का जवाब लेकर पहुँचे, पत्र में पीडि़ता की जमीन में 14 प्रेत होने की बात लिखी थी। इसके बाद पूजा-पाठ के नाम पर किश्तों में करीब 40 लाख रुपये ले लिए। पीडि़ता ने बताया कि अरुण दुबे, वरुण दुबे निवासी शांतिनगर अम्बेडकर चौक व उनके एक साथी सचिन उपाध्याय निवासी गोराबाजार ने मिलकर करीब एक करोड़ रुपये ठग लिए। शिकायत के आधार पर तीनों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। दूसरे पत्र में भवन दान करने कहा जालसाजोंं द्वारा पीडि़त परिवार को कथित स्वामी का दूसरा पत्र दिया गया जिसमें लिखा था कि प्रेतों को भगाने के लिए भवन दान करना होगा, नहीं तो परिवार के कोई कार्य सफल नहीं होंगे। उनके झाँसे में आकर परिवार ने सर्वसम्मति से भवन दान किया था जो कि वर्तमान में वरुण दुबे का मकान है। जमीन में गड़ा है सोना-चाँदी दोनों जालसाजों ने पीडि़त परिवार को झाँसा दिया कि कथित स्वामी को आपकी जमीन पर सैकड़ों टन सोना व चाँदी दिखा है जो एक नाग द्वारा संरक्षित है। उसके बाद दोनों भाइयों ने पूजा के नाम पर 6 लाख रुपये लिए व पुखराज का नग देने 90 हजार व सोने की अंगूठी बनाने के नाम पर 35 हजार रुपये लिए लेकिन अंगूठी नहीं दी। वहीं पति की जान को खतरा बताकर बहू के जेवर तक बिकवा दिए। इस तरह दोनों जालसाज भाइयोंं ने महिला व उसके बेटे विक्की बातव, पति गुलाबचंद बातव से करीब 1 करोड़ रुपए की ठगी की। पी-4