जबलपुर: कार्ड सिस्टम में रोक, ऑनलाइन पेमेंट में पैसा फँसने से चक्कर लगाने की मजबूरी
- रेलवे के बुकिंग काउंटर में पैसा वापसी को लेकर आए दिन बन रही विवाद की स्थिति
- डीआरएम कार्यालय तक के चक्कर काटते हैं मगर आसानी से राशि नहीं मिल पाती है।
- ऑनलाइन सिस्टम में टिकट लेने के दौरान व्यक्ति के एकाउंट से पैसा कटने के बाद भी रेलवे को भुगतान नहीं हो रहा है
डिजिटल डेस्क,जबलपुर। एक तरफ पूरे देश में डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा दिया जा रहा है वहीं दूसरी ओर रेलवे में ऑनलाइन पेमेंट मुसीबत बन रही है। जिसको लेकर बुकिंग काउंटर में आए दिन विवाद की स्थिति निर्मित हो रही है।
ऐसा नहीं है कि ऑनलाइन सिस्टम से पैसा फँसने की शिकायत जबलपुर के मुख्य स्टेशन में हो रही है, बल्कि मदन महल, कटनी और जबलपुर मंडल के अन्य स्टेशनों में भी इस समस्या का सामना करना पड़ रहा है।
इसमें सबसे अधिक तो वह व्यक्ति परेशान हो रहा है जिसके एकाउंट से पैसा कटने के बाद भी रेलवे को भुगतान नहीं होने पर उसे पैसा वापस लेने बार-बार चक्कर लगाने पड़ रहे हैं।
बताया जाता है कि रेलवे के बुकिंग काउंटर में लगे ऑनलाइन सिस्टम में टिकट लेने के दौरान व्यक्ति के एकाउंट से पैसा कटने के बाद भी रेलवे को भुगतान नहीं हो रहा है, जिससे व्यक्ति को टिकट का पैसा नकद भुगतान करना पड़ रहा है और जो पैसा एकाउंट से कट गया उसे वापस लेने चक्कर लगाने पड़ रहे हैं।
पैसा वापसी को लेकर आए दिन नोक-झोंक
जानकारों का कहना है कि रेलवे द्वारा आरक्षण केंद्र के बुकिंग काउंटरों में नकद राशि से टिकट लेने के लिए अलग व ऑनलाइन पेमेंट से टिकट लेने के लिए दूसरा काउंटर बनाया गया है।
मगर पिछले कुछ समय से ऑनलाइन काउंटरों में टिकट लेने के दौरान काॅफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। गोरखपुर निवासी अरुण कुमार, नवीन शर्मा ने बताया कि विगत दिवस वे ऑनलाइन के माध्यम से टिकट की पेमेंट कर रहे थे तभी उनके खाते से राशि कट गई और बुकिंग काउंटर में बैठे कर्मचारी ने बताया कि उनके पास राशि नहीं पहुँची है।
अब सफर करना भी जरूरी था इसलिए नकद राशि देकर टिकट लेनी पड़ी। इसके बाद राशि वापस लेने के लिए अब चक्कर लगाने पड़ रहे हैं।
बुकिंग काउंटर से लेकर रिफंड कार्यालय तक दौड़
लोगाें का कहना है कि बुकिंग काउंटर में पैसा कटने के बाद पैसा वापस लेने पहले बुकिंग काउंटर के चक्कर लगाओ। यहाँ से रिफंड कार्यालय भेजा जाता है। इसके बाद बैंक के चक्कर लगाओ। इतना नहीं पीड़ित पक्ष तो डीआरएम कार्यालय तक के चक्कर काटते हैं मगर आसानी से राशि नहीं मिल पाती है।