एजेन्सी कर रही लाखों की कमाई: स्मार्ट सिटी और नगर निगम के अधिकारियों ने साध रखी है चुप्पी, कार्यशैली देखकर सब हैरान

हद दर्जे की लापरवाही: स्मार्ट सोलर डस्टबिन मामले पर 4 साल में भी जवाब पेश नहीं कर पाई स्मार्ट सिटी

Bhaskar Hindi
Update: 2023-06-06 08:25 GMT

डिजिटल डेस्क,जबलपुर।

स्मार्ट सोलर डस्टबिन लगाने के मामले में हद दर्जे की लापरवाही सामने आई है। इस मामले में स्मार्ट सिटी के अफसर लगभग चार साल में भी कोर्ट में जवाब पेश नहीं कर पाए हैं। इसी वजह से एसएस कम्युनिकेशन स्मार्ट सोलर डस्टबिन के नाम पर विज्ञापन के जरिए हर महीने लाखों की कमाई कर रही है। इतना नुकसान होने के बाद भी स्मार्ट सिटी के अफसर चुप्पी साधकर तमाशा देख रहे हैं। शहर के प्रबुद्ध नागरिक अफसरों और जनप्रतिनिधियों की यह शैली देखकर हैरान हैं।

ये है मामला

स्मार्ट सिटी ने स्वच्छता सर्वेक्षण के लिए वर्ष 2018 में शहर में 50 स्मार्ट सोलर डस्टबिन लगाने के लिए अर्जेंट टेंडर निकाला। एसएस कम्युनिकेशन को फायदा पहुँचाने के लिए टेंडर के लिए केवल 14 दिन का समय दिया गया, लेकिन काम 6 माह बाद शुरू किया गया। टेंडर की शर्तों के अनुसार स्मार्ट सोलर डस्टबिन में सोलर पाॅवर सिस्टम, गॉर्बेज कम्प्रेसर, वाई-फाई, स्टेरिलाइजेशन लोशन और एसएमएस अलर्ट लगाया जाना था। एजेंसी ने स्मार्ट सोलर डस्टबिन की जगह प्लास्टिक के डिब्बे टाँग दिए। स्मार्ट सिटी ने जाँच के बाद 7 नवंबर 2019 को टेंडर निरस्त कर दिया।

नियमानुसार विवाद के निपटारे के लिए थे दो विकल्प

नियमों के अनुसार एजेन्सी के पास विवाद के निपटारे के लिए दो विकल्प मौजूद थे। पहले विकल्प के तहत एजेन्सी को स्मार्ट सिटी के प्रभारी अभियंता के समक्ष आवेदन प्रस्तुत करना था। यदि उनका आवेदन निरस्त कर दिया जाता तो दूसरे विकल्प के रूप में स्मार्ट सिटी के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर के समक्ष 90 दिन में अपील प्रस्तुत करनी थी। सुनवाई के बाद यदि अपील खारिज कर दी जाती तो उसके बाद न्यायालय की शरण ली जा सकती थी। एजेन्सी ने दोनों विकल्पों को बायपास करते हुए सीधे न्यायालय की शरण ले ली।

अपूरणीय क्षति के सिद्धांत पर मिली राहत

एजेन्सी की ओर से दलील दी गई कि स्मार्ट सिटी द्वारा उनके सोलर डस्टबिन और विज्ञापन होर्डिंग्स को तोड़ने की कार्रवाई की जा रही है। यदि स्थगन आदेश जारी नहीं किया गया तो उनको अपूरणीय क्षति होगी। इसके आधार पर कोर्ट ने स्थगन दे दिया। इसके साथ ही कोर्ट ने स्मार्ट सिटी को एक माह का समय दिया, ताकि आवेदन का निराकरण किया जा सके।

एजेन्सी और अफसरों की मिलीभगत

इस मामले में एजेन्सी और अफसरों की मिलीभगत सामने आ रही है। जानकारों का कहना है कि चार साल में स्मार्ट सिटी के किसी भी अफसर ने मामले में जवाब पेश करने की पहल नहीं की। इसके कारण मामले में चार साल से स्थगन बरकरार है। यदि निर्धारित समय पर जवाब और जाँच रिपोर्ट पेश कर दी जाती, तो स्थगन समाप्त हो सकता था। वहीं दूसरी तरफ एजेन्सी शहर के प्राइम लोकेशन पर विज्ञापन लगाकर लाखों रुपए कमा रही है।

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