150 एकड़ जमीन की दरकार, एनओसी मिली सिर्फ 20 एकड़ की

नया पाठ्यक्रम शुरू करने रादुविवि को भूमि की जरूरत, बढ़ैयाखेड़ा में जमीन की मिली स्वीकृति

Bhaskar Hindi
Update: 2023-08-22 12:01 GMT

डिजिटल डेस्क,जबलपुर।

रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय का सौ एकड़ का कैंपस अब कम पड़ने लगा है। नये पाठ्यक्रम शुरू करने विवि को अब 150 एकड़ भूमि की जरूरत है। विवि ने प्रस्ताव बनाकर भेजा था कि उन्हें कृषि, इंजीनियरिंग समेत कई पाठ्यक्रमों को संचालित करने के लिए ये कैंपस बनाना है। अभी मानेगाँव के पास बढ़ैयाखेड़ा में सिर्फ 20 एकड़ भूमि की एनओसी मिली है। अभी भी कई विभागों से अनुमति नहीं मिली है जिससे मामला अटका हुआ है। रादुविवि में एक तरफ सेना की तो दूसरी तरफ साइंस काॅलेज की जमीन है। विवि को और जमीन के लिए अब दूसरी जगह तलाश चल रही थी। जिला प्रशासन ने विवि के लिए मानेगाँव के बढ़ैयाखेड़ा में करीब 150 एकड़ जमीन चिन्हित कर दी थी। यहाँ वन भूमि भी थी जिसके लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र वन विभाग से मिल चुका है। अब माइनिंग और शासन से मंजूरी मिलने का इंतजार हो रहा है। सब कुछ ठीक हुआ तो करीब 25 किलोमीटर दूर नया परिसर बनाने का रास्ता साफ हो जाएगा।

प्रस्ताव बनाकर भेजेंगेे

विश्वविद्यालय ने उच्च शिक्षा विभाग से जमीन की जरूरत बताई थी जिसके बाद जिला प्रशासन ने जमीन चिन्हित की है। इसमें वन विभाग ने जरूरी मंजूरी दे दी है। अब माइनिंग विभाग की अनापत्ति मिलने के बाद जरूरी कागज के साथ प्रस्ताव शासन के भेजेंगे, जहाँ से जमीन का आवंटन विश्वविद्यालय को किया जाएगा।

-डाॅ. दीपेश मिश्रा, कुलसचिव रादुविवि

एग्रीकल्चर और डेयरी फार्म के लिए उपयुक्त

विश्वविद्यालय को जो जमीन मिली है वह एग्रीकल्चर और डेयरी के पाठ्यक्रम शुरू करने के लिए उपयुक्त मानी जा रही है। कृषि विषय के लिए विभिन्न सुविधाएँ जु टाने में प्रशासन को 40 एकड़ से ज्यादा जमीन की जरूरत होगी। इसके अलावा डेयरी और भविष्य में नए पाठ्यक्रम प्रारंभ करने के लिए यहाँ अतिरिक्त जमीन की जरूरत होगी। अभी रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय परिसर की करीब 100 एकड़ जमीन में से 10 एकड़ जमीन में अवैध कब्जे हैं, जबकि बाकी जमीन में प्रशासनिक और शिक्षण भवन के साथ अधिकारियों-कर्मचारियों के आवास बने हुए हैं।

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