महिला आरक्षण बिल: चार साल बाद लागू होगा महिला आरक्षण बिल! कांग्रेस ने कसा केंद्र सरकार पर तंज

चार साल बाद लागू होगा महिला आरक्षण बिल! कांग्रेस ने कसा केंद्र सरकार पर तंज
  • पिछले तीन दशक से अटका हुआ है महिला आरक्षण बिल
  • लोकतंत्र के नए मंदिर में पहले बिल के रूप में किया पेश
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। नए संसद भवन में लोकसभा की कार्यवाही में केंद्र सरकार की ओर से पहले बिल के रूप में पिछले तीन दशक से पेंडिंग महिला आरक्षण बिल पेश किया गया है। महिला आरक्षण से जुड़े इस बिल को 'नारी शक्ति वंदन अधिनियम' नाम दिया गया है। एक तरफ सरकार का दावा है कि ये बिल दोनों सदनों में जल्दी से जल्दी पास होगा। दूसरी तरफ कांग्रेस का दावा है कि ये बिल साल 2027 के बाद ही लागू हो सकेगा। सरकार की ओर से लोकसभा में पेश किए गए इस बिल को लेकर विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने सरकार पर तंज कसा है।

दिल्ली में महिलाओं के लिए 33% सीटें आरक्षित

केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने महिला आरक्षण बिल पर कहा, "यह बिल महिला सशक्तिकरण के संबंध में है। इसके माध्यम से संविधान के अनुच्छेद 239AA में संशोधन करके राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCT) दिल्ली में महिलाओं के लिए 33% सीटें आरक्षित की जाएंगी। अनुच्छेद 330A लोक सभा में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के लिए सीटों का आरक्षण है।"

इस बिल के तहत लोकसभा और राज्य विधानसभाओं और दिल्ली विधानसभा में महिलाओं को एक तिहाई आरक्षण दिया जाएगा। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने इसे 128वें संविधान संशोधन विधेयक, 2023 के रूप में मंगलवार को सदन में पटल पर रखा। बुधवार को इस बिल पर सदन में चर्चा होगी। बता दें कि, नए सदन में पेश होने वाला यह पहला विधेयक है।

वर्तमान में लोकसभा में 82 महिला सदस्य हैं। इस बिल के पारित होने के बाद लोकसभा में 181 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हो जाएंगी। साथ ही, इस बिल के अनुच्छेद- 239AA के तहत दिल्ली विधानसभा में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षित हो जाएगी। यानी, 70 विधानसभा सीटों वाले दिल्ली में 23 सीटें महिलाओं के लिए रहेंगी। इसके आलवा अन्य राज्यों में भी महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण मिलेगा।

महिला आरक्षण बिल लागू होने के बाद

गौरतलब है कि, महिला आरक्षण बिल 15 साल के लिए मान्य होगा। 15 साल के बाद भी लोकसभा और विधानसभाओं में अगर महिलाओं को आरक्षण चाहिए होगा तो फिर से सरकार बिल लाना होगा। बता दें कि, "लोकसभा और विधानसभाओं" में एससी-एसटी महिलाओं को अलग से आरक्षण नहीं मिलेगा। यह आरक्षण व्यवस्था आरक्षण के भीतर ही की गई है। यानी लोकसभा और विधानसभाओं के लिए जितनी सीटें एससी-एसटी वर्ग के लिए आरक्षित की गई हैं, उन्हीं सीटों में 33 फीसदी सीट महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी।

लोकसभा में ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षण की व्यवस्था नहीं है। एससी-एसटी की आरक्षित सीटों को हदा दें तो 412 सीटें ऐसी हैं, जिस पर सामान्य और ओबीसी वर्ग के उम्मीदवार साथ-साथ चुनाव लड़ते हैं। ऐसे में महिला आरक्षण बिल लागू होने के बाद 137 सीटें सामान्य और ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षित होंगी। खास बात यह है कि जो सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित नहीं भी है, उस सीट पर महिलाएं चुनाव लड़ने के लिए स्वतंत्र हैं। इस बिल को इसलिए भी लाया गया है ताकि लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं की भागीदारी बढ़ सके।

राज्यसभा में नहीं मिलेगा आरक्षण

राज्यसभा और विधान परिषद वाले राज्यों में यानी इन दोनों सदनों में महिला आरक्षण बिल लागू नहीं होगा। यह बिल केवल लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में ही लागू होगा।

इस बिल के कानून बनने के बाद भी इसे लागू करने में काफी लंबा वक्त लगेगा। 2026 के बाद देश में सीटों का परिसीमन होने के बाद महिला आरक्षण बिल लागू किया जाएगा। इसका मतलब यह है कि 2024 के चुनाव में इस बिल का कोई भी असर नहीं होगा। सरकार ने बताया है कि परिसीमन प्रक्रिया शुरू होने के बाद महिला आरक्षण कानून को लागू किया जाएगा।

Created On :   19 Sept 2023 4:46 PM IST

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