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जिस गांव से होकर पांडव पहुंचे थे स्वर्ग! आज उसी गांव जाएंगे पीएम मोदी, जानिए भारत के अंतिम गांव से जुड़ी कहानी
डिजिटल डेस्क,देहरादून। आपसे अगर पूछा जाए की भारत का अंतिम गांव कौन सा है? इस सवाल को सुनते ही आप उस गांव का नाम जानने के लिए उत्सुक हो जाएंगे। सभी में यह जानने की इच्छा होगी की वह गांव कौन सा है, कहां पर हैं, कैसा है, वहां के लोग कैसे है? ये तमाम सवाल मन में उठना तो लाजमी है, तो आइए जानते है की आखिर वह कौन सा गांव है। और यह गांव चर्चा में क्यों बना हुआ है। बता दे, उस गांव का नाम "माणा" है। जहां पर पीएम नरेन्द्र मोदी 21 अक्टूबर को बद्रीनाथ और केदारनाथ की साथ ही माणा गांव भी जाने वाले हैं। इसे आखिरी गांव इसलिए कहा जा रहा क्योंकि आधिकारिक तौर पर भारत में आखिरी गांव का दर्जा इसे ही मिला हुआ है।
आखिर "माणा गांव" है कहां?
सुर्खीयों में आया माणा गांव उतराखण्ड के "चमोली जिले" में पड़ता है। बता दे इस गांव से चीन की सीमा महज 24 किमी पर ही है। "देवभूमि" कहे जाने वाले उतराखण्ड़ में स्थित बद्रीनाथ से लगभग 3 किमी की दूरी पर यह मौजूद है। गौरतलब है कि, इस गांव की उंचाई समुद्र तल से 3219 मीटर पर स्थित है। माणा गांव में अधिकाश "भोतिया समुदाय" के लोग ही रहते हैं। जिसे मंगोल आदिवासी के नाम से भी जाना जाता हैं।
"पौराणिक कथा" मे भी माणा का नाम
माणा गांव देश का आखिरी गांव तो है ही इसके बावजूद इस गांव के बारे में पौराणिक कथाओं में भी जिक्र किया गया है। पौराणिक कथाओं की माने तो पांडव जब द्रौपदी के साथ स्वर्ग जा रहे थे, तो इसी गांव से होकर गुजरे थे। पांडवों की इच्छा थी की वह सशरीर ही स्वर्ग जाएं। ऐसी मान्यता है की इस पूरे सफर में पाडंवों के साथ एक कुत्ता भी था। इस पूरे यात्रा में केवल युधिष्ठिर को ही सफलता मिली थी। बाकि सभी एक-एक कर के रास्ते में गिरने लगे थे। और उनकी मौत होने लगी। ऐसा माना जाता है की सबसे पहले इस यात्रा में द्रौपदी गिरी। जिसकी वजह से उनकी मृत्यु हो गई। इसके बाद सहदेव, नकुल, अर्जुन और बलशाली भीम गिरे जिसके बाद सभी की मौत हो गई। केवल युधिष्ठिर ही थे जो सशरीर स्वर्ग पहुचें। पौराणिक कथा के अनुसार जो कुत्ता युधिष्ठिर के साथ गया था। वो और कोई नहीं "यमराज" थे।
भीम पुल है मुख्य आकर्षण
माणा गावं मे एक पुल है जो पर्यटन के लिहाज से बेहद चर्चित है। जिसका नाम "भीमपुल" है ऐसा माना जाता है की इस पुल का निर्माण स्वयं भीम ने किया था। यह पुल सरस्वती नदी के ऊपर है। यह पुल माणा गांव के अहम पर्यटन स्थलों में से एक है। पौराणिक कथा के मुताबिक जब पांडवों स्वर्ग जा रहे थे, तभी बीच में सरस्वती नदी मिली।द्रोपदी को नदी पार करने में कठिनाई हो रही थी। यह सब देख भीम ने उसी समय एक बड़ा पत्थर उठाकर नदी पर रख दिया। जिसके बाद द्रोपदी ने पुल पार कर लिया। बता दें कि, ये यहां एक बड़ा सा पत्थर है। भीम के द्वारा रखा गया यह पत्थर पुल के आकार का ही दिखाई पड़ता है।। इस पुल को लेकर एक ऐसी ही मान्यता है कि, यह वही स्थान है जहां महर्षि वेदव्यास ने भगवान गणेश से महाभारत लिखवाई थी।
पर्यटन लिहाज से भी खास है माणा गांव
बता दे कि, जब 2011 की जनगणना की गई तो माणा गांव की आबादी मात्र 1214 रही। यहां पर ठंण्ड के मौसम में लोग निचले इलाके में उतर जाते है, ताकि सर्दियों से बचा जा सके। क्योंकि यह पूरा क्षेत्र सर्दियों के मौसम में बर्फ से ढक जाता है। माणा गांव को एक और प्रसिध्द स्थल खास बनाता है। इस गांव में तप्त कुंड है। ऐसी मान्यता है की इस कुंड में साक्षात "अग्नि देवता" का वास है। इसमे स्नान करने से चर्म रोग ठीक हो जाता है। इलाके के लोग वहां के लोग अग्नि कुंड में "औषधीय गुण" होने का दावा करते हैं।
पर्यटन के हिसाब से देखे तो यहां व्यास गुफा, भीम पुल, सरस्वती मंदिर, गणेश गुफा और अग्नि कुंड जैसे कई स्थल मौजूद है। गौरतलब है कि, वसुधारा झरना भी यहां मौजूद है जो बद्रीनाथ से तकरीबन 9 किमी दूर है। झरने को लेकर यह मान्यता है की पांडव जब स्वर्ग के लिए जा रहे थे। तो इसी स्थान पर विश्राम करने के लिए कुछ समय के लिए रुके हुए थे।
Created On :   20 Oct 2022 6:50 PM GMT