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राजस्थान: धार्मिक महत्व वाले क्षेत्रों में अब नहीं होगा खनन
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डिजिटल डेस्क, जयपुर। राजस्थान सरकार ने राज्य में धार्मिक महत्व के क्षेत्रों में खनन पर प्रतिबंध लगा दिया है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने रविवार को भरतपुर के पसोपा और आसपास के गांवों के साधुओं, महंतों, जनप्रतिनिधियों और ग्रामीणों के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक के दौरान यह घोषणा की। उन्होंने महंत विजयदास के निधन पर शोक व्यक्त भी किया और उनकी सभी मांगों को पूरा करने का वादा किया।महंत विजयदास ने हाल ही में राज्य में अवैध खनन के विरोध में आत्मदाह कर लिया था।
मुख्यमंत्री ने कहा कि संतों की मांग को ध्यान में रखते हुए सरकार द्वारा धार्मिक महत्व के क्षेत्रों में होने वाले सभी प्रकार के खनन पर प्रतिबंध लगाने के लिए पहले ही सैद्धांतिक सहमति दी जा चुकी है।उन्होंने दिवंगत महंत विजयदास के निधन को बेहद दुखद करार दिया।
गहलोत ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा उक्त क्षेत्र में सभी कानूनी खनन गतिविधियों को रोकने के निर्देश दिए गए हैं और साथ ही यह जमीन वन विभाग को हस्तांतरित कर दी गई है।पूर्व में भी संतों की मांग पर क्षेत्र में चल रही कानूनी खदानों को सरकार ने बंद कर दिया था और वर्तमान में 46 वैध खदानों को बंद कर अन्यत्र स्थानांतरित करने की प्रक्रिया चल रही है।प्रतिबंध को एक जटिल प्रक्रिया मानते हुए उन्होंने इसे दो महीने में पूरा करने पर जोर दिया, जिस पर सरकार ने इस समय सीमा में सकारात्मक कार्रवाई का आश्वासन दिया है।गहलोत ने कहा कि जिस इलाके की रोजी-रोटी खदानों पर निर्भर है, वहां के ग्रामीणों को समझाने में वक्त लगता है, लेकिन फिर भी काम तेजी से आगे बढ़ा है।
पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने कहा कि पर्यटन और देवस्थान विभाग की टीमों द्वारा आदिबद्री और कंकांचल जैसे क्षेत्रों का दौरा कर 84 विकास कार्यों की पहचान की गई है। इनमें मुख्य रूप से आदिबद्री धाम में यात्री सुविधाओं का विकास, छतरी का निर्माण, गौरी कुंड का जीर्णोद्धार, यात्रियों के लिए विश्राम गृह आदि शामिल हैं। इन कार्यों के लिए एक सर्वेक्षण किया गया है और इन्हें जल्द ही पूरा कर लिया जाएगा।
इससे पूर्व आदिबद्री धाम के महंत शिवराम दास और पशुपति नाथ मंदिर के नवनियुक्त महंत भूरा बाबा ने हड़ताल समाप्त होने के तुरंत बाद खनन क्षेत्र को वन क्षेत्र में बदलने का आदेश पारित करने के लिए मुख्यमंत्री का धन्यवाद किया।प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने बताया कि राज्य सरकार के निर्देश पर धरना समाप्त होने के तुरंत बाद प्रशासन ने पसोपा और आसपास के क्षेत्रों में सड़क और स्वागत द्वार के निर्माण की स्वीकृति जारी कर दी है।इसने बृज क्षेत्र की पहाड़ियों की सुरक्षा की भी मांग की और भरतपुर के पसोपा में विभिन्न विकास कार्यों के लिए लड़ाई लड़ी, जो मुख्य रूप से क्षेत्र में पर्यटन और विकास की संभावनाओं से संबंधित हैं।
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Created On :   1 Aug 2022 7:30 PM IST