नागपुर में इलाज: नागपुर के निजी अस्पताल में चल रहा घायल नकुल पाटनकर का इलाज, ऑपरेशन होना है लेकिन रुपए नहीं

नागपुर के निजी अस्पताल में चल रहा घायल नकुल पाटनकर का इलाज, ऑपरेशन होना है लेकिन रुपए नहीं
  • दुर्घटना में टूटी हड्डी
  • कोई सरकारी मदद नहीं,
  • नकुल की दादी और बहन को मदद की आस

डिजिटल डेस्क, छिंदवादा। चंदनगांव निवासी १६ वर्षीय नकुल पाटनकर ६ सितंबर को चंदनगांव पॉवर हाउस के पास दुघर्टना में बुरी तरह घायल हो गया। उसके सिर में गंभीर चोटें आई हैं। नागपुर के निजी अस्पताल में उसका इलाज चल रहा है, लेकिन ऑपरेशन के लिए रुपए नहीं है। खासबात यह कि नागपुर के निजी अस्पताल में जिंदगी की जंग लड़ रहा नकुल नाबालिग होने के बावजूद अपनी बड़ी बहन और बूढ़ी दादी का लालन पालन कर रहा था। दरअसल नकुल जब एक वर्ष का था तब उसके पिता मुकेश पाटनकर की करंट लगने से मौत हो गई थी। कुछ दिन बाद मां ने उनसे मुंह फेर लिया, वह उन्हें छोडक़र कहीं चली गई। उस वक्त जैसे तैसे दादी ने दोनों बच्चों को संभाला। नकुल जैसे-जैसे बड़ा होते गया बहन और दादी की जिम्मेदारी उस पर आने लगी। फिलहाल वह फ्लावर डेकोरेशन का काम कर १८ वर्षीय बड़ी बहन और दादी को आर्थिक सहारा दे रहा था।

दुर्घटना में सिर के अगले हिस्से कीहड्डी टूटी

नकुल बाइक फिसलने से अनियंत्रित होकर सडक़ किनारे लगे पोल से टकरा गया था। सिर के अगले हिस्से की हड्डी टूटने की वजह से उसे नागपुर रेफर किया गया है। नागपुर के निजी अस्पताल में उसका इलाज चल रहा है।

अब तक डेढ़ लाख खर्च, आगे इलाज के लिए पैसा नहीं

घायल नकुल पाटनकर के परिचित रम्मू लिखितकर ने बताया कि अब तक के इलाज में करीब डेढ़ लाख रुपए खर्च हो गए हैं। वह भी समाज व रिश्तेदारों के सहयोग से जुटाए गए। जबकि २५ हजार रुपए प्रति दिन खर्च लग रहा है। आगे और ऑपरेशन होना है, जिसके लिए उनके पास पैसा नहीं है। रम्मू के मुताबिक उन्हें मदद की आस है।

आयुष्मान कार्ड नहीं, न ही दूसरी कोई सरकारी सुविधा

रम्मू लिखितकर के मुताबिक नकुल के पास आयुष्मान कार्ड भी नहीं है। इस वजह से उसे इलाज में सरकारी मदद भी नहीं मिल पा रही है। इलाज का पूरा खर्च परिजनों को ही देना है। जबकि परिवार की स्थिति ऐसी नहीं है कि वह इलाज का खर्च उठा सके।

Created On :   9 Sept 2024 4:54 AM GMT

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