लोकसभा चुनाव 2024: चुनाव परिणाम आज, महाकोशल में सबकी नजरें छिंदवाड़ा और मंडला पर
- देश में लोकसभा चुनाव के नतीजे 4 जून को
- मध्यप्रदेश की 29 लोकसभा सीटों के नतीजें
- छिंदवाड़ा और मंडला लोकसभा सीटों पर टिकी नजर
डिजिटल डेस्क, जबलपुर। पहले चरण में 19 अप्रैल को हुए मतदान के 45 दिन बाद आज 4 जून को सामने आने वाले चुनाव परिणामों को लेकर प्रदेश की सभी 29 सीटों के प्रत्याशियों के दिल की धडक़नें बढ़ी हुई हैं। वजह, इस बार 2019 के प्रदेश के 71.16 फीसद औसत मतदान से करीब 5 प्रतिशत (66.20) कम मतदान होना है। मतदान का यह कम प्रतिशत सत्तारूढ़ भाजपा को फायदा पहुंचाएगा या विपक्षी दल कांग्रेस को इसका लाभ मिलेगा, इसे लेकर न कोई दावा नहीं कर पा रहा है और न ही अपनी जीत सुनिश्चित मान रहा है। दूसरी वजह यह है कि आज (मंगलवार को) सामने आने वाले परिणाम कई लोगों के राजनीतिक भविष्य का भी निर्धारण करेंगे और जिस सीट पर दोनों प्रतिद्वंदियों के बीच ऐसी स्थिति बनी है, उस पर पूरे प्रदेश ही नहीं बल्कि देशभर की निगाहें लगी हुई हैं। ऐसी ही सीटों में शुमार हैं महाकोशल की छिंदवाड़ा तथा मंडला लोकसभा सीट। छिंदवाड़ा में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के सांसद पुत्र नकुल के साथ उनके प्रतिद्वंदी भाजपा प्रत्याशी विवेक (बंटी) साहू के लिए भी यह चुनाव निर्णायक हैं। दोनों में से जो जीता वह सिकंदर कहलाएगा और हारने वाले के राजनीतिक जीवन पर विराम लगने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। यही स्थिति मंडला सीट पर भी बनी हुई है जहां केन्द्रीय राज्यमंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने अपने जीवन का 8 वां संसदीय चुनाव लड़ा है। जीत की हैट्रिक की कगार पर बैठे कुलस्ते 2023 के विधानसभा चुनावों में अपने गृह निर्वाचन क्षेत्र निवास में हार चुके हैं। यदि विधानसभा चुनाव जैसे परिणाम संसदीय चुनावों के भी यहां आते हैं तो कुलस्ते की राजनीतिक पारी पर विराम लग सकता है।
इनके पास खोने को कुछ नहीं
मंडला सीट पर कुलस्ते के प्रतिद्वंदी कांग्रेस के ओमकार सिंह मरकाम इस समय डिंडोरी विधानसभा सीट से विधायक हैं। उन्होंने इस सीट पर लगातार चौथी जीत दर्ज की है। चूंकि उन्होंने यह चुनाव कुछ नया पाने के लिए लड़ा है इसलिए पराजय की दशा में इनके राजनीतिक कॅरियर पर बहुत ज्यादा असर नहीं पडऩा है सिवाय इसके कि उनका नाम अपने दोनों संसदीय चुनाव हारने वाले विधायकों/प्रत्याशियों की सूची में जुड़ जाएगा। कमोबेश बालाघाट सीट की भाजपा प्रत्याशी भारती पारधी तथा कांग्रेस के सम्राट सरस्वार के लिए यह पहला चुनाव है। इससे पहले यह दोनों कभी विधानसभा चुनाव तक नहीं लड़े। यही स्थिति महाकोशल की चौथी सीट जबलपुर में भी बनी हुई है। यहां के भाजपा प्रत्याशी आशीष दुबे तथा कांग्रेस के दिनेश यादव का भी यह पहला बड़ा चुनाव है। जबलपुर तथा बालाघाट में जो जीतेगा उसका नाम अपना पहला चुनाव जीतने वालों की सूची में शामिल हो जाएगा। पराजित प्रत्याशी की प्रतिष्ठा इस पर टिकी रहेगी कि वह कितने कम मतों के अंतर से चुनाव हारा।
विंध्य में भाजपा के 3 सांसदों के प्रदर्शन पर भी सबकी नजर
विंध्य की चार में से मात्र सतना ऐसी सीट है जिसके परिणामों पर सबकी निगाहें हैं। वजह, भाजपा सांसद गणेश सिंह भी कुलस्ते की तरह 2023 के विधानसभा चुनाव में जीत हासिल नहीं कर सके थे। उनका मुकाबला बीते विधानसभा चुनाव में पराजय का स्वाद चखाने वाले कांग्रेस के सिद्धार्थ कुशवाह से रहा। निश्चित ही यहां के परिणाम गणेश सिंह के साथ सिद्धार्थ की भावी राजनीति की दिशा तय करेंगे। विंध्य की रीवा तथा शहडोल सीट पर भी भाजपा ने अपने 2019 का चुनव जीते प्रत्याशियों को रिपीट किया। शहडोल में सांसद हिमाद्री सिंह के सामने कांग्रेस ने अपने तीन बार के पुष्पराजगढ़ विधायक फुंदेलाल सिंह मार्को को उतारा। इसी तरह से रीवा में भाजपा के सांसद जनार्दन मिश्रा के खिलाफ कांग्रेस ने अपने सेमरिया विधायक अभय मिश्रा की पत्नी नीलम को मैदान में उतारा। तय है इन दोनों सीटों के परिणामों का असर कांग्रेस से ज्यादा भाजपा के प्रत्याशियों पर पडऩा है। विंध्य की सीधी सीट पर भाजपा के डॉ. राजेश मिश्रा तथा कांग्रेस के कमलेश्वर पटेल का यह पहला संसदीय चुनाव है। यहां भाजपा के बागी राज्यसभा सांसद अजस प्रताप सिंह (गोंगपा) के प्रदर्शन पर भी प्रेक्षकों की निगाहें हैं।
बुंदेलखंड में खजुराहो और टीकमगढ़ ज्यादा चर्चा में
बुदेलखंड की सागर तथा दमोह सीट से ज्यादा चर्चा खजुराहो और टीकमगढ़ की है। वजह, टीकमगढ़ में केन्द्रीय मंत्री वीरेन्द्र कुमार खटीक तथा खजुराहो में सांसद तथा प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा का प्रदर्शन 2019 की तुलना में 2024 में कैसा रहा, यह इन दोनों प्रत्याशियों के साथ सब जानना चाह रहे हैं। खजुराहो में तो नामांकन प्रक्रिया के अंतिम दौर में इंडिया गठबंधन की सपा प्रत्याशी मीरा यादव का नामांकन खारिज होने से मैदान लगभग साफ हो गया था तो टीकमगढ़ में कांग्रेस के पंकज अहिरवार केन्द्रीय मंत्री खटीक के सामने हैं। कांग्रेस में यहां कितना दम बचा है, यह आज आने वाले परिणामों के साथ साफ हो जाएगा। विंध्य की दमोह सीट के दोनों प्रमुख प्रतिद्वंदियों राहुल सिंह लोधी (भाजपा) तथा तरबर सिंह लोधी (कांग्रेस) का यह पहला संसदीय चुनाव है, लिहाजा एक नया इतिहास इस सीट पर बनेगा। कुछ ऐसा ही इतिहास सागर सीट पर भी बनेगा जहां भाजपा की लता वानखेड़े तथा कांग्रेस के चंद्रभान सिह बुंदेला पहली बार संसदीय चुनाव के समर में उतरे हैं।
Created On :   4 Jun 2024 1:00 AM IST