भास्कर एक्सक्लूसिव: मोदी की गारंटी पर भारी पड़ेंगे बिहार के लोकल मुद्दे? पलायन, विशेष राज्य की मांग के साथ तेजस्वी ने अकेले संभाली कमान

मोदी की गारंटी पर भारी पड़ेंगे बिहार के लोकल मुद्दे? पलायन, विशेष राज्य की मांग के साथ  तेजस्वी ने अकेले संभाली कमान
  • तेजस्वी ने बिहार में लोकल मुद्दे को बनाया चुनावी मुद्दा
  • बीजेपी काट निकालने की तलाश में जुटी
  • पलायन, बेरोजगारी और महंगाई पर वोट करेगी जनता!

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। 40 लोकसभा सीटों वाले बिहार में इस बार का लोकसभा चुनाव कई मायने में खास है। पहले चरण में यहां पर चार सीटों पर चुनाव होने वाले हैं। जिनमें जमुई, औरंगाबाद, गया और नवादा सीट शामिल है। इन सीटों पर सभी पार्टियां जोर-आजमाइश करती नजर आई थी। हालांकि, बिहार में इस बार का चुनाव स्थानीय मुद्दे पर लड़ा जा रहा है। राज्य में पलायन बड़ी समस्या बनी हुई है। जिस पर बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव केंद्र की बीजेपी सरकार को घेर रहे हैं। तेजस्वी यादव राज्य में स्थानीय मुद्दे को तूल दे रहे हैं। जिसका तोड़ बीजेपी अभी तक निकालने में सफल नजर नहीं आ रही है। ऐसे में समझने की कोशिश करते हैं कि बिहार में वह कौन से ऐसे मुद्दे हैं, जिन पर राज्य की जनता वोट कर सकती है।

17 महीने के कार्यकाल पर वोटिंग

पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के नेतृत्व में बिहार में रही महागठबंधन की सरकार इसी साल जनवरी महीने में गिर गई थी। तेजस्वी और नीतीश कुमार के नेतृत्व में यह सरकार 17 महीने 2 हफ्ते तक चली। इस दौरान राज्य में नौकरियों की दोबारा बौछार देखने को मिली। इससे राज्य में लालू यादव की पार्टी आरजेडी की छवि बेहतर हुई। इस दौरान तेजस्वी ने न केवल बिहार में जनता का विश्वास जीता बल्कि, युवाओं में अपनी एक अलग पहचान बनाई।

तेजस्वी यादव की सक्रियता

राज्य में इंडिया गठबंधन की ओर से तेजस्वी यादव अकेले कमान संभाले हुए हैं। तेजस्वी अपने 17 महीने के कार्यकाल पर वोट मांग रहे हैं। साथ ही, वह इंडिया गठबंधन की मेनिफेस्टो का भी जमकर प्रचार कर रहे हैं। वहीं, तेजस्वी अपने चुनावी रैली के दौरान स्थानीय मुद्दे को हवा दे रहे हैं। जिससे बीजेपी की मुश्किलें बढ़ती हुई दिखाई दे रही है। तेजस्वी यादव राज्य में बीजेपी के बीते दस सालों के कार्यकाल में बढ़ी महंगाई और बेरोजगारी को भी मुद्दा बना रहे हैं। इसके अलावा तेजस्वी राज्य में बढ़ रहे पलायन पर भी केंद्र सरकार को घेरने की कोशिश कर रहे हैं।

अग्निवीर योजना बना राज्य में बड़ा मुद्दा

बिहार साल में छह महीने बाढ़ की चपेट में रहता है। जिसके चलते वहां कृषि से जुड़ी कई सारी समस्या देखने को मिलती है। वहां की जनता को ना चाहते हुए भी मजबूरन अपने घर को छोड़कर बाहर जाना पड़ता है। वहां पर बड़ी संख्या में युवा नौकरी की तलाश में रहते हैं ताकि वह अपनी आर्थिक स्थिति को बेहतर कर सके। राज्य में नौकरी का क्रेज काफी ज्यादा है। ऐसे में वहां पर बड़ी संख्या में युवा भारतीय सेना में भर्ती होते हैं। लेकिन, केंद्र सरकार द्वारा अग्निवीर योजना लाए जाने के बाद से ही राज्य में बड़ी संख्या में युवावर्ग नाराज हैं। साल 2022 के जून महीने में यहां की जनता ने अग्निवीर योजना का विरोध करते हुए कई सारी ट्रेनों को आगे के हवाले कर दिया था। जिसके बाद सरकार की ओर से बड़ी संख्या में युवाओं पर कार्रवाई हुई। ऐसे में तेजस्वी यादव अग्निवीर योजना के खिलाफ बने अंडर करंट पर भी संभावनाएं तलाश रहे हैं।

जेडीयू के 'पलटीमार' का विकल्प तलाश रही जनता

बिहार में नीतीश कुमार बीते दस सालों में कई बार पलटीमार चुके हैं। ऐसे में बिहार की जनता राज्य में स्थाई नेतृत्व की तलाश में जुटी हुई है। कई मीडिया रिपोर्ट्स और राजनीतिक जानकारों का कहना है कि नीतीश कुमार के बार-बार पलटी मारने से उनकी पार्टी जेडीयू को आगामी लोकसभा चुनाव में बड़ा नुकसान हो सकता है। आरजेडी नेता तेजस्वी यादव अपने चुनाव रैली में बिहार को विशेष राज्य बनाने की मांग को भी मुद्दा बनाए हुए हैं। साथ ही, इस बार आरजेडी ने अपने मेनिफेस्टो में भी बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की बात कही है।

Created On :   18 April 2024 2:25 PM GMT

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