एक होते विपक्ष की राह का रोड़ा बनेंगे वो सवाल, जिनके मायाजाल में उलझ सकती है कांग्रेस?

एक होते विपक्ष की राह का रोड़ा बनेंगे वो सवाल, जिनके मायाजाल में उलझ सकती है कांग्रेस?

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कांग्रेस 9 सालों से केंद्र की सत्ता से बाहर चल रही है। हालांकि, देश की आजादी के बाद ऐसा पहली बार जब कांग्रेस इतने लंबे समय के लिए केंद्र की सत्ता से बाहर है। देश में अगले साल लोकसभा चुनाव होने वाले हैं। इसे मद्देनजर रखते हुए विपक्षी एकता को लेकर कवायद तेज है। इसके लिए बैठकों का दौर भी जारी है। बीते शुक्रवार को राजधानी पटना में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई में 15 दलों ने बीजेपी के खिलाफ मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया। लेकिन मामला सीटों के बंटवारे को लेकर फंसता नजर आ रहा है। हालांकि, सीट बंटवारें को लेकर अभी चर्चा होना बाकी है। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि सीट शेयरिंग, शीर्ष नेतृत्व, कॉमन एजेंडा और बाकी अन्य मसलों को लेकर 10 या 12 जुलाई को शिमला में बैठक होगी। जहां सीटों के बंटवारे को लेकर फैसला होना लगभग तय माना जा रहा है। ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि विपक्षी एकता होगी तो क्या कांग्रेस के हाथ से देश के 10 बड़े लोकसभा राज्य निकल सकते हैं। हालांकि इस वक्त इन राज्यों में कांग्रेस की सरकार तो नहीं है। लेकिन यहां पर कांग्रेस की स्थिति इतनी भी खराब नहीं है। जानते हैं कि किन किन राज्यों में सीट बंटवारे को लेकर मामला फंस सकता है।

दिल्ली, पंजाब और केरल में कांग्रेस की क्या होगी रणनीति?

शिमला में विपक्षी एकता की बैठक में दिल्ली, पंजाब और केरल में लोकसभा सीटें के बंटवारे को लेकर आम आदमी पार्टी व वाम दलों से लेकर कांग्रेस की तकरार होना तय है। इन राज्यों में सीटों का बंटवारा करना असान नहीं होगा। कांग्रेस इन राज्यों में संभवतः अकेले दम पर चुनाव लड़ेगी।

इन राज्यों में उलझता समीकरण

अगर विपक्षी एकता होती है तो उत्तर प्रदेश की 80 सीटों पर सपा व आरएलडी, बिहार की 40 सीटों पर आरजेडी और जेडीयू, पश्चिम बंगाल की 42 सीटों पर तृणमूल कांग्रेस, महाराष्ट्र की 48 सीटों पर शिवसेना (ठाकरे) और शरद पवार की एनसीपी, तमिलनाडु की 39 सीटों पर डीएमके ज्यादातर सीटों पर अपनी दावेदारी पेश करेगी। जहां कांग्रेस की स्थिति खराब होने की संभवानाएं हैं। इसके अलावा झारखंड की 14 सीटों पर झारखंड मुक्ति मोर्चा और केरल की 20 लोकसभा सीटों पर सीपीआई (एम) अगर ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने की मांग करेगी तो कांग्रेस के पास क्या रणनीति होगी? इसके अलावा पंजाब की 13 और दिल्ली की 7 सीटें पर आम आदमी पार्टी ज्यादा सीट शेयरिंग की फिराक में रहेगी। अगर ऐसा हुआ तो केंद्र में अपनी पकड़ रखने वाली पार्टी कांग्रेस की खुद की स्थिति दोयम दर्जे वाली होकर रह जाएगी। इन राज्यों में लोकसभा की कुल 309 सीटें हैं।

कांग्रेस इन सीटों पर लड़ेगी चुनाव

अब बात करते हैं जहां कांग्रेस और बीजेपी में सीधी टक्कर होती है। इन राज्यों में मध्यप्रदेश की 29, छत्तीसगढ़ की 11, राजस्थान की 25, आंध्र प्रदेश की 25, कर्नाटक की 28, गुजरात की 26, तेलंगाना 17, चंडीगढ़ की 1, अरुणाचल प्रदेश की 2, असम की 14, दादर एंड नगर हवेली की 1, दमन एंड दीयू की 1, गोवा की 2, हरियाणा की 10, हिमाचल की 4, लक्षद्वीप की 1, मणिपुर की 2, मेघालय की 2, मिजोरम की 1, नागालैंड की 1, उड़ीसा की 21, सिक्किम की 1, त्रिपुरा की 2, पांडिचेरी की 1, उत्तराखंड की 5 सीटें शामिल है। विपक्षी ऐकता के बाद इन राज्यों में कांग्रेस अकेले चुनाव लड़ेगी। इन सभी राज्यो में लोकसभा की कुल 233 सीटें हैं। जहां बीजेपी और कांग्रेस में सीधा मुकाबला होता है। इन राज्यों में किसी तीसरी पार्टी का खास दबदबा नहीं है। विपक्षी एकता में जो पार्टी मौजूद है उनके नेता भी इन राज्यों में बीजेपी के खिलाफ कांग्रेस की कुछ खास मदद नहीं कर पाएंगे। यहां पर कांग्रेस को खुद के दम पर चुनाव जीतकर लोकसभा में अपनी दावेदारी पेश करनी होगी। अगर इन राज्यों में कांग्रेस पिछड़ जाती है तो विपक्षी एकता का नेतृत्व कौन करेगा? यह भी बड़ा सवाल है? कहीं ऐसा न हो कि विपक्षी एकता में किसी क्षेत्रीय दल का दबदबा लोकसभा चुनाव के बाद बढ़ जाए। साथ ही कांग्रेस के हाथों से केंद्र की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी होने का तमगा भी ना छिन जाए। सवाल ढेर सारे हैं।

2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस 421 सीटों पर चुनाव लड़ी थी। जिसमें पार्टी 52 सीटें जीती थी। 196 सीटें ऐसी रही जहां कांग्रेस दूसरे नंबर पर रही। ऐसे में कांग्रेस जिन सीटों पर चुनाव जीती है वहां पर तो वह खुद चुनाव लड़ने की कोशिश करेगी। लेकिन जहां पर पार्टी दूसरे नंबर पर रही है। वहां पर भी पार्टी खुद की दावेदारी पेश करेगी। साथ ही एक और सवाल है कि क्या 421 लोकसभा सीटों चुनाव लड़ने वाली कांग्रेस अगले साल होने वाले आम चुनाव में केवल 233 सीटें पर चुनाव लडे़गी? कांग्रेस विपक्षी ऐकता के लिए इतना बड़ा त्याग कर सकती है?

शिमला में इन सवालों पर भी कांग्रेस की होगी रणनीति

- अगर राहुल गांधी को अदालत से राहत नहीं मिलती है तो कांग्रेस की ओर से प्रधानमंत्री का चेहरा कौन रहेगा?

- उत्तर प्रदेश जो कि गांधी परिवार का गढ़ रहा है, वहां सपा से कांग्रेस समझौता करने में कामयाब रहेगी?

Created On :   24 Jun 2023 6:43 PM IST

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