भास्कर एक्सक्लूसिव: महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड के विधानसभा चुनाव से बदलेगा देश का सियासी मिजाज, बीजेपी के लिए क्या है चुनौती?
- महाराष्ट्र में उद्धव और शरद पवार के साथ सहानुभूति फैक्टर
- हरियाणा में किसान आंदोलन रहेगा प्रभावी मुद्दा
- झारखंड में भ्रष्टाचार को बीजेपी बना सकती है चुनावी मुद्दा
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बीजेपी को लोकसभा चुनाव 2024 में काफी नुकसान का सामना करना पड़ा। पार्टी इस बार के आम चुनाव में 303 सीटों से घटकर 240 सीटों पर आ गई। साथ ही, बीजेपी लोकसभा चुनाव में पूर्ण बहुमत का भी आंकड़ा पार नहीं कर पाई। अब पार्टी के शीर्ष नेता के लिए सबसे बड़ा सिरदर्द महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड का विधानसभा चुनाव है। इस साल नवंबर में इन तीनों राज्यों में चुनाव होंगे। जिसमें बीजेपी को काफी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है। इन राज्यों में अलग-अलग मुद्दे पर चुनाव लड़े जाने हैं।
बीजेपी की मौजूदा स्थिति
हरियाणा में बीजेपी कुछ निर्दलीय विधायकों के दम पर सरकार चला रही है। वहीं, महाराष्ट्र में बीजेपी शिंदे गुट और अजित पवार गुट के साथ मिलकर सरकार चला रही है। इसके अलावा झारखंड में इंडिया गठबंधन की सरकार है। ऐसे में बीजेपी की चुनौती हरियाणा और महाराष्ट्र को बचाने की है। साथ ही, झारखंड में बीजेपी के सामने बेहतरीन प्रदर्शन करके एक बार फिर सत्ता हासिल करने की चुनौती है।
विस चुनाव में बीजेपी की मुश्किलें
लोकसभा और विधानसभा में पूरी तरह से अलग-अलग मुद्दे पर चुनाव लड़े जाते हैं। लोकसभा में जहां देशहित के मुद्दे पर चुनाव लड़ा जाता है। वहीं, विधानसभा चुनाव में स्थानीय मुद्दे हावी रहते हैं। राज्य के चुनाव में स्थानीय पार्टियों का भी काफी ज्यादा बोलबाला रहता है। जिसके चलते बड़ी पार्टियों को क्षेत्रीय पार्टियों के साथ समझौता भी करना पड़ता है। हर विधानसभा की अलग-अलग समस्या होती है। अगर इन तीनों राज्यों में बीजेपी चुनाव हारती है तो विपक्ष पहले से और ज्यादा हावी हो सकता है। अगर इन तीनों राज्यों में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ता है तो देश में विपक्ष का सियासी दबदबा बढ़ेगा।
महाराष्ट्र में बीजेपी की मुश्किलें
हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी 13 सीटों के साथ महाराष्ट्र में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। यहां इंडिया गठबंधन को लोकसभा की 48 सीटों में से 31 को सीटें मिली है। जिसमें काग्रेस को 13, शरद पवार की पार्टी एनसीपी(एसपी) को 8 और उद्धव ठाकरे की शिवसेना को 9 सीटें मिली हैं। वहीं, सांगली सीट से एक निर्दलीय सांसद ने भी कांग्रेस को अपना समर्थन दिया है। वहीं, एनडीए गठबंधन को महाराष्ट्र में केवल 17 सीटें मिली है। जिसमें बीजेपी 9 सीटें, शिंदे गुट को 7 और अजित पवार की एनसीपी को 1 सीटें मिली हैं।
इंडिया गठबंधन विधानसभा चुनाव में भी लोकसभा चुनाव की तरह प्रदर्शन करने की उम्मीद कर रही है। राजनीतिक जानकार का मानना है कि बीजेपी ने राज्य में स्थानीय पार्टी को तोड़ने के चलते उसे विधानसभा चुनाव में भी नुकसान उठाना पड़ सकता है। उद्धव ठाकरे और शरद पवार के साथ साहनभूति फैक्टर काम कर रहा है। जोकि विधानसभा चुनाव के दौरान भी हावी रह सकता है। साथ ही, उद्धव ठाकरे गुट और शरद पवार गुट महाराष्ट्र की राजनीति में काफी सक्रिय रहते हैं। ऐसे में विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी को महाराष्ट्र में बड़े मुद्दे तलाशने होंगे। ताकि चुनाव को नया मोड़ दिया जा सके। यहां बीजेपी को अभी से स्थानीय मुद्दे पर काम करना होगा। 288 विधानसभा सीटों वाले महाराष्ट्र में बीजेपी के साथ शिंदे गुट और अजित पवार गुट को लोकसभा चुनाव से बेहतरीन प्रदर्शन करना होगा।
झारखंड में क्या है चुनौती
14 लोकसभा सीटों पर वाले झारखंड में बीजेपी को इस बार के आम चुनाव में नुकसान का सामना करना पड़ा है। राज्यो में बीजेपी ने पिछली बार के मुताबिक 3 सीटों को नुकसान हुआ है। बीजेपी ने इस बार के लोकसभा चुनाव में राज्य में केवल 8 सीटें ही जीती हैं। साल 2014 के झारखंड विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने जीत हासिल की थी। तब रघुवर दास मुख्यमंत्री बने थे। लेकिन 2019 के झारखंड विधानसभा चुनाव में हेमंत सोरेन की पार्टी ने कांग्रेस की मदद से राज्य में अपनी सरकार बनाई।
इस बार के चुनाव में हेमंत सोरेन की पार्टी को 3 सीटें मिली हैं। जो कि पिछले बार के मुकाबले दो सीटें ज्यादा है। राज्य में हेमंत सोरेन की पकड़ आदिवासी वोट बैंक पर है। वहीं, कांग्रेस भी इस समुदाय में अच्छी खासी पकड़ रखती है। जिसका फायदा इंडिया गठबंधन को होगा। 81 विधानसभा सीटों वाले झारखंड राज्य में गरीबी, मंहगाई, बेरोजगारी और पलायन बड़ी समस्या है। यह मुद्दा इस बार के चुनाव में छाया रहेगा। बीजेपी झारखंड में आदिवासी वोट बैंक पर अपनी पैठ बनाने की कोशिश कर रही है। साथ ही, पार्टी हेमंत सोरेन को जमीन घोटाला मामले में घेरने की कोशिश कर रही है। इधर, सोरेन खुद की गिरफ्तारी को आदिवासी समुदाय के साथ हुए भेदभाव के साथ जोड़कर पेश करने में लगे हुए हैं।
2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने शानदार प्रदर्शन किया था। लेकिन, विधानसभा चुनाव में बीजेपी आदिवासी समुदाय के वोट बैंक पर पकड़ नहीं बना पाई। जिसके चलते बीजेपी को राज्य में सरकार गंवानी पड़ी। हालांकि, बीजेपी इस चुनाव में भ्रष्टाचार के मुद्दे पर कांग्रेस और हेमंत सोरने को घेरेगी। इस बार ईडी, सीबीआई के छापे ने कांग्रेस की राज्य में पोल खोल दी है। राज्य में कांग्रेस के नेताओं (धीरज साहू, आलमगीर आलम) के घर से करोड़ों नोट मिले हैं। जिससे कांग्रेस भी परेशान है।
हरियाणा में क्या है चुनौती
हरियाणा ने इस बार के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को बड़ा झटका दिया है। राज्य में 10 लोकसभा सीटों में बीजेपी को इस बार 5 सीटें मिली है। वहीं, बीजेपी ने पिछली बार के लोकसभा चुनाव में राज्य में क्लीन स्वीप किया था। लेकिन इस बार कांग्रेस ने राज्य में 5 सीटें जीतकर बेहतरीन प्रदर्शन किया था।
राज्य के पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला की पार्टी जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) इस बार का विधानसभा चुनाव अकेले लड़ने जा रही है। राज्य में कांग्रेस और बीजेपी के आमने-सामने की टक्कर है। लेकिन, दुष्यंत चौटाला की पार्टी कई सीटों पर पर बीजेपी और कांग्रेस का खेल बिगाड़ सकते हैं। यहां किसान आंदोलन का मुद्दा काफी ज्यादा हावी है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि विस चुनाव के बाद एक बार फिर राज्य हंग असेंबली का बनता है तो चौटाला बीजेपी के साथ ही जाएंगे। लेकिन, कांग्रेस के हाल लोकसभा चुनाव के प्रदर्शन से बीजेपी और जेजेपी की मुश्किलें बढ़ सकती है।
यहां बीजेपी ने हाल ही में नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाया था। मनोहर लाल खट्टर अब केंद्र में कैबिनेट मंत्री बन चुके हैं। 90 विधानसभा सीटों वाले हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर की पकड़ काफी ज्यादा मजबूत है। लेकिन करनाल सीट से खट्टर को लोकसभा भेजना बीजेपी के क्या फायदा दिलाती है यह तो विधानसभा चुनाव के परिणाम ही बताएंगे। माना जा रहा है कि खट्टर ठीक तरीके से जेजेपी के साथ गठबंधन चलाने में असफल रहे। साथ ही, वह हरियाणा के किसानों में बीजेपी के खिलाफ बने एंटी इनकंबेंसी को रोकने में विफल रहे। इसलिए बीजेपी ने हरियाणा में चेहरा बदला।
Created On :   3 July 2024 7:19 PM IST