मुर्शिदाबाद हिंसा: शांति बहाल रखने में सरकार नाकाम! BJP सांसद सुकांत मजूमदार का ममता सरकार पर तीखा हमला

- मुर्शिदाबाद में वक्फ कानून को लेकर भड़की हिंसा
- शांति बहाल रखने में ममता सरकार नाकाम
- BJP सांसद सुकांत मजूमदार का टीएमसी सरकार पर हमला
डिजिटल डेस्क, कोलकाता। पश्चिम बंगाल की भाजपा इकाई के अध्यक्ष और केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री सुकांत मजूमदार ने हिंदुओं की मदद के लिए मालदा में स्थित भाजपा के कार्यालय में नियंत्रण कक्ष का उद्घाटन किया। इस दौरान उन्होंने मुर्शिदाबाद हिंसा को लेकर ममता बनर्जी सरकार पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि मुर्शिदाबाद प्रशासन पूरी तरह से विफल हुआ है।
सुकांत मजूमदार ने सोमवार को मुर्शिदाबाद के शमशेरगंज इलाके से भागकर मालदा जिले के वैष्णव नगर में स्थित परलालपुर हाई स्कूल में शरण लिए हुए लोगों से बात की। इस दौरान उन्होंने भरोसा दिलाया कि वे उनके साथ हैं।
ममता सरकार पर सुकांत मजूमदार का तंज
सुकांत मजूमदार ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा, "हिंदुओं को बचाने में मुर्शिदाबाद प्रशासन पूरी तरह से विफल हुआ है। ममता बनर्जी की पुलिस दंगा वाले क्षेत्र में जाने से डर रही थी, लेकिन बीएसएफ के आने के बाद वह हिंसा वाले क्षेत्र में पहुंच पाई। ममता बनर्जी की जिम्मेदारी है कि वह लोगों की सुरक्षा करें।"
उन्होंने कहा कि पुलिस प्रशासन मालदा के परलालपुर हाई स्कूल से जबरन कैंप हटाने की कोशिश कर रहा है। मैं राज्य सरकार से कहूंगा कि जब तक सुरक्षा सुनिश्चित नहीं हो जाती, तब तक किसी को भी जबरन मुर्शिदाबाद वापस नहीं भेजा जाएगा।
लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करें राज्य सरकार - सुकांत मजूमदार
सुकांत मजूमदार ने बताया कि मुझे जानकारी है कि 17 और 18 तारीख को राज्य में और भी खतरनाक स्थिति पैदा हो सकती है। राज्य सरकार को सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए। मैं गृह मंत्री अमित शाह से भी बात करूंगा।
उल्लेखनीय है कि संसद से वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 पारित होने के बाद मुर्शिदाबाद में बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन हुए, जो बाद में हिंसक हो गए। बड़ी संख्या में हिंदू वहां से पलायन कर रहे हैं। इस बीच, कलकत्ता हाई कोर्ट की एक विशेष डिवीजन बेंच ने मुर्शिदाबाद जिले में भड़की हिंसा के बाद केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल तैनात करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा हाल के दिनों में वक्फ (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ प्रदर्शनों के दौरान सांप्रदायिक अशांति को नियंत्रित करने के लिए किए गए उपाय पर्याप्त नहीं थे। बेंच ने यह भी कहा कि अगर पहले सीएपीएफ तैनात किया गया होता, तो स्थिति इतनी गंभीर और अस्थिर नहीं होती।
कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा, "केंद्रीय सशस्त्र बलों की पहले तैनाती से स्थिति को कम किया जा सकता था, क्योंकि ऐसा प्रतीत होता है कि समय पर पर्याप्त उपाय नहीं किए गए।"
Created On :   15 April 2025 12:51 AM IST