राज्यसभा : 'दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक' व 'जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण संशोधन बिल' पारित

राज्यसभा : दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक व जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण संशोधन बिल पारित
  • जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण संशोधन बिल' पारित
  • राज्यसभा में विपक्ष ने किया विरोध

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। राज्यसभा में सोमवार रात 'राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक' पारित हो गया। इस विधेयक के पक्ष में 131 वोट पड़े और बिल के खिलाफ विपक्ष के 102 सांसदों ने वोट दिया। इससे पहले लोकसभा इस विधेयक को पारित कर चुकी है। सोमवार रात राज्यसभा में वोटिंग के लिए इलेक्ट्रॉनिक बटन का इस्तेमाल नहीं किया जा सका। इसके स्थान पर सांसदों ने कागज की स्लिप पर अपना मतदान किया। इसके साथ ही राज्यसभा ने सोमवार देर रात 'रजिस्ट्रेशन ऑफ डेथ एंड बर्थ अमेंडमेंट बिल 2023' को भी अपनी स्वीकृति दे दी।

रात करीब 10 बज कर 40 पर राज्यसभा ने यह बिल पारित किया, इसके बाद राज्यसभा को मंगलवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया। सोमवार को राज्यसभा में दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक पक वोटिंग से पहले केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में विपक्ष को चुनौती देते हुए कहा कि राज्यसभा में हमारा बिल गिरा दो।

गौरतलब है कि केंद्र सरकार 19 मई को दिल्ली सरकार में तैनात अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग से जुड़ा एक अध्यादेश लाई थी। इस अध्यादेश में सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले को पलट दिया, जिसमें अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग का अधिकार दिल्ली सरकार को दिया गया था। अब यही विधेयक राज्यसभा में पेश किया गया था। इस विधेयक को लोकसभा की मंजूरी पहले ही प्राप्त हो चुकी है। राज्यसभा में इस विधेयक पर वोटिंग के दौरान एक महत्वपूर्ण बात यह भी रही कि राज्यसभा के उपसभापति व जेडीयू सांसद हरिवंश पर जेडीयू द्वारा जारी किए गए व्हिप की अनिवार्यता लागू नहीं हुई।

दरअसल, 'राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक' के खिलाफ वोट करने के लिए जदयू ने अपने सभी सांसदों को यह व्हिप जारी किया था। हालांकि मतदान के समय उपराष्ट्रपति सदन में मौजूद नहीं थे, ऐसे में हरिवंश राज्यसभा में पीठासीन थे। पीठासीन होने के कारण उन्हें मतदान करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता था, और उन्होंने मतदान नहीं किया। मतदान न करने के बावजूद हरिवंश पर व्हिप के उल्लंघन का आरोप या कार्रवाई नहीं हो सकती। इस विधेयक के खिलाफ वोट करने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री व्हीलचेयर पर संसद में आए थे। 90 वर्षीय पूर्व प्रधानमंत्री अपने सहयोगी की सहायता से सदन में व्हीलचेयर पर ही बैठे।

कांग्रेस ने अपने सांसदों के लिए एक व्हिप जारी किया था। कांग्रेस ने अपने सांसदों को व्हिप जारी करके बिल के खिलाफ वोट करने को कहा था। इसके साथ ही पार्टी ने अस्वस्थ नेताओं के लिए एम्बुलेंस की व्यवस्था की, ताकि वह विधेयक पर चर्चा के दौरान विधेयक के खिलाफ अपना वोट डाल सकें। केंद्रीय गृहमंत्री शाह ने सोमवार दोपहर राज्यसभा में 'राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक' पेश किया। इस विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए शाह ने कहा कि यह बिल लाने का उद्देश्य केवल और केवल दिल्ली में सुचारु रूप से भ्रष्टाचार विहीन शासन देना है।

गृहमंत्री ने कहा कि इस बिल के एक भी प्रावधान से पहले जो व्यवस्था थी, उसमें कोई बदलाव नहीं होगा। उन्होंने कहा कि यह बिल सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का किसी भी तरह से उल्लंघन नहीं करता है। अमित शाह ने कहा कि इस बिल से ट्रांसफर पोस्टिंग की सेवाओं के अधिकारों का जो वर्णन किया गया है, प्रैक्टिस में पहले भी यह सारे अधिकार ही चलते थे। उन्होंने कहा कि मदन लाल खुराना दिल्ली के मुख्यमंत्री रहे। साहिब सिंह वर्मा मुख्यमंत्री और थोड़े समय के लिए सुषमा स्वराज मुख्यमंत्री बनीं। शीला दीक्षित मुख्यमंत्री बनीं, लेकिन किसी का केंद्र सरकार से झगड़ा नहीं हुआ। ये लोग विकास करना चाहते थे।

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Created On :   8 Aug 2023 8:32 AM IST

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