एक देश-एक चुनाव बिल: 'जॉर्ज सोरोस की संतानें राष्ट्र एकता के लिए जरूरी हर फैसले का विरोध करेंगी', विधेयक का विरोध करने वालों पर बरसे आचार्य प्रमोद कृष्णम
- लोकसभा में पेश हुआ वन नेशन वन इलेक्शन बिल
- विपक्षी दलों ने किया बिल का विरोध
- आचार्य प्रमोद कृष्णम ने विपक्षी दलों पर साधा निशाना
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केंद्रीय कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद मंगलवार को 'वन नेशन, वन इलेक्शन' बिल को लोकसभा में पेश किया गया। अब इसे संयुक्त सदन समिति (जेपीसी) में भेजा जाएगा। इसके साथ ही इस बिल पर सियासी प्रतिक्रियाएं आनी भी शुरू हो गई हैं। पूर्व कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने इसका सपोर्ट किया और विरोध करने वाले विपक्षी दलों पर निशाना साधा।
उन्होंने कहा, 'वन नेशन, वन इलेक्शन' देश के लिए बहुत अच्छा है। यह एक विधान, एक निशान और एक संविधान के सूत्र को मजबूत करता है। लेकिन अफसोस की बात है कि जब भारत के नए संसद का उद्घाटन और राम मंदिर बना तो कुछ लोगों के पेट में दर्द हुआ। तीन तलाक हटाया गया, श्री कल्कि धाम मंदिर का शिलान्यास हुआ तब भी ऐसा हुआ। उनके पेट में 'वन नेशन, वन इलेक्शन' को लेकर भी दर्द हो रहा है। जॉर्ज सोरोस की संतानें हर उस फैसले का विरोध करेंगी, जो राष्ट्र की एकता के लिए आवश्यक है।'
संभल में मिले मंदिर पर कही ये बात
वहीं, संभल में पुराने मंदिर मिलने को प्रमोद कृष्णम ने चमत्कार बताया। उन्होंने कहा, "भगवान के अवतार होने से पहले का यह चमत्कार है। जहां तक संभल की बात है, यह भगवान कल्कि की अवतरण स्थली है और यहां पर भगवान खुद आएंगे। जहां भगवान का अवतार होता है, वहां पर पहले कुछ चमत्कार और उपद्रव भी होते हैं।"
वन नेशन, वन इलेक्शन आज की जरूरत
आचार्य प्रमोद कृष्णम के अलावा बिहार के उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा ने 'वन नेशन, वन इलेक्शन' को लेकर लोकसभा में पीएम मोदी का ऐतिहासिक कदम बताया। उन्होंने कहा, "संविधान निर्माताओं की भावनाओ के अनुकूल आज़ादी के बाद 15 साल तक वैसे ही चुनाव होता था, लेकिन वंशवादी राजनीति और इमरजेंसी लगाने वालों ने ये क्रम तोड़ा। अब फिर से एक साथ चुनाव होगा, ताकि देश का विकास और तेज़ी से हो सके।"
शिवसेना से सांसद श्रीकांत शिंदे ने कहा, "एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में महारी पार्टी ने 'वन नेशन, वन इलेक्शन' का समर्थन किया है। यह आज की जरूरत है। जब हमें स्वतंत्रता मिली, तो सभी चुनाव एक साथ होते थे। लेकिन धीरे-धीरे कांग्रेस ने कई राज्यों में राष्ट्रपति शासन लागू किया, इसके कारण राज्यों के अलग-अलग चुनाव होने लगे। कांग्रेस ने इस क्रम को बिगाड़ा।"
Created On :   17 Dec 2024 11:54 PM IST