महाराष्ट्र पॉलिटिक्स: ठाकरे ब्रदर्स के साथ आने पर संजय राउत का बड़ा बयान, कहा - 'राज ठाकरे को लेकर उद्धव बहुत...'

- महाराष्ट्र में ठाकरे ब्रदर्स के साथ आने की चर्चांए
- शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत का बड़ा बयान
- उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे को लेकर कही ये बात
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। महाराष्ट्र में पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के चीफ राज ठाकरे के साथ आने की चर्चाएं तूल पकड़ रही है। सूबे में ठाकरे ब्रदर्स की वापसी पर भाजपा से लेकर एनसीपी समेत कई दलों की प्रतिक्रिया सामने आ रही है। इस सिलसिले में एक बार फिर से उद्धव ठाकरे गुट के राज्यसभा सांसद संजय राउत ने अपने बयान से ठाकरे ब्रदर्स की वापसी के संकेत दिए हैं।
संजय राउत ने किया दावा
दरअसल, संजय राउत ने मंगलवार को मीडिया से बातचीत के दौरान दावा करते हुए कहा कि उद्धव ठाकरे अपने चचेरे भाई राज ठाकरे के साथ मेल मिलाप को लेकर बेहद सकारात्मक है। इस दौरान उन्होंने यह भी कहा कि संभावित मेल-मिलाप को लेकर अब आंबेडकरी आंदोलन से जुड़े लोग और दल भी संपर्क में हैं और वे इस नये राजनीतिक गठजोड़ का हिस्सा बनने में रुचि दिखा रहे हैं।
संजय राउत ने आगे कहा कि भारत के संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर ने "संयुक्त महाराष्ट्र आंदोलन" का भी नेतृत्व किया था और 'मराठी मानुष' की एकता के प्रयास किए थे। 1950 में चले इस आंदोलन का उद्देश्य मराठी भाषी लोगों के लिए एक पृथक महाराष्ट्र राज्य की स्थापना करना था।
राउत ने कहा, "उद्धव और राज के बीच चर्चा में किसी तीसरे की जरूरत नहीं है। मैं जानता हूं कि उनके मन में एक-दूसरे और परिवार के लिए क्या भावनाएं हैं। राजनीति के कारण रिश्ते नहीं टूटते। उद्धव इस मेल-मिलाप को लेकर बहुत सकारात्मक हैं। महाराष्ट्र और मराठी मानुष के हित में उनका रुख बेहद सकारात्मक है।"
2005 में शिवसेना से अलग हुए थे राज ठाकरे
बता दें, करीब दो दशक पहले हुए शिवसेना के विभाजन के बाद से उद्धव और राज ठाकरे के बयानों से दोनों के बीच सुलह होने की चर्चाएं तेज हो गई हैं। हाल ही में दोनों ने संकेत दिए हैं कि वे 'छोटी बातों' को नजरअंदाज कर मराठी हित के लिए साथ आ सकते हैं।
एक तरफ, जहां एमएनएस चीफ राज ठाकरे कह चुके हैं कि मराठी मानुष के हित में एक होना मुश्किल नहीं है, वहीं पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा था कि वह छोटी-मोटी बातों को भूलने को तैयार हैं, बशर्ते महाराष्ट्र-विरोधी तत्वों को जगह न दी जाए।
बता दें, 2005 में राज ठाकरे ने शिवसेना से अलग होकर 2006 में अपनी पार्टी एमएनएस की स्थापना की थी। इसके बाद उन्होंने समय-समय पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का विरोध भी किया और साथ भी दिया। बीजेपी कभी उद्धव ठाकरे की पार्टी की सहयोगी रही है।
Created On :   22 April 2025 9:35 PM IST