जब राजनीति में दोस्त बने दुश्मन
डिजिटल डेस्क, लखनऊ। जो कभी गहरे मित्र, मार्गदर्शक और अनुयायी भी थे, लेकिन आज राजनीति ने उनके रिश्ते में दरार पैदा कर दी है। चुनावी जंग में वे एक-दूसरे के खिलाफ खड़े हैं। बिजनौर की धामपुर सीट से मूलचंद चौहान अपने शिष्य नईम-उल-हसन के खिलाफ खड़े हैं। नईम समाजवादी पार्टी (सपा) के टिकट पर और मूलचंद बसपा के उम्मीदवार हैं। नईम ने कहा, यह राजनीति है और हर किसी को चुनाव लड़ना होता है। मुझे अपने गुरु के खिलाफ चुनाव लड़ना पसंद नहीं था, लेकिन कुछ चीजें जरुरी होती हैं।
प्रतापगढ़ में निर्दलीय विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया और उनके अनुचर गुलशन यादव के बीच घमासान लड़ाई चल रही है। समाजवादी पार्टी ने गुलशन यादव को मैदान में उतारा है, जबकि राजा भैया अपनी जनसत्ता दल के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। राजा भैया 1993 से कुंडा सीट जीत रहे हैं और लड़ाई काफी हद तक एकतरफा रही है, लेकिन गुलशन यादव ने उनके खिलाफ ही ठाल ठोंक दी है।
राजा भैया ने अपने खिलाफ गुलशन यादव के अभियान को खारिज कर दिया और कहा, चलो अन्य चीजों के बारे में बात करते हैं। वहीं गुलशन ने कहा, समाजवादी पार्टी के पक्ष में लहर है और मैं यह सीट जीतकर इतिहास रचूंगा। फिरोजाबाद में सैफुर-रहमान सपा के उम्मीदवार हैं और उनके प्रतिद्वंद्वी उनके दोस्त अजीम भाई की पत्नी शाजिया हैं, जो बसपा उम्मीदवार हैं। सैफुर-रहमान, कभी अजीम भाई के लिए प्रचार करते थे, लेकिन राजनीति ने अब उन्हें एक दूसरे के खिलाफ कर दिया है।
ललितपुर से राम रतन कुशवाहा भाजपा के उम्मीदवार हैं, जबकि उनके चचेरे भाई रमेश कुशवाहा सपा के उम्मीदवार हैं। पहले, रमेश अपने चचेरे भाई के लिए प्रचार करते थे, लेकिन अब उनके रास्ते अलग हो गए हैं। बृजलाल खबरी ललितपुर के मेहरोनी से कांग्रेस के उम्मीदवार हैं, जबकि उनकी पत्नी उर्मिला खबरी कांग्रेस के टिकट पर उरई से चुनाव लड़ रही हैं। उनके रिश्तेदार श्री पाल उरई सीट से उर्मिला खबरी के खिलाफ बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। एक रिश्तेदार ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, हम इन चुनावों में परिवार में पार्टी नहीं बनना चाहते हैं। जो हुआ है, वह दुर्भाग्यपूर्ण है और हमें उम्मीद है कि चुनाव खत्म होने के बाद मतभेद दूर हो जाएंगे।
(आईएएनएस)
Created On :   23 Feb 2022 4:30 PM IST