छठा चरण बना खास, योगी समेत कई बड़े सियासी चेहरों की प्रतिष्ठा दांव पर

UPs election turmoil: Sixth phase becomes special, reputation of many big political faces including Yogi at stake
छठा चरण बना खास, योगी समेत कई बड़े सियासी चेहरों की प्रतिष्ठा दांव पर
यूपी का चुनावी घमासान छठा चरण बना खास, योगी समेत कई बड़े सियासी चेहरों की प्रतिष्ठा दांव पर
हाईलाइट
  • यूपी का चुनावी घमासान : छठा चरण बना खास
  • योगी समेत कई बड़े सियासी चेहरों की प्रतिष्ठा दांव पर

डिजिटल डेस्क, लखनऊ। यूपी का विधानसभा चुनाव अब ढलान की ओर बढ़ चला है। लेकिन बचे दो चरणों में ऐसे उम्मीदवार हैं जो कि राजनीतिक लिहाज से काफी महत्वपूर्ण हैं। छठा चरण तो सभी दलों की प्रतिष्ठा से जुड़ा हुआ है। क्योंकि इसमें भाजपा के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मैदान में हैं। उनके चेहरे पर भाजपा चुनाव लड़ रही है। इस चरण में भाजपा, सपा, कांग्रेस और बसपा के कई बड़े चेहरों की परीक्षा होनी है। इस चरण में 57 सीटों के लिए मतदान होना है।

भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं। वह भाजपा के प्रत्याशी हैं। भाजपा ने उन्हें इस चुनाव में अपना चेहरा घोषित कर रखा है। सपा ने उनके सामने सवर्णों और सहानभूति वोट पाने के लिए सुभावती शुक्ला को उतारा है। बसपा ने मुस्लिम मतों में सेंधमारी के लिये ख्वाजा शम्सुद्दीन को उतारा है।

छठे चरण में नेता प्रतिपक्ष और सपा के दिग्गज रामगोविंद चौधरी के अलावा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू और बसपा विधानमंडल के नेता अध्यक्ष उमाशंकर सिंह की सीट पर भी इसी चरण में मतदान होना है। सभी की नजर फाजिलनगर पर भी टिकी है, क्योंकि योगी सरकार में मंत्री रहे स्वामी प्रसाद मौर्य इस बार सपा से मैदान में उतरे हैं। इन सभी की परीक्षा होनी है।

बलिया की बांसडीह से सपा के राम गोविंद चौधरी लगातार दो बार से 2012 व 2017 से चुनाव जीतते आ रहे हैं। रामगोविंद की राह में रोड़ा अटकाने के लिए भाजपा ने केतकी सिंह को उतार दिया है, जिन्होंने 2017 में भाजपा से टिकट न मिलने पर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चौधरी को ऐसी टक्कर दी थी कि वह महज 1687 वोटों से ही जीत पाए थे। इस बार केतकी के साथ भाजपा का मजबूत संगठन और मोदी-योगी का प्रभाव भी है।

बलिया की रसड़ा विधानसभा सीट से लगातार दो बार से बसपा के उमा शंकर चुनाव जीत रहे हैं। उमाशंकर की प्रतिष्ठा का सवाल है, तो भाजपा के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। बलिया की सिकंदरपुर सीट से भाजपा अब तक सिर्फ एक बार 2017 में चुनाव जीती है। सपा इस सीट पर तीन बार चुनाव जीत चुकी है। भाजपा के सामने जीत बरकरार रखने की चुनौती है। इसके अलावा कुशीनगर की फाजिलनगर सीट भी सपा के लिए महत्वपूर्ण है। यहां उसने भाजपा के बागी स्वामी प्रसाद मौर्य को उतारा है। अब यह सीट सपा भाजपा दोनों के प्रतिष्ठा से जुड़ गई है।

इसी तरह कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू कुशीनगर की तमकुहीराज सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। उनके लिए चुनौती यह बढ़ गई है कि कांग्रेस के पूर्व केंद्रीय मंत्री आरपीएन सिंह अब भाजपा में हैं। उनका प्रभाव पडरौना के साथ ही आसपास की तमाम सीटों पर है।

बलिया सीट से भाजपा ने प्रदेश उपाध्यक्ष दयाशंकर सिंह को तो बलिया से प्रत्याशी बना दिया और मौजूदा विधायक व राज्यमंत्री आनंद स्वरूप शुक्ला को नई सीट बैरिया से उतार दिया। इस फेरबदल में विधायक सुरेंद्र सिंह का टिकट काट दिया गया। सुरेंद्र सिंह अब वीआइपी प्रत्याशी के रूप में भाजपा को चुनौती दे रहे हैं। इसके अलावा देवरिया की पथरदेवा सीट से कृषि मंत्री व भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सूर्यप्रताप शाही, सिद्धार्थनगर के बांसी सीट से स्वास्थ्य मंत्री जयप्रताप सिंह, गोरखपुर के खजनी से उद्यान राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्रीराम चौहान, बलिया की फेफना सीट से खेल एवं युवा कल्याण राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) उपेंद्र तिवारी, सिद्धार्थनगर की इटवा से बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डा. सतीश चंद्र द्विवेदी, बलिया की बैरिया सीट से ग्राम्य विकास राज्यमंत्री आनंद स्वरूप शुक्ला, गोरखपुर के चौरीचौरा विधानसभा क्षेत्र से पशुधन राज्यमंत्री जय प्रकाश निषाद, की प्रतिष्ठा भी इस बार दांव पर है।

 

आईएएनएस

Created On :   2 March 2022 10:00 AM IST

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