ये महिलाएं अपने परिजनों को न्याय दिलाने के लिए लड़ रहीं चुनाव

These women are fighting elections to get justice for their families
ये महिलाएं अपने परिजनों को न्याय दिलाने के लिए लड़ रहीं चुनाव
यूपी विधानसभा चुनाव 2022 ये महिलाएं अपने परिजनों को न्याय दिलाने के लिए लड़ रहीं चुनाव

डिजिटल डेस्क, लखनऊ। ये महिलाएं अपनी राजनीतिक आकांक्षाएं पूरी करने के लिए नहीं, बल्कि न्याय की तलाश में चुनाव लड़ रही हैं। वे अनिवार्य रूप से गृहिणी हैं और उनका अभियान पाकिस्तान-कब्रिस्तान या राम मंदिर-कृष्ण जन्मभूमि पर केंद्रित नहीं है। उनकी अपील सरल है - मेरे परिजनों को न्याय मिलना सुनिश्चित करने के लिए मुझे वोट दें। कानपुर की कल्याणपुर सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहीं नेहा तिवारी पिछले डेढ़ साल से जेल में बंद बिकरू के विकास दुबे की विधवा खुशी दुबे की बहन हैं।

नेहा कहती हैं, मैं यह चुनाव इसलिए लड़ रही हूं, ताकि मैं अपनी बहन की रिहाई सुनिश्चित करने के लिए राजनीतिक मंचों पर अपनी आवाज उठा सकूं, जिसकी शादी बिकरू नरसंहार के समय हुई थी और उसे गिरफ्तार किया गया था। हम उसकी रिहाई सुनिश्चित करने की कोशिश करते रहे हैं, लेकिन विफल रहे हैं और राजनीति ही एकमात्र विकल्प लगती है। इसी तरह, हमीरपुर से कांग्रेस उम्मीदवार राजकुमारी चंदेल भी अपने पति और पूर्व सांसद और पूर्व विधायक अशोक सिंह चंदेल के लिए न्याय की मांग कर रही हैं।

सन् 1997 में हुई गोलीबारी के दौरान पांच लोगों की हत्या के लिए साल 2019 में दोषी ठहराए जाने के बाद चंदेल उम्रकैद की सजा काट रहे हैं। राजकुमारी चंदेल कहती हैं, इस मामले में मेरे पति को झूठा फंसाया गया है। मुझे उम्मीद है कि उन्हें न्याय मिलेगा बैलेट के माध्यम से न्याय की मांग करने वाली एक अन्य पत्नी अमेठी में महाराजी प्रजापति हैं। महाराजी पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति की पत्नी हैं और सपा के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं।

महाराजी और उनकी बेटी सुधा ने अपने अभियान में कभी भी राजनीतिक मुद्दों या पार्टी के मुद्दों के बारे में बात नहीं की। दोनों ने दुष्कर्म के एक मामले में दोषी गायत्री प्रजापति के लिए न्याय की मांग की है और लगभग हर चुनावी सभा में खूब रोई हैं। वह कहती रही हैं, मेरे पति ने हर सर्दी में आप सभी को कंबल बांटे, लेकिन अब उन्हें इस कड़ाके की सर्दी में कंबल नहीं दिया गया है। उन्नाव में कांग्रेस प्रत्याशी आशा सिंह एक दुष्कर्म पीड़िता की मां हैं। इस मामले में भाजपा के पूर्व विधायक कुलदीप सेंगर को दोषी ठहराया गया है और वह फिलहाल तिहाड़ जेल में बंद हैं।

जब कांग्रेस ने आशा सिंह को टिकट देने की घोषणा की, तो सेंगर के परिवार ने प्रियंका गांधी वाड्रा के फैसले पर सवाल उठाते हुए एक वीडियो संदेश सोशल मीडिया पर डाला था। आशा सिंह कुलदीप सेंगर के लिए मौत की सजा चाहती हैं, लेकिन निर्वाचन क्षेत्र के मतदाताओं के एक बड़े वर्ग को लगता है कि पूर्व विधायक को उनके प्रतिद्वंद्वियों ने फंसाया है।

दो महिलाएं सीमा सिंह और निधि शुक्ला चुनाव नहीं लड़ रही हैं, लेकिन इन चुनावों में अपने परिजनों के लिए न्याय की गुहार लगा रही हैं। सीमा सिंह सारा सिंह की मां हैं, जिनके पति अमन मणि त्रिपाठी पर पत्नी की हत्या का आरोप लगा है। अमन मणि महराजगंज के नौतनवा से बसपा प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं।

सीमा सिंह मतदाताओं से उनकी बेटी की हत्या के आरोपी व्यक्ति को हराने की गुहार लगा रही हैं। उनके साथ निधि शुक्ला भी शामिल हैं, जिनकी बहन मधुमिता शुक्ला की साल 2003 में अमन मणि के माता-पिता अमर मणि त्रिपाठी और मधु मणि त्रिपाठी ने हत्या कर दी थी। दोनों गोरखपुर जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे हैं। निधि कहती हैं, बसपा ने अमन मणि त्रिपाठी को टिकट देकर गलत किया है। उनके पिता अमर मणि त्रिपाठी बसपा राज में मंत्री थे, जब उन्होंने मेरी बहन को मार डाला। लोगों को अमन मणि की हार सुनिश्चित करके इस गलत को सही करना चाहिए, जिन्होंने अपनी ही पत्नी को 2015 में बेशर्मी से मार डाला।

(आईएएनएस)

Created On :   2 March 2022 8:00 PM IST

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