आनंद मोहन की रिहाई से दिवंगत आईएएस अधिकारी का परिवार सदमे में

The family of the late IAS officer is shocked by the release of Anand Mohan
आनंद मोहन की रिहाई से दिवंगत आईएएस अधिकारी का परिवार सदमे में
सदमें में परिवार आनंद मोहन की रिहाई से दिवंगत आईएएस अधिकारी का परिवार सदमे में

डिजिटल डेस्क, हैदराबाद। बिहार के गोपलगंज में 28 साल पहले मारे गए दलित आईएएस अधिकारी जी. कृष्णया का परिवार राजद के पूर्व सांसद आनंद मोहन सिंह की रिहाई से सदमे में है। आनंद मोहन सिंह ने 1994 में अपने समर्थकों को नौकरशाह की लिंचिंग को उकसाने के लिए उकसाया था। उन्हें 15 साल जेल में बिताने के बाद रिहा कर दिया गया है। बिहार सरकार द्वारा नियमों में बदलाव के बाद गैंगस्टर से राजनेता बने आनंद मोहन को गुरुवार को तड़के तीन बजे जेल से रिहा कर दिया गया। उनकी रिहाई के बाद कृष्णया के परिवार के सदस्यों ने कहा कि आनंद मोहन को जेल से बाहर निकलते देखना उनके लिए निराशाजनक था।

दिवंगत आईएएस अधिकारी की पत्नी उमा कृष्णया के बाद अब उनकी बेटी पद्मा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस मामले में दखल देने की अपील की है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि आनंद मोहन जैसे लोग समाज में वापस न आएं। कृष्णया की दो बेटियों में सबसे छोटी पद्मा ने प्रधानमंत्री से गुंडों और माफियाओं पर लगाम लगाने के लिए एक कानून लाने का अनुरोध किया, ताकि सरकारी अधिकारी अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से और बिना किसी डर के निर्वहन कर सकें।

पद्मा ने कहा, यह हमारे लिए बहुत निराशाजनक है। हम उम्मीद कर रहे थे कि आजीवन कारावास जारी रहेगा। 1985 बैच के आईएएस अधिकारी कृष्णया की 5 दिसंबर 1994 को बेरहमी से हत्या कर दी गई थी। गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी कृष्णया को आनंद मोहन द्वारा कथित रूप से उकसाने वाली भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला था। वह भीड़ उस समय एक दिन पहले मारे गए आनंद मोहन की पार्टी के गैंगस्टर-राजनेता छोटन शुक्ला के शव के साथ विरोध प्रदर्शन कर रही थी, उसी दौरान कृष्णया अपनी कार से गुजर रहे थे। भीड़ ने उन्हें कार से बाहर खींच लिया और पीट-पीट कर मार डाला।

आनंद मोहन को 2007 में एक निचली अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी, लेकिन पटना उच्च न्यायालय ने 2008 में उनकी सजा को उम्रकैद में बदल दिया। वह 15 साल तक जेल में रहे। पद्मा कृष्णया ने यह भी कहा कि परिवार कानूनी उपायों पर विचार कर सकता है। उन्होंने यह भी दावा किया कि बिहार में अधिकांश लोग उसके परिवार का समर्थन कर रहे हैं। उन्होंने कहा, बहुत कम लोग हैं जो आनंद मोहन का समर्थन कर रहे हैं।

पद्मा ने यह भी कहा कि उन्हें बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से ऐसे फैसले की उम्मीद नहीं थी, क्योंकि उन्होंने अतीत में आनंद मोहन को मिली आजीवन कारावास की सजा का समर्थन किया था। पद्मा अपनी मां की इस बात से सहमत हैं कि नीतीश कुमार ने राजपूत समुदाय का वोट हासिल करने के लिए आनंद मोहन की रिहाई होने दी। पद्मा ने खुलासा किया कि चिराग पासवान पहले राजनेता थे जो उनके पास पहुंचे, यह कहते हुए कि कई राजनीतिक नेता हैं जो उनका समर्थन कर रहे हैं।

इससे पहले, कृष्णया की पत्नी उमा ने प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप करने और नीतीश कुमार को अपना निर्णय वापस लेने का आग्रह किया था, क्योंकि यह एक बुरी मिसाल कायम करेगा। उन्होंने कहा, मेरे पति एक आईएएस अधिकारी थे और यह सुनिश्चित करना केंद्र की जिम्मेदारी है कि न्याय हो। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि नीतीश कुमार राजपूतों के वोटों के लिए और फिर से सरकार बनाने के लिए उसके पति के हत्यारे की रिहाई का रास्ता खोल दिया।

हैदराबाद में रहने वाली उमा ने कहा, वह (नीतीश) सोचते हैं कि आनंद मोहन को रिहा करने से उन्हें सभी राजपूतों के वोट मिलेंगे और इससे उन्हें फिर से सरकार बनाने में मदद मिलेगी। मगर यह गलत है। उन्होंने कहा, बिहार में जैसी राजनीति चल रही है, वह अच्छी नहीं है। राजनीति में अच्छे लोग होने चाहिए, आनंद मोहन जैसे अपराधी नहीं। मारे गए नौकरशाह की विधवा ने यह भी कहा कि जब आनंद मोहन को मौत की सजा के बजाय आजीवन कारावास की सजा दी गई तो वह खुश नहीं थीं।

60 वर्षीय उमा का मानना है कि आनंद मोहन की रिहाई से सिविल सेवकों और ईमानदारी से अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने वाले सरकारी अधिकारियों का जीवन खतरे में पड़ सकता है, क्योंकि अपराधी सोचेंगे कि वे कानून को अपने हाथ में ले सकते हैं और जो चाहें कर सकते हैं और फिर जेल से बाहर आ सकते हैं। अपने पति को खोने के बाद वह अपनी 7 और 5 साल की दो बेटियों के साथ हैदराबाद चली गई थीं। कृष्णया के साथ जो दरिंदगी हुई, उसके बाद से परिवार सदमे में है।

परिवार की देखभाल के लिए उमा ने हैदराबाद के एक कॉलेज में लेक्चरर की नौकरी कर ली। उन्हें जुबली हिल्स के प्रकाशन नगर में एक भूखंड आवंटित किया गया था, जहां उन्होंने अपना घर बनाया है। उमा 2017 में सेवानिवृत्त हो गईं। उन्होंने दोनों बेटियों के लिए अच्छी शिक्षा सुनिश्चित की। बड़ी बेटी एक बैंक में मैनेजर हैं और छोटी बेटीएक कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में कार्यरत हैं।

 (आईएएनएस)

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Created On :   27 April 2023 8:30 PM IST

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